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गौतम गंभीर की पैनी निगाहों के बीच साईं सुदर्शन की जंग: टेस्ट टीम में वापसी की उम्मीदें और कमजोरियों से लड़ाई
ईडन गार्डन्स में वैकल्पिक अभ्यास सत्र में साईं सुदर्शन देर तक पसीना बहाते दिखे, जबकि गौतम गंभीर हर थ्रो और हर कैच पर नजर गड़ाए हुए थे — गुवाहाटी टेस्ट से पहले उनकी तकनीकी कमियों पर काम जारी
कोलकाता के Eden Gardens में मंगलवार की सुबह वह नज़ारा कुछ अलग था। मैदान लगभग खाली हो चुका था, नेट्स को समेटकर ग्राउंड्समैन उन्हें रस्सियों से बांधकर ले जा चुके थे, लेकिन एक कोने में अभी भी दो खिलाड़ी अपनी सीमित कमियों से लड़ रहे थे — साईं सुदर्शन और वॉशिंगटन सुंदर।
साईं शॉर्ट-लेग और सिल्ली प्वॉइंट पर झुके हुए, एक तिरछे ऑब्जेक्ट से उछलती गेंद को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। वहीं, वॉशिंगटन स्लिप में बैठकर तेज़ी से नीचे जाती गेंदों को लपकते दिखे। दोनों तमिलनाडु के खिलाड़ी हैं, और दोनों की मेहनत देखकर साफ था कि यह अभ्यास सिर्फ दिनचर्या नहीं, बल्कि वापसी की भूख है।
गंभीर की “स्टॉकिंग आईज़”: हर मूवमेंट पर नजर
दूरी पर खड़े थे टीम इंडिया के कोच — Gautam Gambhir, अपनी पहचान वाली संजीदगी और तीखी निगाहों के साथ।
गंभीर का अंदाज़ कुछ ऐसा था जैसे वह सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि खिलाड़ियों के इरादों और मानसिक मजबूती को परख रहे हों।
साईं सुदर्शन के लिए यह “अतिरिक्त अभ्यास” उनके आने वाले भविष्य की एक परीक्षा जैसा था।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट में टीम इंडिया का टॉप-ऑर्डर लड़खड़ा गया था, और ऐसे में युवा साईं की टेस्ट टीम में वापसी की संभावनाएं फिर से जीवित हो गई हैं।
जब बाकी खिलाड़ी लौट गए, साईं रुके रह
ध्रुव जुरेल, रवींद्र जडेजा, देवदत्त पडिक्कल और आकाशदीप तीन घंटे के ड्रिल के बाद पवेलियन का रुख कर चुके थे।
साईं और वॉशिंगटन ही थे जो अभी भी वहीं टिके हुए थे।
आखिरकार सपोर्ट स्टाफ को उन्हें मैदान से बाहर ले जाने के लिए आना पड़ा।
लेकिन साईं सुदर्शन की आंखों में जो दृढ़ता थी, वह बता रही थी कि यह अभ्यास उनके लिए सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि एक अधूरी कहानी को पूरा करने की तैयारी है।

क्यों बिजी हैं साईं?
पिछले कुछ महीनों में सीमित ओवरों में शानदार प्रदर्शन के बाद साईं पर उम्मीदें बढ़ी हैं।
लेकिन टेस्ट क्रिकेट एक अलग परीक्षा है—
- धीमी पिचें
- मूव होती गेंद
- क्लोज़-इन कैचिंग
- और लंबी इनिंग की मानसिक चुनौती
इन सभी पहलुओं पर साईं का काम करना जरूरी है।
गंभीर की मौजूदगी में यह अभ्यास और अधिक अर्थपूर्ण हो जाता है, क्योंकि वह खुद एक ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जो तकनीक और मानसिकता को बराबर महत्व देते थे।
गुवाहाटी टेस्ट: मौका या दबाव?
गुवाहाटी में दूसरा टेस्ट होने वाला है, और टीम इंडिया के टॉप ऑर्डर पर सवाल उठने लगे हैं।
ऐसे में साईं सुदर्शन के पास एक शानदार मौका है —
अगर उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह मिलती है तो यह उनके टेस्ट करियर की सबसे महत्वपूर्ण शुरुआत हो सकती है।
मैदान से बाहर, ध्यान से दूर
जब वॉशिंगटन से मेडिकल स्टाफ और फैंस ने सेल्फी मांगी, साईं चुपचाप वहां से निकल गए।
बिना किसी शोर के, बिना किसी दिखावे के।
उनका ध्यान एक ही चीज़ पर था — अगला मैच, अगला मौका, अगली पारी।
यह शांत संकल्प ही वह कारण है कि क्रिकेट एक्सपर्ट्स उन्हें भारतीय क्रिकेट का “अगला लंबी रेस वाला खिलाड़ी” कह रहे हैं।
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