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‘कन्नड़ तमिल से जन्मा है’ वाले बयान पर कमल हासन की बढ़ी मुश्किलें, बेंगलुरु कोर्ट ने लगाया बयानबाज़ी पर रोक
Thug Life के प्रमोशन इवेंट में कन्नड़ भाषा पर विवादित टिप्पणी करने वाले अभिनेता को कोर्ट का नोटिस, अगली सुनवाई 30 अगस्त को

दक्षिण भारत के दिग्गज अभिनेता और राजनीतिक हस्ती कमल हासन इन दिनों अपनी फिल्म Thug Life से ज्यादा, अपने विवादित बयान के कारण सुर्खियों में हैं। बीते महीने बेंगलुरु में फिल्म के प्रमोशन के दौरान उन्होंने कहा था – “कन्नड़ तमिल से जन्मा है”, जिसके बाद से बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा।
अब बेंगलुरु की एक सिविल अदालत ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कमल हासन पर कन्नड़ भाषा, साहित्य, संस्कृति और भूमि के खिलाफ कोई भी बयान देने या पोस्ट करने पर रोक लगा दी है।
क्या कहा कोर्ट ने?
4 जुलाई को बेंगलुरु सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश ने इस मामले में अंतरिम आदेश जारी किया। यह आदेश कन्नड़ साहित्य परिषद (Kannada Sahitya Parishat) के अध्यक्ष महेश जोशी द्वारा दायर सिविल सूट के बाद आया, जिसमें कमल हासन को “अपमानजनक टिप्पणी करने से रोकने” की मांग की गई थी।
अदालत ने साफ तौर पर कहा –
“कमल हासन अब से कन्नड़ भाषा या उसकी सांस्कृतिक जड़ों के विरुद्ध कोई भी बयान, लेख या पोस्ट नहीं कर सकते। न ही वे किसी अन्य भाषा को कन्नड़ पर श्रेष्ठ बताने का दावा कर सकते हैं।”
अदालत ने अभिनेता को 30 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का समन भी जारी किया है।
Thug Life पर भी पड़ा असर
मणि रत्नम के निर्देशन में बनी फिल्म Thug Life, जिसमें सिलंबरासन, त्रिशा कृष्णन और ऐश्वर्या लेख्मी जैसे सितारे नजर आए, पहले ही कर्नाटक में रिलीज़ नहीं हो सकी थी। कारण था कमल हासन का विवादित बयान और उसके बाद माफी न मांगने की जिद।
जब मामला बढ़ा, तो Thug Life के निर्माताओं और कमल हासन ने उच्च न्यायालय का रुख भी किया, लेकिन तब तक कर्नाटक में फिल्म को लेकर विरोध तेज़ हो चुका था। परिणामस्वरूप, फिल्म को वहां के सिनेमाघरों से हटा दिया गया। वैसे भी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई।
विवाद की जड़ क्या थी?
प्रमोशन इवेंट में कमल हासन ने जब यह कहा कि “कन्नड़ तमिल से जन्मी है”, तो यह कथन कन्नड़ समर्थक संगठनों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं को बहुत नागवार गुज़रा। जब उनसे इस पर सफाई मांगी गई, तो उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया। यहीं से विवाद ने कानूनी रूप ले लिया।
सोशल मीडिया पर गरमाया मुद्दा
कई कन्नड़ संगठनों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने कमल हासन के बयान को “भाषायी अहंकार” बताया और उनके खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया।
अब जब कोर्ट ने बयानबाज़ी पर रोक लगा दी है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि कमल हासन इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं — खासकर तब, जब वो खुद एक राजनीतिक पार्टी Makkal Needhi Maiam के प्रमुख हैं और राजनीतिक बयानबाज़ी में काफी सक्रिय रहते हैं।