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RSS प्रमुख मोहन भागवत का ‘मजबूरी’ वाला बयान ट्रंप टैरिफ पर प्रतिक्रिया में, PM मोदी के स्वदेशी अभियान का समर्थन

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मोहन भागवत का अमेरिकी टैरिफ पर बयान, PM मोदी के स्वदेशी अभियान को समर्थन
मोहन भागवत ने कहा – आत्मनिर्भरता अपनाओ, कूटनीति करो 'मर्जी से, मजबूरी से नहीं'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए नए टैरिफ पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत को इस परिस्थिति का सामना आत्मनिर्भरता और स्वदेशी पर भरोसा कर करना चाहिए। भागवत का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया “स्वदेशी” अभियान की गूंज को और मजबूत करता है।

मोहन भागवत का अमेरिकी टैरिफ पर बयान, PM मोदी के स्वदेशी अभियान को समर्थन


‘निर्भरता मजबूरी न बने’ – भागवत

भागवत ने कहा,
अमेरिका ने अपने हित में टैरिफ नीति लागू की है। लेकिन इसका असर सब पर पड़ता है… दुनिया आपसी निर्भरता से चलती है। कोई भी देश अकेले नहीं रह सकता। यह निर्भरता मजबूरी न बने। हमें स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर भरोसा करना होगा। साथ ही सभी मित्र राष्ट्रों से कूटनीतिक संबंध हमारी इच्छा से बने रहें, मजबूरी से नहीं।

यह बयान संघ के शताब्दी समारोह के दौरान दिया गया, जब भारत में आर्थिक नीतियों और वैश्विक व्यापारिक संबंधों को लेकर बहस तेज़ है।

PM मोदी का स्वदेशी संदेश

भागवत का बयान ऐसे समय आया है जब पीएम मोदी ने हाल ही में लोगों से घरेलू उत्पाद अपनाने की अपील की थी। मोदी ने कहा,
अक्सर हमें पता ही नहीं होता कि जेब में रखा कंघा भारत में बना है या विदेश में। हमें गर्व से कहना चाहिए कि हम स्वदेशी खरीदते हैं।

मोहन भागवत का अमेरिकी टैरिफ पर बयान, PM मोदी के स्वदेशी अभियान को समर्थन


उन्होंने यह भी कहा कि हर भारतीय को Made in India उत्पादों की ओर रुख करना चाहिए क्योंकि ये देश के युवाओं की मेहनत और हुनर से बने हैं।

अमेरिका-भारत व्यापार तनाव

यह पूरा घटनाक्रम अमेरिका द्वारा भारत पर भारी शुल्क लगाने और वीज़ा शुल्क बढ़ाने की पृष्ठभूमि में हो रहा है।

  • अगस्त में अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाया।
  • हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीज़ा की नई आवेदन फीस को $100,000 (करीब 88 लाख INR) तक बढ़ा दिया।

इन फैसलों ने भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक तनाव को और गहरा किया है।

क्यों अहम है भागवत का बयान?

मोहन भागवत का यह बयान भारतीय राजनीति और कूटनीति दोनों के लिए संदेश है कि भारत को वैश्विक रिश्तों में अपनी शर्तों पर खड़ा होना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सरकार और संघ दोनों का एक स्वर में आना इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में स्वदेशी और घरेलू विनिर्माण पर और जोर दिया जाएगा।

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