Entertainment
ट्विंकल खन्ना ने बताया मेनोपॉज़ का दर्द: “मैं थक चुकी हूं, गर्मी से बेहाल हूं और मेरे पति तो बिल्डिंग ढहने पर भी सो जाते हैं”
ट्विंकल खन्ना ने अपने ताज़ा कॉलम में 51 साल की उम्र में झेली जा रही मेनोपॉज़ की चुनौतियों पर खुलकर बात की — हॉट फ्लैशेज़, नाइट स्वेट्स और इमोशनल बदलावों से जूझते हुए उन्होंने बताया कि अब उन्हें पहली बार पुरुषों से ईर्ष्या होती है।
बॉलीवुड एक्ट्रेस से लेखिका बनीं ट्विंकल खन्ना ने अपने लेटेस्ट कॉलम में जिंदगी के उस दौर को बेहद ईमानदारी से बयान किया है, जिससे हर महिला गुजरती है — मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति)।
उन्होंने लिखा कि उन्हें हमेशा लगता था कि 50 की उम्र में वह अपने सच्चे रूप को पहचानेंगी, लेकिन अब यह दौर ‘हॉर्मोन्स खोने वाला समय’ बन गया है।
ट्विंकल खन्ना का खुला बयान
The Times of India में प्रकाशित अपने कॉलम में ट्विंकल ने बताया कि वह इन दिनों हॉट फ्लैशेज़, रातों में पसीना आना, स्किन का पतला होना, हड्डियों की कमजोरी, और यहां तक कि ठोड़ी पर नए बाल आने जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं।
उन्होंने मेनोपॉज़ की तुलना एक ‘चोर’ से की जो न केवल आपका सेफ खोलकर भागता है, बल्कि जाते-जाते फर्नीचर भी अपनी मर्ज़ी से सजा जाता है।

उनके शब्दों में —
“मुझे हॉट फ्लशेज़, नाइट स्वेट्स, स्किन पतली होने और हड्डियों की मजबूती घटने जैसी समस्याएं हैं… अब तो मुझे एक नया ठोड़ी का बाल भी मिला है।”
साउंड सेंसिटिविटी और पति अक्षय कुमार पर चुटकी
ट्विंकल ने बताया कि अब उन्हें तेज़ आवाज़ों से असहजता महसूस होती है। उन्होंने मजाकिया लहजे में लिखा —
“मेरे पति (अक्षय कुमार) तो इमारत गिरने, कुत्तों के भौंकने या छठ पूजा के पटाखों तक के बीच भी चैन से सो सकते हैं… और मैं? मैं तो रातभर करवटें बदलती रहती हूं।”
उन्होंने कहा कि अब उन्हें पुरुषों से पहली बार ईर्ष्या होती है, क्योंकि उनके हॉर्मोन उन्हें कभी नहीं छोड़ते।
“हमारे हॉर्मोन तो IIT ग्रेजुएट्स की तरह हैं — जो सिलिकॉन वैली की ओर पलायन कर जाते हैं।”
“मेरा शरीर और मैं अब टीम नहीं रहे”
ट्विंकल ने आगे लिखा कि पहले उनका शरीर उनके साथ था, लेकिन अब यह अनचाहे बदलावों से गुजर रहा है।

“पहले मेरा शरीर और मैं एक टीम थे। अब यह अपनी मर्ज़ी से काम कर रहा है — पसीना बहाने के लिए मुझे कार्डियो की ज़रूरत नहीं और गुस्सा आने के लिए किसी कारण की।”
मेनोपॉज़ पर समाज की चुप्पी
ट्विंकल ने समाज में मेनोपॉज़ पर चुप्पी और टैबू पर भी सवाल उठाया।
उन्होंने कहा कि महिलाएं इस दौर से चुपचाप गुजर जाती हैं जबकि इस पर खुलकर बातचीत और समझ की जरूरत है।
उन्होंने पाठकों को यह भी याद दिलाया कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, न कि किसी शर्म या कमजोरी का विषय।
WHO का दृष्टिकोण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मेनोपॉज़ वह अवस्था है जब महिलाओं के अंडाशय फॉलिकलर फंक्शन खो देते हैं और अंडे बनना बंद हो जाते हैं।
इस दौरान शरीर में हॉट फ्लैशेज़, नींद में परेशानी, भावनात्मक उतार-चढ़ाव, और हॉर्मोनल असंतुलन जैसे लक्षण आम होते हैं।
निष्कर्ष
ट्विंकल खन्ना का यह कॉलम सिर्फ एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं बल्कि लाखों महिलाओं की आवाज़ है जो इस दौर में अपने भीतर के बदलावों से गुजरती हैं।
उनकी यह ईमानदारी समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि मेनोपॉज़ पर बातचीत की शुरुआत अब जरूरी है।
