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किडनी की पथरी को घोलकर बाहर निकालेगी तुलसी की ये खास चाय, जानिए सही तरीका
तुलसी की चाय के नियमित सेवन से छोटी पथरी बिना सर्जरी के पेशाब के रास्ते निकल सकती है, जानें फायदे और सेवन विधि

भारत में तुलसी का महत्व सिर्फ धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह औषधीय गुणों की खान भी मानी जाती है। पौराणिक ग्रंथों से लेकर आधुनिक विज्ञान तक, तुलसी को कई बीमारियों के इलाज में कारगर माना गया है। इन्हीं में से एक है किडनी में पथरी की समस्या, जो आज के समय में अनियमित खान-पान और कम पानी पीने की आदतों के चलते आम होती जा रही है।
किडनी में पथरी होने पर पीठ के निचले हिस्से या पेट में असहनीय दर्द, बार-बार पेशाब आना, उल्टी या जी मिचलाना जैसे लक्षण दिखते हैं। पथरी बड़ी होने पर सर्जरी की नौबत आ सकती है, लेकिन आयुर्वेद में कुछ ऐसे प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं, जिनसे छोटी पथरी को बिना ऑपरेशन के भी निकाला जा सकता है। तुलसी की चाय उन्हीं में से एक आसान और असरदार तरीका है।

कैसे काम करती है तुलसी की चाय?
तुलसी में प्राकृतिक रूप से एसिटिक एसिड पाया जाता है, जो पथरी को तोड़ने और गलाने में मदद करता है। इसके अलावा तुलसी के एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण किडनी को स्वस्थ रखने और संक्रमण से बचाने में भी सहायक हैं। तुलसी का नियमित सेवन पथरी के बनने की प्रक्रिया को भी रोकता है।
कैसे बनाएं तुलसी की चाय?
- सबसे पहले 5-6 ताजी तुलसी की पत्तियां लें और अच्छे से धो लें।
- एक कप पानी उबालें और उसमें तुलसी की पत्तियां डाल दें।
- 5-7 मिनट तक धीमी आंच पर उबलने दें।
- पानी छान लें और चाहें तो इसमें थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं।
- इस चाय को रोजाना सुबह खाली पेट या रात में सोने से पहले पीना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है।
ध्यान रखने योग्य बातें:
यदि पथरी का साइज बड़ा हो गया है या दर्द असहनीय हो रहा है तो घरेलू उपाय की जगह डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। तुलसी की चाय का नियमित सेवन शुरुआती स्टेज की पथरी में ही असरदार होता है।
इस प्राकृतिक उपाय को अपनी दिनचर्या में शामिल कर आप अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं और पथरी की समस्या से राहत पा सकते हैं।
