Health
कार्डियोलॉजिस्ट ने बताया कैसे पहचानें ‘Silent Heart Attack’ के संकेत — इससे पहले कि बहुत देर हो जाए
डॉ. बिमल छाजेर के अनुसार शरीर पहले से चेतावनी देता है, बस ज़रूरत है इन हल्के लेकिन गंभीर संकेतों को पहचानने की।
दिल का दौरा हमेशा अचानक नहीं आता — कई बार शरीर पहले से चेतावनी देने लगता है, लेकिन हम उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं। यही चूक कई ज़िंदगियाँ ले लेती है। ‘Silent Heart Attack’ यानी ऐसा हार्ट अटैक जो बिना स्पष्ट लक्षणों के होता है, सबसे खतरनाक माना जाता है।
इसी विषय पर प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बिमल छाजेर, जो नॉन-इनवेसिव कार्डियोलॉजी के विशेषज्ञ हैं, ने अपनी वेबसाइट Saaol.com पर ब्लॉग लिखा है — “Recognising Pre-Heart Attack Symptoms: What Your Body Is Telling You”। इसमें उन्होंने बताया कि किस तरह शरीर के हल्के संकेत भी कभी-कभी बड़ी बीमारी का इशारा कर रहे होते हैं।

दुनिया में बढ़ती दिल की बीमारियाँ
डॉ. छाजेर के मुताबिक, “दिल की बीमारी दुनिया भर में मौत का सबसे बड़ा कारण बन चुकी है। अगर समय पर इलाज न मिले तो एक मामूली-सा ‘प्रि-हार्ट अटैक’ भी जानलेवा बन सकता है।”
शरीर के शुरुआती संकेत जिन्हें नज़रअंदाज़ न करें
ब्लॉग में डॉ. छाजेर ने लिखा —
“हार्ट अटैक से पहले शरीर कई तरह के चेतावनी संकेत देता है। इन्हें पहचानना ज़रूरी है ताकि समय रहते इलाज हो सके।”
मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:
- सीने में दर्द या भारीपन
- दर्द का हाथ, गर्दन, जबड़े या पीठ तक फैलना
- सांस लेने में तकलीफ़
- ठंडा पसीना आना
- मतली या चक्कर आना
- असामान्य थकान या शरीर में दर्द
उन्होंने चेताया कि अगर किसी को बार-बार थकान महसूस हो रही है या छाती में हल्का दबाव लग रहा है, तो उसे कभी नज़रअंदाज़ न करें।
क्या होता है ‘Pre-Heart Attack’?
डॉ. छाजेर के अनुसार, ‘Pre-Heart Attack’ या ‘Unstable Angina’ तब होता है जब हृदय की धमनियों में Plaque (चर्बी या कोलेस्ट्रॉल का जमाव) से रक्त का प्रवाह बाधित होने लगता है।
इस स्थिति में व्यक्ति को सीने में दबाव, सांस फूलना, या हल्का दर्द महसूस हो सकता है — जो आराम करने पर कम और मेहनत करने पर बढ़ सकता है।
“अगर इस अवस्था में तुरंत ध्यान न दिया गया तो यह एक बड़े हार्ट अटैक में बदल सकती है,” उन्होंने कहा।
साइलेंट हार्ट अटैक – सबसे खतरनाक रूप
Silent Heart Attack में लक्षण बहुत हल्के या बिल्कुल नहीं होते। व्यक्ति को बस थकान, हल्का सीने का दबाव या गैस जैसा दर्द महसूस होता है, जिससे वह डॉक्टर के पास जाने से कतराता है।
डॉ. छाजेर कहते हैं —
“ऐसे मामलों में दिल को स्थायी नुकसान हो सकता है क्योंकि मरीज को यह समझ ही नहीं आता कि उसे हार्ट अटैक हुआ है।”
इसलिए, यदि किसी को अचानक थकान, सांस फूलना, चक्कर या सीने में हल्का दबाव महसूस हो तो तुरंत ECG या Troponin Test जैसी जांच कराना चाहिए।
जीवनशैली में बदलाव ही सबसे बड़ी रोकथाम
डॉ. छाजेर ने अपनी ब्लॉग में यह भी लिखा —

“हार्ट डिजीज से बचने के लिए हमें तेल-मुक्त आहार (Zero-Oil Diet) अपनाना चाहिए, तनाव कम करना चाहिए, और रोज़ाना कम से कम 30 मिनट तक तेज़ चलना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि Smoking, High Cholesterol, और अनियमित नींद दिल की सबसे बड़ी दुश्मन हैं।
विशेषज्ञों की सलाह
दिल की बीमारी केवल बुज़ुर्गों तक सीमित नहीं रही। अब 30-40 की उम्र के युवाओं में भी हार्ट अटैक के केस बढ़े हैं।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं:
- साल में एक बार स्वास्थ्य जांच ज़रूर कराएं।
- संतुलित आहार लें — सब्ज़ियाँ, फल और फाइबर को प्राथमिकता दें।
- तनाव और नींद की कमी को नज़रअंदाज़ न करें।
- रोज़ाना व्यायाम को जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।
निष्कर्ष
साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा इसलिए ज़्यादा है क्योंकि यह ‘शांत’ होता है। लेकिन अगर हम अपने शरीर की भाषा समझ लें — तो हम अपनी जान बचा सकते हैं। जैसा कि डॉ. छाजेर कहते हैं —
“अपने शरीर की सुनिए, क्योंकि आज की सावधानी कल की ज़िंदगी बन सकती है।”
