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फीफा प्रमुख जियानी इन्फेंटिनो बोले फुटबॉल बने शांति का संदेशवाहक, “राजनीति नहीं सुलझा सकता पर जोड़ सकता है दुनिया को”
इज़राइल को सस्पेंड करने की मांग के बीच फीफा अध्यक्ष जियानी इन्फेंटिनो ने कहा — “फुटबॉल का असली मकसद एकता और शांति को बढ़ावा देना है, न कि राजनीतिक विवादों में पड़ना।”

फुटबॉल की वैश्विक संस्था FIFA के अध्यक्ष जियानी इन्फेंटिनो (Gianni Infantino) ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि फीफा का मकसद खेल के ज़रिए शांति और एकता को बढ़ावा देना है, न कि राजनीतिक मुद्दों का समाधान करना।
इन्फेंटिनो का यह बयान उस समय आया है जब विश्वभर में इज़राइली टीमों को निलंबित करने की मांग तेज़ हो गई है। उन्होंने ज़्यूरिख में फीफा काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें औपचारिक रूप से इज़राइल का मुद्दा एजेंडे में नहीं था। बैठक के बाद उन्होंने फिलिस्तीन फुटबॉल संघ के अध्यक्ष जिब्रिल रजूब (Jibril Rajoub) से निजी मुलाकात की और उनके संगठन की “इस कठिन समय में दृढ़ता” की सराहना की।
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शांति प्रस्ताव के बाद ठहरी मांग
गाजा में चल रहे संघर्ष के बीच यूरोपीय फुटबॉल नेताओं द्वारा इज़राइली टीमों को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट से बाहर करने की कोशिश उस समय थम गई जब व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने एक शांति प्रस्ताव पेश किया।
फीफा की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, इन्फेंटिनो ने 37 सदस्यीय परिषद को संबोधित करते हुए कहा —
“यह ज़रूरी है कि हम शांति और एकता को बढ़ावा दें, खासकर गाजा की मौजूदा स्थिति को देखते हुए। फीफा भू-राजनीतिक समस्याओं को हल नहीं कर सकता, लेकिन वह फुटबॉल के ज़रिए दुनिया को जोड़ सकता है।”
यूरोपीय देशों का दबाव
नॉर्वे ने फीफा की बैठक से पहले UEFA से आग्रह किया था कि वह इज़राइली टीमों को निलंबित करने पर वोटिंग कराए। वहीं तुर्की फुटबॉल संघ ने भी सीधे तौर पर UEFA और FIFA से इज़राइल को प्रतिबंधित करने की मांग की।
जानकारी के मुताबिक, अगर वोटिंग होती तो यह प्रस्ताव पास हो जाता क्योंकि जर्मनी और इज़राइल जैसे कुछ देशों को छोड़कर अधिकांश सदस्य समर्थन में थे। हालांकि, इन्फेंटिनो और फीफा इस दिशा में कदम उठाने की स्थिति में नहीं दिखे।
अमेरिका का रुख
रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने कहा है कि वह इज़राइल की अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल स्थिति की रक्षा करेगा, जिससे किसी भी निलंबन की संभावना और भी कम हो गई। ट्रंप-नेतन्याहू की पहल के बाद कतर समेत कई मध्य-पूर्वी देशों ने इस शांति प्रस्ताव का स्वागत किया।
कतर के प्रधानमंत्री को नेतन्याहू ने व्हाइट हाउस से फोन कर दोहा पर 9 सितंबर को हुए सैन्य हमले के लिए माफी भी दी। उल्लेखनीय है कि कतर, फिलिस्तीनी मुद्दे का एक प्रमुख समर्थक होने के साथ-साथ UEFA का महत्वपूर्ण साझेदार भी है।

फीफा के अंदरूनी मामले
फीफा ने फिलहाल प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित नहीं की और न ही इन्फेंटिनो को मीडिया से बातचीत के लिए उपलब्ध कराया। हालांकि, उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट में बताया गया कि उन्होंने जिब्रिल रजूब से “मध्य पूर्व की मौजूदा स्थिति” पर चर्चा की।
फिलिस्तीन फुटबॉल संघ की ओर से पिछले वर्ष फीफा से दो जांचों की मांग की गई थी —
- इज़राइली फुटबॉल संघ पर संभावित भेदभाव के आरोप की जांच।
- इज़राइल के कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में टीमों की भागीदारी पर गवर्नेंस पैनल की समीक्षा।
अब तक फीफा ने इन दोनों मामलों पर कोई निश्चित समयसीमा घोषित नहीं की है।
आगामी क्वालिफायर में इज़राइल की भागीदारी
इज़राइल की पुरुष टीम अब 11 अक्टूबर को नॉर्वे में और 14 अक्टूबर को इटली में वर्ल्ड कप क्वालिफायर खेलने वाली है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन मुकाबलों में सुरक्षा और राजनीतिक माहौल किस तरह प्रभावित करता है।
फुटबॉल की ज़िम्मेदारी शांति की दिशा में
जियानी इन्फेंटिनो का यह बयान स्पष्ट करता है कि फीफा राजनीति से ऊपर उठकर फुटबॉल को एक “मानवता और शिक्षा का पुल” बनाना चाहता है। उन्होंने दोहराया कि खेल में ऐसे मूल्यों को बढ़ावा देना चाहिए जो दुनिया को जोड़ें, न कि तोड़ें।
आज जब वैश्विक स्तर पर संघर्ष और विभाजन बढ़ रहे हैं, ऐसे समय में फीफा का यह रुख एक उम्मीद जगाता है — कि शायद फुटबॉल एक बार फिर दुनिया को एकजुट करने की भूमिका निभा सकता है।