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Politics

सुशांत सिंह राजपूत की बहन दिव्या गौतम ने थामा राजनीति का दामन, बोलीं – “भाई के साथ न्याय हुआ या नहीं, अब जनता बताएगी”

पटना की दीघा सीट से भाकपा (माले) की उम्मीदवार बनीं दिव्या गौतम, नामांकन से पहले भावुक होकर याद किया भाई सुशांत सिंह राजपूत को — बोलीं, “उन्होंने सिखाया था पैशन के लिए जीना।”

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भावुक हुईं दिव्या गौतम, बोलीं — “भाई सुशांत सिंह राजपूत की सीख आज भी मेरी ताकत है।”
भावुक हुईं दिव्या गौतम, बोलीं — “भाई सुशांत सिंह राजपूत की सीख आज भी मेरी ताकत है।”

बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की ममेरी बहन दिव्या गौतम अब राजनीति के मैदान में उतर चुकी हैं। पटना की दीघा विधानसभा सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है।
दिव्या 15 अक्टूबर को अपना नामांकन दाखिल करेंगी। इससे पहले उन्होंने NDTV से बातचीत में अपने चुनावी सफर, समाज के मुद्दों और भाई सुशांत की यादों को साझा किया।

इस इंटरव्यू के दौरान दिव्या भावुक हो उठीं। उन्होंने कहा,
सुशांत सिंह राजपूत सिर्फ एक नाम नहीं थे, वो एक सोच थे। उन्होंने हमें सिखाया कि जिंदगी में पैशन सबसे जरूरी है। मैं आज राजनीति में भी उसी सोच के साथ आई हूं।”

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दिव्या ने आगे कहा कि सुशांत को आज भी करोड़ों लोग याद करते हैं।
“मेरे भाई के साथ न्याय हुआ या नहीं, यह जनता तय करेगी। लेकिन जो प्यार उन्हें मिला, वो अमर है। मैं भी समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहती हूं, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले,” उन्होंने कहा।

सुशांत की प्रेरणा से थिएटर से राजनीति तक

दिव्या गौतम ने बताया कि उन्होंने अपने अभिनय और थिएटर की शुरुआत सुशांत से प्रेरित होकर की थी।
“वो कहते थे कि अगर तुममें सच्चाई है तो मंच खुद तुम्हें पहचान लेगा। वही आत्मविश्वास मुझे राजनीति में भी लेकर आया है,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।

भावुक हुईं दिव्या गौतम, बोलीं — “भाई सुशांत सिंह राजपूत की सीख आज भी मेरी ताकत है।”


दिव्या अब महागठबंधन के सहयोग से दीघा विधानसभा से चुनाव लड़ेंगी। उनकी एंट्री से बिहार के चुनावी माहौल में एक नया मोड़ आ गया है। खासकर उन युवाओं के बीच, जो सुशांत की सोच और संघर्ष से खुद को जोड़ते हैं।

सुशांत की याद में बोले फैन्स – “आज भी जिंदा है SSR की प्रेरणा”

2020 में 34 वर्ष की उम्र में सुशांत सिंह राजपूत की अचानक मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया था।
उनकी मौत ने बॉलीवुड में नेपोटिज़्म और इंसाफ जैसे मुद्दों पर एक बड़ी बहस छेड़ दी थी।
आज भी सोशल मीडिया पर #JusticeForSSR ट्रेंड करता है।

कई फैन्स मानते हैं कि दिव्या का राजनीति में आना उनके भाई की अधूरी लड़ाई को आगे बढ़ाने जैसा है।
“सुशांत ने हमें सिखाया था कि मेहनत और सच्चाई का कोई विकल्प नहीं होता, और यही बात अब दिव्या कर रही हैं,” एक फैन ने X (Twitter) पर लिखा।

जनता के बीच बढ़ रही चर्चा

दीघा सीट पर दिव्या गौतम का मुकाबला अब बेहद दिलचस्प माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दिव्या का चेहरा युवाओं और महिलाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
वह न केवल अपने भाई की विरासत बल्कि एक नए सोच वाले बिहार की आवाज बनकर उभरी हैं।

“मैं राजनीति में बदलाव की प्रतीक बनना चाहती हूं, जैसे सुशांत ने सिनेमा में नई परिभाषा दी थी। अगर जनता मुझे मौका देती है, तो मैं हर उस परिवार की आवाज बनूंगी जो न्याय की उम्मीद में है,” दिव्या ने कहा।

सुशांत की विरासत, बिहार की नई उम्मीद

दिव्या गौतम का यह फैसला केवल राजनीति की दिशा नहीं बदल सकता, बल्कि यह दिखाता है कि सुशांत की प्रेरणा आज भी जिंदा है।
दीघा की गलियों से लेकर देशभर के फैन्स तक — हर कोई यह देखना चाहता है कि क्या दिव्या अपने भाई की तरह लोगों के दिलों में जगह बना पाएंगी।

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