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मनोज तिवारी का बड़ा खुलासा वीरेंद्र सहवाग ने किया बलिदान MS धोनी पर फिर उठाए सवाल
पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी बोले सहवाग ने त्याग कर दिलाई जगह लेकिन धोनी के पक्षपात ने किया अन्याय
भारतीय क्रिकेट में अक्सर चयन और कप्तानी को लेकर विवाद सामने आते रहे हैं। अब पूर्व बल्लेबाज़ और बंगाल के खेल मंत्री मनोज तिवारी ने एक बार फिर अपने करियर से जुड़ा बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि अगर वीरेंद्र सहवाग उनका साथ न देते तो शायद उन्हें कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतक लगाने का मौका न मिलता।
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सहवाग का त्याग
तिवारी ने बताया कि 2011 में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ सीरीज़ में जब सहवाग ने दोहरा शतक जड़ा था, उसके बाद भी उन्होंने अपनी जगह छोड़कर उन्हें मौका दिया। सहवाग ने खुद कप्तान गौतम गंभीर को कहा कि मनोज को नंबर-4 पर बल्लेबाज़ी करनी चाहिए। तिवारी ने उसी पारी में शानदार शतक लगाया और ‘मैन ऑफ द मैच’ बने।
तिवारी ने कहा – “वीरू पाजी ने मुझसे पूछा कि तुमने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कहाँ बल्लेबाज़ी की है। मैंने कहा नंबर-4 पर। तो उन्होंने कहा यही तुम्हारी जगह है और तुम वहीं खेलोगे। उनका यही भरोसा मेरे करियर का टर्निंग प्वाइंट था।”
धोनी पर निशाना
मनोज तिवारी ने पहले भी कई बार महेंद्र सिंह धोनी पर पक्षपात का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि शतक लगाने के बावजूद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। तिवारी के मुताबिक यह “अन्याय” उनके पूरे करियर पर भारी पड़ा।
उन्होंने कहा – “सहवाग हमेशा मेरा साथ देते रहे। लेकिन धोनी के कार्यकाल में मुझे वह सपोर्ट नहीं मिला जिसकी मुझे ज़रूरत थी। कई मौकों पर मुझे बिना वजह टीम से बाहर कर दिया गया।”
विवादों का इतिहास
यह पहला मौका नहीं है जब तिवारी ने धोनी को लेकर सवाल उठाए हों। इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि चयन में फेवरिट खिलाड़ियों को प्राथमिकता दी जाती थी और कई प्रतिभाशाली क्रिकेटरों का करियर बर्बाद हुआ।
भारतीय क्रिकेट इतिहास में यह बहस हमेशा रही है कि बड़े खिलाड़ियों की मौजूदगी में नए खिलाड़ियों को पर्याप्त मौके नहीं मिलते। मनोज तिवारी का उदाहरण इसका ताज़ा नमूना है।
सीख और सबक
जहाँ एक ओर धोनी की कप्तानी में भारत ने 2007 टी20 वर्ल्ड कप, 2011 वनडे वर्ल्ड कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी जीतीं, वहीं दूसरी ओर तिवारी जैसे खिलाड़ियों का करियर छोटा रह गया। उनका यह बयान फिर से इस बहस को हवा देता है कि टीम इंडिया में “योग्यता बनाम पक्षपात” की चर्चा क्यों बार-बार उठती है।
