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ट्रम्प पर बरसे जॉन बोल्टन भारत पर टैरिफ लगाकर अमेरिका ने खोया बड़ा रणनीतिक मौका
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा ट्रम्प ने रूस और चीन को छोड़कर भारत को किया निशाना, जिससे बिगड़ी रणनीतिक संतुलन की तस्वीर
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने एक बार फिर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर तीखा हमला बोला है। बोल्टन ने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा कि भारत पर अमेरिकी टैरिफ लगाने से ट्रम्प प्रशासन ने “बड़ा रणनीतिक अवसर” खो दिया।
बोल्टन का आरोप है कि ट्रम्प ने भारत के खिलाफ कठोर कदम उठाते हुए रूस और चीन को नज़रअंदाज़ किया। उन्होंने कहा—
“ट्रम्प ने भारत को रूसी तेल खरीदने पर सज़ा दी, लेकिन रूस को नहीं। चीन जिसने भारत से कहीं ज़्यादा तेल खरीदा, उसे भी ट्रम्प ने छोड़ दिया।”
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भारत पर ऊंचा टैरिफ
ट्रम्प प्रशासन ने हाल ही में भारत से आने वाले आयात पर 50% तक का टैरिफ लगाया है। इनमें से करीब 25% टैरिफ सीधे तौर पर भारत के रूस से कच्चा तेल और गैस खरीदने से जुड़े हैं। ट्रम्प का आरोप है कि भारत सस्ते तेल के ज़रिए रूस की “युद्ध मशीनरी” को मज़बूत कर रहा है और यह यूक्रेन युद्ध में रूस को अप्रत्यक्ष मदद है।

बोल्टन का कड़ा रुख
बोल्टन, जो ट्रम्प प्रशासन के दौरान व्हाइट हाउस का हिस्सा रहे लेकिन बाद में उनके कट्टर आलोचक बन गए, ने कहा कि ट्रम्प का ध्यान केवल व्यापार पर था और उन्होंने एशिया की रणनीतिक तस्वीर को पूरी तरह से भुला दिया।
“उनकी पॉलिसी ने दशकों की मेहनत को नुकसान पहुंचाया। अमेरिका लगातार भारत को मास्को से दूर करने की कोशिश कर रहा था और चीन के बढ़ते ख़तरे पर रणनीतिक संतुलन बना रहा था, लेकिन ट्रम्प के टैरिफ ने सब बिगाड़ दिया,” बोल्टन ने कहा।
हां-में-हां मिलाने वाले सलाहकार
बोल्टन ने यह भी आरोप लगाया कि ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल में ऐसे सलाहकारों को साथ रखा जो सिर्फ “हाँ” कहते थे। उन्होंने कहा कि यह अमेरिकी राजनीति के लिए असामान्य स्थिति थी।
“अमेरिकी राजनीति में ट्रम्प जैसा कुछ पहले कभी नहीं हुआ, और उम्मीद है आगे कभी नहीं होगा,” बोल्टन ने कटाक्ष किया।
भारत की संयमित रणनीति
बोल्टन ने भारत की नीति की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि ट्रम्प जैसे नेताओं से निपटने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि बहस और टकराव में न फंसा जाए। यही कारण है कि भारत ने टैरिफ विवादों में संयमित रुख अपनाया।
आगे की तस्वीर
भारत पर टैरिफ का असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ सकता है। जहां अमेरिका का दावा है कि भारत रूसी तेल खरीदकर युद्ध को हवा दे रहा है, वहीं भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों और रणनीतिक हितों का हवाला देकर इसे जायज़ ठहरा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ता है तो इसका सीधा असर एशिया में अमेरिका की रणनीतिक स्थिति पर पड़ेगा।
