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सिलियन मर्फी ने अपने नए फिल्म सेट पर लगाया ‘नो फोन रूल’ कहा – “जब काम करो, तो बस काम ही करो”
‘ऑपेनहाइमर’ स्टार सिलियन मर्फी ने अपनी नई फिल्म Steve के सेट पर मोबाइल फोन बैन किया, बोले – “अब वक्त है खुद से जुड़ने का, स्क्रीन से नहीं”

सिलियन मर्फी, जिन्हें हाल ही में फिल्म Oppenheimer के लिए ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, अब अपनी नई फिल्म Steve के साथ एक बार फिर सुर्खियों में हैं। लेकिन इस बार कारण उनकी एक्टिंग नहीं बल्कि एक अनोखा नियम है — नो फोन पॉलिसी!
नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई Steve की शूटिंग के दौरान मर्फी ने तय किया कि सेट पर कोई मोबाइल फोन इस्तेमाल नहीं करेगा। यह विचार उन्हें उनके लंबे समय के सहयोगी, निर्देशक क्रिस्टोफर नोलन से मिला, जो अपनी फिल्मों में भी इसी नियम को लागू करते हैं।
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सिलियन मर्फी, जो इस फिल्म में मुख्य अभिनेता और निर्माता (Producer) दोनों की भूमिका में हैं, ने कहा —
“मैं खुद फोन का आदी हूं। हम सब इस लत में फंसे हैं। लेकिन जब आप काम कर रहे हों, तो बस वही करें। जब हमने सेट पर यह नियम लागू किया, तो खासकर युवा कलाकारों ने इसे बहुत पसंद किया।”
फिल्म ‘Steve’ की कहानी
Steve की कहानी 1990 के दशक में सेट है, यानी उस दौर में जब न सोशल मीडिया था और न स्मार्टफोन। मर्फी इस फिल्म में एक रिफॉर्म स्कूल (Reform School) के प्रधानाचार्य का किरदार निभा रहे हैं। कहानी एक दिन की है — वो दिन जो उनके जीवन का सबसे कठिन दिन बन जाता है।
फिल्म में उनका किरदार Steve एक ऐसे इंसान के रूप में दिखाया गया है जो अपने निजी संघर्षों को काम के पीछे छिपा रहा है। मर्फी के शब्दों में —
“वो अपनी समस्याओं को काम में दबा रहा है। लेकिन फिल्म के दौरान दर्शक देखेंगे कि जब तक आप खुद की मदद नहीं करते, तब तक दूसरों की मदद नहीं कर सकते।”
किरदार की जटिलता और मर्फी की तैयारी
इस रोल की तैयारी के लिए सिलियन मर्फी ने अपने बचपन और स्कूल के दिनों को याद किया। उनके दोनों माता-पिता शिक्षा से जुड़े थे — उनकी मां जेन फ्रेंच की शिक्षिका थीं और पिता ब्रेंडन आयरलैंड के Department of Education में कार्यरत थे।

उन्होंने कहा —
“मैंने बचपन से देखा कि एक शिक्षक का काम कितना कठिन होता है। मेरे माता-पिता चार बच्चों की परवरिश के साथ अपनी जिम्मेदारियों को भी निभाते थे। मैंने महसूस किया कि एक अच्छा शिक्षक बच्चे की ज़िंदगी बदल सकता है।”
मर्फी ने यह भी बताया कि उनके एक शिक्षक, विलियम वॉल, जिन्होंने बाद में एक प्रसिद्ध उपन्यासकार के रूप में पहचान बनाई, ने उन्हें साहित्य और थिएटर की ओर प्रेरित किया।
“मैं संगीत में करियर बनाना चाहता था। लेकिन जब वह नहीं हुआ, तो थिएटर मेरा नया जुनून बन गया,” मर्फी ने मुस्कुराते हुए कहा।
“थिएटर से सीखा लाइव एनर्जी का जादू”
सिलियन मर्फी ने कहा कि उनका थिएटर अनुभव उन्हें आज भी फिल्मों में मदद करता है।
“थिएटर में लाइव दर्शकों के सामने प्रदर्शन करने से जो एनर्जी मिलती है, वही चीज़ मुझे कैमरे के सामने भी जीवंत बनाए रखती है।”
उन्होंने मजाक में खुद को “फेल्ड म्यूज़िशियन और ग्रुपी टाइप” कहा, लेकिन जोड़ा कि थिएटर ने उन्हें वो मंच दिया जिसकी उन्हें ज़रूरत थी।
“नो फोन रूल” का असर
सेट पर “नो फोन” नियम से न केवल अनुशासन बढ़ा बल्कि कलाकारों के बीच जुड़ाव भी मजबूत हुआ। मर्फी के मुताबिक,
“90 के दशक की फिल्म होने के कारण हमने सोचा कि उस दौर की भावना को जीना चाहिए। और सच कहूं तो बिना फोन के रहना, काम पर फोकस करना, एक तरह की मुक्ति जैसा था।”

युवा कलाकारों ने भी इस नियम का स्वागत किया और बताया कि इससे उन्हें अपनी परफॉर्मेंस में ज्यादा ‘प्रेज़ेंट’ रहने में मदद मिली।
फिल्म ‘Steve’ — भावनाओं और संघर्ष का संगम
Steve सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि आज की पीढ़ी के उस संघर्ष की भी झलक है जहां हम सब काम, जिम्मेदारी और निजी जीवन के बीच संतुलन खोजने की कोशिश में हैं।
मर्फी कहते हैं —
“कभी-कभी हम इतने व्यस्त हो जाते हैं कि खुद को भूल जाते हैं। यह फिल्म इसी एहसास को वापस लाने की कोशिश है।”