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कारगिल विजय दिवस 2025: जब टाइगर हिल पर तिरंगा लहराया, दुश्मन के होश उड़ गए
26वीं वर्षगांठ पर द्रास में श्रद्धांजलि कार्यक्रम, शहीदों की वीरगाथा को किया गया याद, ऑपरेशन सिंदूर से फिर गूंजा पराक्रम

जैसे ही कारगिल की वीरान चोटियों पर सूरज की पहली किरणें पड़ीं, पूरे देश की निगाहें उन वीर सपूतों पर टिक गईं जिन्होंने 26 साल पहले भारत की संप्रभुता को दुश्मन के चंगुल से आज़ाद कराया था। कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ महज़ एक तारीख नहीं, बल्कि हर भारतीय के दिल में धड़कती वीरता की जीवंत गाथा है।
लद्दाख के द्रास सेक्टर में इस अवसर पर सेना द्वारा दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसमें 1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी जा रही है। देशभर से जुटे सैनिक, परिजन और नागरिक इस दिन को वीरता, बलिदान और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में मना रहे हैं।

5 मई 1999 को जब पाकिस्तान ने कारगिल की पहाड़ियों में घुसपैठ की, तो किसी ने नहीं सोचा था कि आने वाले 84 दिनों में भारत के इतिहास की एक सबसे वीरगाथा लिखी जाएगी। टाइगर हिल, टोलोलिंग और बत्रा हिल जैसी ऊंची चोटियों पर कब्जा जमाए बैठे दुश्मनों को भारत के रणबांकुरों ने पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
इस युद्ध में 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए, जिनमें कैप्टन विक्रम बत्रा, मेजर सौरभ कालिया, मेजर पद्मपाणी आचार्य जैसे अद्वितीय नायक शामिल थे। उनका बलिदान आज भी हर भारतीय के दिल को गर्व और नम्रता से भर देता है।

इस वर्ष कारगिल विजय दिवस का थीम है – “वीरता को कैसे संजो कर रखा जाए और राष्ट्र निर्माण में कैसे लोगों को प्रेरित किया जाए।” वीरता की इसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए, केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडवीय इस आयोजन में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए, वहीं रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने पद यात्रा में भाग लिया।
द्रास स्थित वॉर मेमोरियल पर आयोजित समारोह में बीटिंग द रिट्रीट, तोपों की सजावट, कैंडल लाइट श्रद्धांजलि और परेड जैसी गतिविधियों ने माहौल को भावुक और गर्व से भरा बना दिया। स्मारक पर अंकित शहीदों के नाम हर आने वाले को यह संदेश देते हैं कि देश के लिए जान देने वाले कभी नहीं मरते, वे इतिहास में अमर हो जाते हैं।
कारगिल युद्ध करीब 11000 फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया, जहां सांस लेना तक कठिन था। फिर भी भारत के जवान पीछे नहीं हटे। आज जब ऑपरेशन सिंदूर जैसी हालिया सैन्य कार्रवाइयां होती हैं, तो कारगिल की वीरता फिर से गूंजती है। पूरा देश आज इन वीरों को नमन कर रहा है, जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
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