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खामेनेई का ट्रंप पर करारा पलटवार – “सपने देखना बंद करो, ईरान झुकेगा नहीं”
अमेरिका से बातचीत के प्रस्ताव को ईरान ने ठुकराया, सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा – “यह समझौता नहीं, जबरदस्ती है”
तेहरान और वाशिंगटन के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “जो लोग सोचते हैं कि उन्होंने ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह कर दिया है, वे सपने देख रहे हैं।”
पिछले सप्ताह ट्रंप ने इज़रायल की संसद (Knesset) में कहा था कि अमेरिका तेहरान के साथ “शांति समझौता” करने की कोशिश कर सकता है, जो गाज़ा में हमास के साथ संघर्षविराम के बाद संभव हो सकता है। लेकिन ईरान ने इस प्रस्ताव को “पूर्व निर्धारित और जबरदस्ती थोपे गए सौदे” की संज्ञा देते हुए खारिज कर दिया।
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खामेनेई का पलटवार: “यह समझौता नहीं, दबाव की नीति है”
अयातुल्ला खामेनेई ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा
“ट्रंप कहते हैं कि वह डीलमेकर हैं, लेकिन यदि किसी डील का परिणाम पहले से तय है और उसे दबाव से लागू किया जा रहा है, तो वह समझौता नहीं, बल्कि जबरदस्ती है।”
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी भी देश के परमाणु उद्योग पर सवाल उठाए।
“अमेरिका कौन होता है यह तय करने वाला कि ईरान परमाणु उद्योग रखे या नहीं? यह हमारे संप्रभु अधिकारों में हस्तक्षेप है,” उन्होंने कहा।

“सॉफ्ट वॉर” में अमेरिका की भूमिका
खामेनेई ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका ईरान के खिलाफ “सॉफ्ट वॉर” चला रहा है, जिसमें लोगों के मनोबल को तोड़ने की कोशिश की जा रही है।
“इस युद्ध में दुश्मन जनता को हतोत्साहित करना चाहता है ताकि वे अपनी क्षमताओं पर विश्वास खो दें,” उन्होंने कहा।
उनके मुताबिक, ट्रंप का हालिया इज़रायल दौरा भी “निराश ज़ायनिस्टों के मनोबल को बढ़ाने का प्रयास” था।
“ईरानी मिसाइलों ने दुश्मन के अहम ठिकानों को भेदा”
खामेनेई ने दावा किया कि जून में हुए 12 दिन के युद्ध के दौरान ईरानी मिसाइलें इज़रायल के महत्वपूर्ण ठिकानों तक पहुंचीं और उन्हें “ऐसा झटका दिया जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी।”
उन्होंने कहा,
“अमेरिकी राष्ट्रपति ज़ायनिस्टों के मनोबल को बचाने के लिए कब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन गए, लेकिन वहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी।”
“अमेरिका असली आतंकवादी है”
ईरान के सर्वोच्च नेता ने अमेरिका को “आतंकी राज्य” बताते हुए आरोप लगाया कि वॉशिंगटन गाज़ा में हो रहे नरसंहार का मुख्य सहयोगी है।
“20,000 से अधिक बच्चों को मारकर वे कहते हैं कि आतंकवाद से लड़ रहे हैं। क्या ये बच्चे आतंकवादी थे? असली आतंकवादी तो अमेरिका है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका ने दाएश (ISIS) जैसे आतंकी संगठनों को बनाया और उन्हें पश्चिम एशिया में फैलाया।
“अमेरिका ने दाएश को बनाया और जब चाहे अपने हित के लिए इस्तेमाल करता है। यह उसकी सबसे बड़ी साजिशों में से एक है,” उन्होंने जोड़ा।
परमाणु कार्यक्रम पर पश्चिम की आपत्ति
पश्चिमी देश लंबे समय से ईरान पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा है, जबकि तेहरान का कहना है कि उसका यूरैनियम संवर्धन कार्यक्रम केवल “शांतिपूर्ण ऊर्जा उद्देश्यों” के लिए है।
निष्कर्ष
खामेनेई के हालिया बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका और ईरान के बीच तनाव अभी खत्म नहीं हुआ है। जहां ट्रंप “नई डील” की बात कर रहे हैं, वहीं ईरान इसे “साम्राज्यवादी खेल” बताकर सिरे से खारिज कर रहा है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों देशों के बीच संवाद की कोई नई संभावना बनती है या फिर यह संघर्ष और गहराता है।
