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क्रिकेट

IND vs ENG: बुमराह ने अकेले संभाला मोर्चा लेकिन सवाल उठाता भारत का पेस अटैक

हेडिंग्ले टेस्ट में बुमराह ने किया अंग्रेजों पर कहर, लेकिन दूसरे छोर से कोई दमदार सपोर्ट नजर नहीं आया

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हेडिंग्ले टेस्ट में जसप्रीत बुमराह का तूफानी स्पेल — लेकिन दूसरा छोर रहा कमजोर
हेडिंग्ले टेस्ट में जसप्रीत बुमराह का तूफानी स्पेल — लेकिन दूसरा छोर रहा कमजोर

इंग्लैंड के खिलाफ हेडिंग्ले टेस्ट में जसप्रीत बुमराह ने जिस अंदाज में अंग्रेज बल्लेबाजों की कमर तोड़ी, उसने भारतीय फैंस का दिल जीत लिया। बुमराह की अगुवाई में गेंदबाजी ने कई बार इंग्लैंड को दबाव में डाला। 24.5 ओवर में 83 रन देकर 5 विकेट लेना किसी ग्लैडिएटर जैसा ही काम था। इंग्लिश मीडिया भी उनके आगे नतमस्तक नजर आया—BBC ने उन्हें ‘संपूर्ण तेज गेंदबाज’ बताया, तो डेली मेल ने लिखा कि ‘बुमराह ने मैदान में महानता की परिभाषा बदल दी।’

पर तस्वीर का एक और पहलू भी है। बुमराह के इस शानदार प्रदर्शन के बावजूद, यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या भारत सिर्फ उनके भरोसे टेस्ट सीरीज जीत सकता है? हेडिंग्ले में सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा और शार्दूल ठाकुर के प्रदर्शन ने ये चिंता और गहरी कर दी है।


पेस अटैक में खामियां

भारत के तेज गेंदबाजों में बुमराह को छोड़ दें तो कोई भी स्थायी प्रभाव नहीं छोड़ पाया। सिराज ने मेहनत जरूर की, लेकिन उनकी गेंदों में न वो धार दिखी, न विविधता। उन्होंने ज्यादातर एक ही लाइन-लेंथ पर भरोसा किया। प्रसिद्ध कृष्णा को तीन विकेट जरूर मिले पर उनकी इकॉनोमी और अनुभव दोनों ही कमजोर कड़ी साबित हुए। शार्दूल ठाकुर को कप्तान शुभमन गिल ने सिर्फ 6 ओवर थमाए, जिससे साफ पता चलता है कि उन पर कितना भरोसा किया जा रहा है।


भविष्य की चिंता

सबसे बड़ी चिंता यह है कि बुमराह का वर्कलोड पहले से ही लिमिटेड है। उनका शरीर और कमर की सर्जरी अब उन्हें हर टेस्ट में पूरा ओवर डालने की छूट नहीं देती। यह पहले से तय है कि वह सीरीज में सिर्फ तीन टेस्ट खेलेंगे। ऐसे में जब वह रेस्ट पर होंगे तब स्ट्राइक बॉलर कौन बनेगा? प्रसिद्ध कृष्णा, सिराज, या फिर युवा आकाश दीप और अर्शदीप? किसी के पास अनुभव और विविधता का वो पैकेज नहीं जो इंग्लैंड में जीत दिला सके।


पिचें हैं सीमर फ्रेंडली, पर हाथ मजबूत नहीं

हेडिंग्ले जैसी पिचों पर भारतीय तेज गेंदबाजों के पास रन बनाने से ज्यादा जरूरी है 20 विकेट चटकाना। लेकिन बुमराह के अलावा बाकी गेंदबाजों की सीम मूवमेंट और पेस में वह दम नहीं दिखा। जब बुमराह नहीं होंगे, तब भारत का पेस अटैक कहां खड़ा होगा—ये सवाल अब हर क्रिकेट फैन और एक्सपर्ट को परेशान कर रहा है।


प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती

टीम मैनजमेंट को तुरंत सिराज, कृष्णा और अन्य तेज गेंदबाजों के साथ रणनीति पर काम करना होगा। जरूरत पड़ी तो नए गेंदबाजों को मौका देना होगा ताकि बुमराह के कंधों से सारा भार कम हो सके। वरना इंग्लैंड में जीत का सपना अधूरा रह जाएगा।

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