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अमेरिका ने पेश किया 21 सूत्रीय शांति प्लान गाज़ा से हटेगा इज़राइल हथियार छोड़ेगा हमास
संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान अमेरिका ने गाज़ा युद्ध खत्म करने और भविष्य के फ़िलिस्तीन राज्य का रास्ता खोलने की नई पहल रखी
गाज़ा में जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए अमेरिका ने बड़ा कदम उठाया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान अमेरिका ने 21 सूत्रीय शांति प्रस्ताव साझा किया, जिसमें गाज़ा से इज़राइल के निकलने, हमास के निशस्त्रीकरण और भविष्य में फ़िलिस्तीन राज्य की राह खोलने जैसी अहम बातें शामिल हैं।
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इस दस्तावेज़ को अमेरिका ने कुछ अरब और मुस्लिम देशों के साथ साझा किया। इसमें तत्काल बंधकों की रिहाई, फ़िलिस्तीनियों को गाज़ा में ही बने रहने के लिए प्रोत्साहित करने और शांतिपूर्ण हमास सदस्यों को माफी देने जैसे बिंदु भी जोड़े गए हैं।
अमेरिकी नीति में बदलाव
यह प्रस्ताव अमेरिकी नीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका गाज़ा पर कब्जा करेगा और वहां के करीब 20 लाख लोगों को स्थायी रूप से विस्थापित कर देगा। लेकिन अब अमेरिका का रुख पूरी तरह अलग दिख रहा है। दो-राष्ट्र समाधान को लेकर भी यह एक नई पहल है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने अब तक इसका समर्थन नहीं किया था।

इज़राइल के लिए सकारात्मक बिंदु
इस प्रस्ताव में इज़राइल के पक्ष में भी कई प्रावधान हैं। इसमें हमास को हथियार छोड़ने, गाज़ा के सैन्यीकरण को खत्म करने और स्थानीय आबादी को “डी-रेडिकलाइज़” करने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गई है।
नेतन्याहू का कड़ा विरोध
हालांकि इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा –
“7 अक्टूबर के बाद फ़िलिस्तीन को जेरूसलम से सिर्फ एक मील दूर राज्य देना वैसा ही है जैसे 11 सितंबर के बाद अल-कायदा को न्यूयॉर्क से एक मील दूर राज्य दे देना। यह पागलपन है, और हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे।”
ट्रंप की उम्मीदें बरकरार
इसके बावजूद डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि एक समझौता संभव है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म Truth Social पर लिखा –
“पिछले चार दिनों से गहन बातचीत चल रही है और तब तक जारी रहेगी जब तक कि एक सफल समझौता न हो जाए।”
ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ ने भी बैठक के बाद कहा – “हमने ट्रंप 21-पॉइंट प्लान अरब नेताओं के सामने रखा। चर्चा बहुत उपयोगी रही।”
आगे का रास्ता
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो यह मध्य-पूर्व में लंबे समय से जारी हिंसा को खत्म करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम होगा। हालांकि, इज़राइल और हमास दोनों की सहमति के बिना इस समझौते का रास्ता आसान नहीं होगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में अरब देश, फ़िलिस्तीन नेतृत्व और इज़राइल इस प्रस्ताव पर क्या रुख अपनाते हैं।
