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संयुक्त राष्ट्र में ट्रंप का बड़ा आरोप रूस-यूक्रेन युद्ध को भारत और चीन तेल खरीदकर फंड कर रहे हैं
अमेरिका ने भारत पर लगाया 50% टैरिफ भारत बोला ये अनुचित और अव्यावहारिक है राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेंगे
अमेरिका और रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया विवाद छिड़ गया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संबोधन के दौरान भारत और चीन पर बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि रूस से तेल खरीदकर ये दोनों देश इस युद्ध को “फंड” कर रहे हैं।
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ट्रंप का सीधा आरोप
ट्रंप ने अपने भाषण में कहा, “चीन और भारत रूस का तेल खरीदना जारी रखकर इस युद्ध के प्रमुख फंडर बन गए हैं। यहां तक कि नाटो (NATO) देश भी रूसी ऊर्जा खरीदना बंद नहीं कर पाए, जो बेहद शर्मनाक है।”
उन्होंने आगे कहा कि यदि रूस युद्ध खत्म करने के लिए तैयार नहीं होता, तो अमेरिका और भी कड़े टैरिफ लगाने के लिए तैयार है। ट्रंप ने यूरोपीय देशों को भी चेतावनी दी कि अगर वे रूस से ऊर्जा खरीद जारी रखते हैं, तो यह खुद उनके खिलाफ युद्ध को फंड करने जैसा होगा।
भारत पर अमेरिका का दबाव
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत के आयात पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया है। इससे भारत पर कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया है, जो दुनिया में सबसे ऊंचे स्तरों में गिना जा रहा है। यह टैरिफ सीधे तौर पर भारत की रूसी तेल खरीद से जुड़ा है।

भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
नई दिल्ली ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत सरकार का कहना है कि ये टैरिफ “अनुचित और अव्यावहारिक” हैं। विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए हर ज़रूरी कदम उठाएगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक राजनीति
ट्रंप ने अपने भाषण में यह भी कहा कि यूरोपीय देशों को तुरंत रूस से ऊर्जा खरीदना बंद करना चाहिए, नहीं तो सभी देश मिलकर “बहुत समय बर्बाद” कर रहे हैं। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, “सोचिए, वे रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं, जबकि रूस से ही लड़ाई भी कर रहे हैं। यह बेहद शर्मनाक है।”
भारत के लिए चुनौतीपूर्ण समय
भारत इस समय दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातकों में से एक है। रूस से सस्ता तेल खरीदना भारत के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद रहा है, लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव ने इसे राजनीतिक चुनौती बना दिया है। वहीं विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों और रणनीतिक स्वायत्तता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है।
आगे की राह
ट्रंप के बयानों के बाद भारत और अमेरिका के रिश्तों पर असर पड़ सकता है। हालांकि ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका भारत के साथ अपने रिश्ते और ऊर्जा सहयोग को मजबूत करना चाहता है। अब देखना होगा कि आने वाले महीनों में दोनों देशों के बीच यह टकराव सहयोग में बदलता है या तनाव और गहराता है।
