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जब एक समर्पित डॉक्टर बन गई आतंक का हिस्सा: कौन हैं डॉ. Shaheen Shahid?
कानपुर-लखनऊ से फैरीदाबाद तक — रास्ता जो डॉक्टर से Jaish‑e‑Mohammed की महिला भर्ती विंग तक ले गया
इमेजिन कीजिए—एक युवा लड़की, मेडिकल की पढ़ाई करके डॉक्टर बनती है, कॉलेज में लेक्चरर बनती है, फिर अचानक उसकी ज़िंदगी एक ऐसे मोड़ पर आ जाती है जहाँ आश्चर्य, रहस्य और भय को एक साथ गूंथा गया होता है। ऐसा ही है कहानी डॉ. Shaheen Shahid की, जिनका सफर उत्तर प्रदेश की राजधानी से शुरू होकर हरियाणा के फैरीदाबाद तक गया — और वहीं क्या वो सिर्फ डॉक्टर थीं, या एक नेटवर्क की कड़ी बन गई थीं?
शुरूआती दिन: डॉक्टर बनने का सपना
Lucknow-के खंदारी बाजार, हाथा मुस्तफा खान इलाके में पली-बढ़ी Shaheen Shahid की शुरुआत एक सामान्य-सी थी। उनके पिता, Shahid Ansari, एक सेवानिवृत्त स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी थे। उन्हें उनके क्षेत्र में मेहनती और स्वप्न-दृष्ट डॉक्टर की तरह देखा जाता था।
उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री प्रायग-राज (अब प्रयागराज) से ली और उसके बाद 2006 में GSVM Medical College, कानपुर में लेक्चरर के रूप में काम शुरू किया।

उनका कार्यकाल अच्छा रहा—सहकर्मियों के अनुसार उन्होंने तीन वर्ष तक बहुत ही समर्पित होकर काम किया।
जब बदलाव का दौर आया
किंतु 2009 में उन्हें कानपुर से दूसरे जिले (कन्नौज) ट्रांसफर कर दिया गया। सहकर्मियों ने बताया कि वहीं से उनकी उपस्थिति में गिरावट आने लगी। आखिर-कार 2013 तक पूरी तरह से ड्यूटी छोड़ दी गई थी।
निजी जीवन में उलझनें
वर्ष 2015 में उनकी शादी महाराष्ट्र निवासी डॉक्टर ज़फ़र हयात से हुई थी, लेकिन दो बच्चों का यह घर जल्दी टूट गया और तलाक हो गया। उसके बाद Shaheen लगभग छह साल तक अपने लखनऊ वाले घर नहीं लौटीं और फैरीदाबाद में रहने लगीं।
फैरीदाबाद में क्या बदल गया?
हरियाणा-फैरीदाबाद की धरती पर जैसे एक नया अध्याय खुल गया। वहां उन्होंने Al Falah University से जुड़ाव दिखाया — जो बाद में एक बड़े आतंकवादी मॉड्यूल की जांच में आकर्षक बन गया।
पुलिस ने दावा किया है कि Shaheen उस मॉड्यूल में महिला भर्ती विंग को संभाल रही थीं।
आतंकी मॉड्यूल और विस्फोटक निकालने का मामला
फ़रीदाबाद में एक इंटर-स्टेट आतंक मॉड्यूल पकड़ा गया जिसमें लगभग दो वर्ष से विस्फोटक इकठ्ठा किए जा रहे थे। इस मॉड्यूल का संबंध Red Fort के पास हुए कार विस्फोट से भी जोड़ा गया है — जिसमें अनुमान लगाया जा रहा है कि यह नेटवर्क बड़ी साजिश की कड़ी हो सकती है। Shaheen की गिरफ्तारियों के साथ ही उनकी कार से एक AK-47 राइफल और मैगजीनें भी बरामद हुईं, नाम उनके नाम पर पंजीकृत मिलीं।
क्यों यह मामला गंभीर है?
इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि हम सोचते हैं कि डॉक्टर समाज में सेवा का प्रतीक होता है—स्वास्थ्य, जीवन रक्षा, उमीद। लेकिन जब वही डॉक्टर किसी ऐसे नेटवर्क से जुड़ जाता है जिसमें सेवा की जगह आतंक है, तो यह वास्तविकता इतनी भयावह हो जाती है कि सवाल खड़े हो जाते हैं: कैसे, कब और क्यों?
शाहीन-शाहिद का नाम तभी सुर्खियों में आया जब यह मॉडल पकड़ा गया जो डॉक्टरों, शिक्षकों, कुलीन वर्ग से लोगों को शामिल कर रहा था।
जवाब माँगने वाला सिलसिला
उनके पिता ने मीडिया से कहा- “मैं विश्वास नहीं कर पा रहा कि मेरी बेटी इस तरह की गतिविधियों में शामिल हो सकती है।”
उनके पूर्व पति ने कहा- “हम इस लिए अलग हुए क्योंकि वह विदेश जाना चाहती थी। मुझे आतंक का कोई आईडिया नहीं था।”

चल रही जांच और आगे क्या?
- National Investigation Agency समेत कई एजेंसियाँ इस मॉड्यूल की तह तक जा रही हैं, जिसमें लखनऊ, फैरीदाबाद, जम्मू और कश्मीर सहित अन्य स्थान शामिल हैं।
- Al Falah University पर भी गौर किया जा रहा है कि विश्वविद्यालय का संसाधन और इकाई इस आतंक नेटवर्क में कैसे जुड़ी रही।
- मातहतों से जांच में पता चला है कि महिला भर्ती विंग के नाम से एक नेटवर्क चल रहा था, जिसमें Shaheen को प्रमुख माना जा रहा है।
अंत में सोचने योग्य
यह कहानी सिर्फ एक डॉक्टर की नहीं है — यह उस प्राथमिक धारणाओं की चुनौती है जिसे हम ‘सेवा/वह व्यक्ति जो समाज में इज्जत का अधिकारी है’ जैसे सोचते हैं।
जन-स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में लोगों से जुड़ी भूमिका निभाने वाले व्यक्ति जब इस तरह गंभीर आरोपों में घिरे हों, तो यह सिस्टम, सुरक्षा और विश्वास की कोशिशों के प्रति चुनौती है।
इस मामले में भी सबसे बड़ी बात यह है कि हम समय रहते चेतें — शिक्षित लोग भी आसानी से उस साजिश का हिस्सा बन सकते हैं जो आम जनता से परे सोची-समझी रणनीति के तहत काम करती हो।
हमें अब इंतज़ार है कि जांच एजेंसियों की रिपोर्ट क्या कहेगी, किन गाँव-शहरों तक यह पहुँच चुकी है, और आगे हमें अपने सुरक्षा-तंत्र, शिक्षा-संस्था और समाज में किस तरह की सजगता बरतनी होगी।
