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लाल किले ब्लास्ट केस में नई सनसनी: अल फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को दिल्ली पुलिस का समन
UGC व NAAC द्वारा उठाए गए गंभीर सवालों के बाद दिल्ली क्राइम ब्रांच ने अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट और उससे जुड़े दस्तावेज़ों की जांच तेज की।
दिल्ली के लाल किले के बाहर 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया था। अब जांच एक नए मोड़ पर पहुंची है। दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने अल फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन और संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी को समन जारी किया है।
ये समन उन अनियमितताओं और कथित धोखाधड़ी के आरोपों के मद्देनज़र भेजा गया है, जिन्हें UGC (University Grants Commission) और NAAC (National Assessment and Accreditation Council) ने हाल ही में चिन्हित किया है।
क्राइम ब्रांच के मुताबिक, सिद्दीकी से उस दस्तावेज़ी साक्ष्य के साथ पेश होने को कहा गया है, जो अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की फंडिंग, मान्यता और संचालन से जुड़े हैं। इसी ट्रस्ट के अंतर्गत नौ संस्थान कार्यरत हैं, जिनमें अल फलाह मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन भी शामिल है — वह जगह जहां ब्लास्ट के आरोपियों उमर नाबी और मुसम्मिल गणाई ने काम किया था।
जांच पहुंची अल फलाह के मुख्यालय तक
शनिवार को क्राइम ब्रांच की एक टीम ने दिल्ली के ओखला स्थित यूनिवर्सिटी मुख्यालय का दौरा किया। टीम ने प्रशासनिक रिकॉर्ड, नियुक्ति प्रक्रियाओं, फंडिंग और अकादमिक दस्तावेज़ों से जुड़ी फाइलें खंगालीं।
सूत्रों के अनुसार, कई दस्तावेज़ों में विसंगतियां मिली हैं, जिन्हें UGC और NAAC पहले ही चिन्हित कर चुके थे। जांच अब इस बात पर केंद्रित है कि कहीं यूनिवर्सिटी या उसके ट्रस्ट के संसाधनों का आतंक-समर्थक गतिविधियों में उपयोग तो नहीं हुआ था।

पुलवामा-फ़रीदाबाद कनेक्शन की भी जांच
जांच एजेंसियों के सूत्र मानते हैं कि ब्लास्ट मामले में फ़रीदाबाद-पुलवामा कनेक्शन के कुछ संकेत मिले हैं। इसी कारण उन सभी संस्थानों की गतिविधियों की जांच की जा रही है, जो आरोपी कर्मचारियों से संबंधित थे।
समन के बाद बढ़ी हलचल
जावेद अहमद सिद्दीकी को समन जारी होने के बाद यूनिवर्सिटी कैंपस और ट्रस्ट के दफ्तरों में हलचल बढ़ गई है। फिलहाल सिद्दीकी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन जांच एजेंसियां मामले को बेहद गंभीरता से देख रही हैं।
इधर, सुरक्षा एजेंसियां यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि आरोपी उमर और मुसम्मिल ने यूनिवर्सिटी में रहते हुए किन नेटवर्क्स के साथ संपर्क बनाए थे और क्या किसी और संस्था या व्यक्ति की इसमें भूमिका थी।
मामला और गहराया, जांच जारी
ब्लास्ट के बाद से दिल्ली और आसपास के इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जबकि क्राइम ब्रांच की टीमें इस केस को सिर्फ एक विस्फोट के रूप में नहीं, बल्कि एक संभावित बड़े आतंकी ऑपरेशन से जुड़े सुराग के तौर पर देख रही हैं।
जांच आगे बढ़ने के साथ कई और खुलासे होने की संभावना है।
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