Cricket
सुनील गावस्कर ने महिला वर्ल्ड कप जीत को 1983 से अलग बताया, कहा- ‘कुछ ने इस जीत की तुलना पुरुषों की जीत से की’
सुनील गावस्कर ने महिला क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक जीत को सराहा, लेकिन इसे 1983 के पुरुष वर्ल्ड कप से तुलना करना बताया गलत
सुनील गावस्कर, भारतीय क्रिकेट के दिग्गज और पूर्व कप्तान, ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम की वर्ल्ड कप 2025 जीत को ऐतिहासिक और अभूतपूर्व बताया, लेकिन उन्होंने इसे 1983 में भारतीय पुरुष टीम की वर्ल्ड कप जीत से तुलना करने पर सवाल उठाया।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार महिला वर्ल्ड कप जीता। इससे पहले, महिला टीम दो बार 2005 और 2017 में फाइनल में पहुंची थी, लेकिन वह खिताब से चूक गई थी। आठ साल बाद, हर्मनप्रीत कौर की कप्तानी में यह टीम ने भारतीय महिला क्रिकेट को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया।
गावस्कर का मानना है कि हालांकि दोनों जीतें ऐतिहासिक हैं, लेकिन इनकी परिस्थितियां अलग हैं। उन्होंने “द स्पोर्टस्टार” के लिए अपने कॉलम में लिखा,
“कुछ लोगों ने इस जीत की तुलना 1983 में पुरुष टीम की जीत से की, लेकिन उस समय पुरुष टीम ने पहले कभी ग्रुप स्टेज से आगे नहीं बढ़ी थी। 1983 की जीत उनके लिए बिल्कुल नया अनुभव था, जबकि महिला टीम पहले भी दो बार फाइनल में पहुंच चुकी थी।”

1983 और महिला टीम की जीत में अंतर
गावस्कर ने यह भी बताया कि 1983 की जीत ने भारतीय क्रिकेट को एक नया आकार दिया था, जबकि भारतीय महिला टीम ने पहले से ही बेहतर रिकॉर्ड हासिल किया था।
“महिला टीम के पास पहले से एक शानदार ट्रैक रिकॉर्ड था, खासकर 2005 और 2017 में। जबकि पुरुष टीम को 1983 में बिल्कुल नए अनुभव का सामना करना पड़ा।”
गावस्कर का कहना है कि महिला टीम की यह जीत बहुत ही ऐतिहासिक है और यह भारतीय महिला क्रिकेट के लिए एक नया युग शुरू करेगी।
उन्होंने आगे कहा,
“यह जीत न सिर्फ भारतीय क्रिकेट को, बल्कि विश्व महिला क्रिकेट को भी एक नई दिशा देगी। यह दूसरे देशों को यह एहसास कराएगी कि अब उनका वर्चस्व खतरे में है।”

महिला क्रिकेट के भविष्य के लिए एक नई शुरुआत
गावस्कर का मानना है कि 1983 में पुरुषों की वर्ल्ड कप जीत ने भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा दी थी और अब यह जीत भारतीय महिला क्रिकेट के लिए एक नया अध्याय खोलेगी।
“1983 की जीत ने न केवल क्रिकेट को एक नई पहचान दिलाई थी, बल्कि इसने भारत के माता-पिता को प्रेरित किया कि वे अपने बच्चों को क्रिकेट खेलने की अनुमति दें। अब, महिला क्रिकेट की इस जीत से माता-पिता अपनी बेटियों को क्रिकेट में करियर बनाने के लिए प्रेरित होंगे।”
महिला आईपीएल का प्रभाव
गावस्कर ने यह भी कहा कि WPL (Women’s Premier League) ने पहले ही महिला क्रिकेट में क्रांतिकारी बदलाव लाने की शुरुआत कर दी है। अब, माता-पिता अपनी बेटियों को खेल के लिए प्रोत्साहित करने लगे हैं।
“WPL ने यह प्रक्रिया शुरू कर दी है, और अब भारत के दूर-दराज के इलाकों से भी लड़कियां क्रिकेट में अपनी जगह बना रही हैं।”
