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छत गिरने से दब गई 14 साल की प्रिया गांव वालों का फूटा गुस्सा बोले– मीना मैडम की लापरवाही से गई जान
बच्चों ने पहले ही कर दी थी चेतावनी लेकिन स्कूल की कुंडी लगाकर डांटते रहे शिक्षक, छत गिरी और मलबे में दबे 30 से ज्यादा बच्चे

गांव के सरकारी स्कूल में जो हादसा हुआ, उसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। छत गिरने से 14 साल की बच्ची प्रिया की मौत हो गई और कई बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए। परिजन का साफ आरोप है कि यह दुर्घटना लापरवाही का नतीजा है, और सबसे बड़ी जिम्मेदार हैं – मीना मैडम।
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परिजनों के मुताबिक, एक छोटे बच्चे ने पहले ही चेतावनी दी थी कि छत से कंकर गिर रहे हैं और वह गिरने वाली है। लेकिन मीना मैडम ने उस बच्चे को डांटा और गेट की कुंडी लगा दी। बच्चों को बाहर निकलने से रोका गया और उन्हें डांट-फटकार कर कमरे में बंद कर दिया गया।
जब छत गिरी, तो सब कुछ मलबे में तब्दील हो गया। पानी भी भरा हुआ था, जिससे कई बच्चों की हालत और गंभीर हो गई।

प्रिया के परिजनों ने भावुक होकर कहा, “प्रिया अब शांत हो चुकी है। हमारी भतीजी थी। जो बच्चे अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनके परिवार को एक-एक करोड़ रुपये मिलना चाहिए और किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी। जो घायल हैं, उन्हें भी लाखों रुपये की मदद मिलनी चाहिए।”
गांव वालों का कहना है कि यह कोई अचानक हुआ हादसा नहीं था। उन्होंने पहले ही प्रशासन को स्कूल की जर्जर हालत की शिकायत की थी। “हमने पांच-छह दिन पहले सरकार से शिकायत की थी कि स्कूल में पानी भर रहा है, छत कमजोर है। फिर भी बच्चों को बैठा दिया गया।”
प्रशासन और पंचायत को जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। गांव वालों ने खुद बच्चों को मलबे से बाहर निकाला। उन्होंने ईंटें, लकड़ियां, पट्टियां हटाकर बच्चों को बाहर निकाला।
इस दर्दनाक हादसे के वक्त क्लासरूम में 30–35 बच्चे मौजूद थे। परिजन और गांववाले आज सवाल कर रहे हैं – “अगर पहले ही चेतावनी मिल चुकी थी, तो बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ क्यों किया गया।
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