Connect with us

India News

‘शर्म से सिर झुक गया’: जावेद अख्तर भड़के, बोले – भारत में तालिबान मंत्री का स्वागत देखकर दुख हुआ

जावेद अख्तर ने कहा – “तालिबान दुनिया का सबसे ख़तरनाक आतंकी संगठन है, और भारत में उसके प्रतिनिधि का सम्मान होना शर्मनाक है।”

Published

on

“जावेद अख्तर बोले – तालिबान के मंत्री को भारत में सम्मान देना शर्मनाक, देवबंद के स्वागत पर जताई नाराज़गी”
जावेद अख्तर बोले – तालिबान के मंत्री को भारत में सम्मान देना शर्मनाक, देवबंद के स्वागत पर जताई नाराज़गी

मशहूर गीतकार, पटकथा लेखक और कवि जावेद अख्तर ने भारत में तालिबान मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की यात्रा पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ऐसे समूह का प्रतिनिधि, जिसने लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाया और आतंक को बढ़ावा दिया, उसे भारत में ‘सम्मानित अतिथि’ की तरह स्वागत मिलना “शर्मनाक” है।

सोमवार को जावेद अख्तर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा —

“मैं शर्म से सिर झुका लेता हूं जब देखता हूं कि दुनिया के सबसे ख़तरनाक आतंकी संगठन तालिबान के प्रतिनिधि को भारत में जो इज़्ज़त और स्वागत दिया गया है, वह उन्हीं लोगों के हाथों है जो आतंकवाद के हर रूप के खिलाफ़ भाषण देते हैं।”
“जावेद अख्तर बोले – तालिबान के मंत्री को भारत में सम्मान देना शर्मनाक, देवबंद के स्वागत पर जताई नाराज़गी”

देवबंद में मुत्ताकी का ‘सम्मानजनक स्वागत’

तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित दारुल उलूम देवबंद का दौरा किया, जहाँ उनका पारंपरिक सम्मान के साथ स्वागत किया गया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, देवबंद में मुत्ताकी के स्वागत के लिए फूलों की वर्षा की गई, और कई छात्र उनके साथ सेल्फी लेते नज़र आए। स्वागत समारोह का संचालन मौलाना मुफ्ती अबुल क़ासिम नोमानी, देवबंद मदरसे के रेक्टर, ने खुद किया।

इस दौरान 15 प्रमुख इस्लामी विद्वानों की एक टीम को तालिबान मंत्री के स्वागत के लिए नियुक्त किया गया था, और क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम भी किए गए थे।


जावेद अख्तर का तीखा बयान

अख्तर ने देवबंद मदरसे की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने लिखा —

“देवबंद को भी शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने अपने तथाकथित ‘इस्लामिक हीरो’ का इतना आदर किया — वही लोग जिन्होंने अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा पर पूरी तरह पाबंदी लगा रखी है। मेरे भारतीय भाइयों और बहनों, आखिर हमारे साथ क्या हो रहा है?”

उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भारी बहस शुरू हो गई। कई लोगों ने अख्तर के विचारों का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इसे ‘राजनैतिक टिप्पणी’ करार दिया।


“जावेद अख्तर बोले – तालिबान के मंत्री को भारत में सम्मान देना शर्मनाक, देवबंद के स्वागत पर जताई नाराज़गी”


मुत्ताकी की भारत यात्रा और विवाद

तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी, जो संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची में शामिल हैं, भारत की छह दिन की यात्रा पर आए थे। उन्हें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति से अस्थायी यात्रा छूट मिली थी ताकि वे इस दौरे में शामिल हो सकें।

इस दौरान मुत्ताकी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से नई दिल्ली में मुलाकात की — जो 2021 में तालिबान शासन आने के बाद भारत और तालिबान के बीच पहली उच्च-स्तरीय कूटनीतिक बातचीत थी।

उन्होंने भारत की सराहना करते हुए कहा कि, “हाल ही में आए भूकंप के बाद भारत ने सबसे पहले मदद भेजी, इसके लिए हम आभारी हैं। भारत हमारे लिए एक करीबी दोस्त है, और हम पारस्परिक सम्मान व व्यापारिक रिश्तों को मज़बूत करना चाहते हैं।”

हालांकि, मुत्ताकी की यात्रा विवादों से भी घिरी रही। भारत में उनकी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को प्रवेश नहीं दिया गया, जिसके बाद भारी आलोचना हुई। दो दिन बाद दोबारा प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई जिसमें 12 से अधिक महिला पत्रकारों को बुलाया गया। मुत्ताकी ने इसे “तकनीकी गलती” बताया।


भारत में आलोचना और सवाल

कई बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया है कि क्या भारत को ऐसे संगठन के साथ आधिकारिक संवाद करना चाहिए जो महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा को लेकर अत्याचार के लिए जाना जाता है।

वहीं, विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत अफगानिस्तान में मानवीय सहायता और क्षेत्रीय स्थिरता के हित में संवाद बनाए रखे हुए है।

लेकिन जावेद अख्तर जैसे कलाकार और चिंतक का यह बयान इस बहस को और गहराई तक ले गया है — कि क्या “राजनयिक रिश्तों” के नाम पर मानवीय मूल्य कुर्बान किए जा सकते हैं?

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *