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दिल्ली फैमिली कोर्ट का बड़ा फैसला तलाकशुदा पत्नी से पति को वापस दिलाई जाएगी हापुड़ के घर की पहली मंज़िल
शाहदरा फैमिली कोर्ट ने कहा – ₹11 लाख सेटलमेंट लेने के बाद संपत्ति पर हक नहीं बचता पुलिस को दी गई कब्ज़ा दिलाने की जिम्मेदारी
दिल्ली की शाहदरा फैमिली कोर्ट ने तलाकशुदा दंपति के बीच चल रहे विवाद पर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि पति को हापुड़ स्थित अपने मकान की पहली मंज़िल वापस दिलाई जाए, जिसे उसकी पूर्व पत्नी ने तलाक समझौते के बावजूद कब्ज़े में ले रखा था।
यह आदेश फैमिली कोर्ट की जज डॉ. सवित्री ने 16 सितंबर को सुनाया। आदेश में कहा गया कि पुलिस की मदद से पति को उसका हिस्सा दिलाया जाए और कब्ज़े की रिपोर्ट 8 अक्टूबर तक अदालत में पेश की जाए।

मामला क्या है?
पति की ओर से अधिवक्ता मनीष भदौरिया ने याचिका दाखिल की थी। इसमें आरोप लगाया गया कि 2022 में हुए तलाक समझौते के तहत पत्नी को 11 लाख INR बतौर फुल एंड फाइनल सेटलमेंट दिए गए थे। इसके बावजूद महिला ने हापुड़ स्थित पति की संपत्ति की पहली मंज़िल पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया।
कोर्ट ने कहा – “एक बार जब महिला ने पूरी और अंतिम सेटलमेंट राशि स्वीकार कर ली, तो उसका संपत्ति पर कोई हक नहीं बचता। वह ईमानदारी से किए गए समझौते को तोड़कर धोखाधड़ी से कब्ज़ा नहीं कर सकती।”
पत्नी की दलीलें
महिला ने कोर्ट के सामने यह तर्क दिया कि वह पहले से ही उसी मंज़िल पर रह रही थी और तलाक के बाद दो स्कूली बच्चों की देखभाल कर रही है। उसने खुद को “लाचार तलाकशुदा महिला” बताकर सहानुभूति लेने की कोशिश की। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि समझौते में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि वह पहली मंज़िल पर रहेगी।

पति की स्थिति
अदालत ने यह भी दर्ज किया कि पति ने दोबारा शादी कर ली है और उसे इस मकान के हिस्से की जरूरत है। पति ने कई बार महिला को स्वेच्छा से घर खाली करने का अवसर दिया, लेकिन उसने इनकार कर दिया और अड़ी रही।
अदालत का आदेश
कोर्ट ने महिला के इस व्यवहार को “अनुचित और बेईमानी” करार दिया। साथ ही पुलिस को आदेश दिया कि वह मौके पर जाकर कब्ज़ा दिलाए और रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करे।
निष्कर्ष
यह फैसला दिखाता है कि तलाक समझौते के बाद संपत्ति से जुड़े विवादों में कोर्ट कितनी सख्ती से काम कर सकती है। अदालत ने साफ कहा कि समझौते के बाद महिला का संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है और बेईमानी से किया गया कब्ज़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
