Politics
संभल सांसद जियाउर्रहमान बर्क का बड़ा बयान पीएम मोदी को मोहन भागवत की चुप्पी पर उठाए सवाल
जन्मदिन की बधाई पर आरएसएस प्रमुख की चुप्पी को लेकर बर्क ने जताई आशंका भाजपा की नीतियों में बदलाव पर भी उठे सवाल
संभल से सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया जन्मदिन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को देश और विदेश से ढेरों बधाइयां मिलीं, लेकिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की ओर से बधाई न मिलना किसी बड़े बदलाव का संकेत हो सकता है।
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गुरुवार को अपने दीपा सराय स्थित आवास पर मीडिया से बातचीत में बर्क ने कहा,
“प्रधानमंत्री को सभी ने जन्मदिन की बधाई दी, मैंने भी उन्हें मुबारकबाद दी, लेकिन भागवत जी की चुप्पी सोचने पर मजबूर करती है। कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ तो जरूर है।”
भाजपा की नीतियों में बदलाव की संभावना
बर्क ने आगे कहा कि पीएम मोदी 75 साल के हो चुके हैं। आने वाले समय में भाजपा की नीतियों में किस तरह बदलाव देखने को मिलेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह चुप्पी आने वाले राजनीतिक समीकरणों की ओर इशारा है।

भारत-पाकिस्तान मैच की कमाई पर सुझाव
बर्क ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर इस मैच से होने वाली कमाई पहलगाम हमले के पीड़ितों को दे दी जाए, तो यह एक सराहनीय कदम होगा। उन्होंने खिलाड़ियों और नेताओं से अपील की कि राजनीति से ऊपर उठकर पीड़ित परिवारों की मदद करें।
संभल को चाहिए शिक्षा और इंडस्ट्रीज, न कि एटीएस
सांसद ने संभल में प्रस्तावित एटीएस यूनिट पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि शहर को आतंकवाद से जोड़ना गलत है। संभल को एटीएस नहीं बल्कि शिक्षा सुधार और इंडस्ट्रीज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 1978 में लोग शहर से इसलिए गए क्योंकि यहां विकास के अवसर नहीं थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अनावश्यक रूप से मुस्लिम समाज को निशाना बना रही है। “आतंकवाद का नाम लगाना और उसे साबित करना दोनों अलग बातें हैं,” उन्होंने कहा।
कब्रिस्तान की जमीन पर सवाल
एटीएस यूनिट कब्रिस्तान से मुक्त कराई गई जमीन पर बनेगी, इस पर बर्क ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार के पास जमीन की कमी नहीं है, लेकिन कब्रिस्तान को चुनकर मुस्लिम समाज का अपमान किया जा रहा है।
वक्फ संपत्ति पर टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का स्वागत करते हुए बर्क ने कहा कि वक्फ संपत्ति पर जिलाधिकारी के अधिकार खत्म होना संविधान की जीत है। उन्होंने मांग की कि वक्फ काउंसिल और बोर्ड में दूसरे मजहब के किसी सदस्य को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वक्फ बाय यूजर का मामला अभी विचाराधीन है।
निष्कर्ष
जियाउर्रहमान बर्क के इन बयानों ने एक बार फिर संभल से लेकर राष्ट्रीय राजनीति तक हलचल पैदा कर दी है। पीएम मोदी के जन्मदिन पर मोहन भागवत की चुप्पी को लेकर उठे सवाल आने वाले दिनों में राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दे सकते हैं।

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