Bollywood
मैं फ्लॉप एक्टर हूं जब खुद को लेकर टूट गए थे अभिषेक बच्चन धूम ने पलटी किस्मत
अमिताभ बच्चन के बेटे होने के बावजूद जब किसी ने नहीं पहचाना होटल लॉबी में नज़रअंदाज़ कर दिया गया — अभिषेक बच्चन ने साझा किया दर्दभरा सफर और सफलता के पीछे की असली कहानी।

बॉलीवुड में कदम रखना जितना ग्लैमरस दिखता है, उतना ही भावनात्मक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण भी होता है। अभिषेक बच्चन जिनका जन्म एक फिल्मी परिवार में हुआ और जिनसे डेब्यू के समय ही बड़ी उम्मीदें थीं, उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने संघर्षों और अस्वीकृति के पलों को याद करते हुए एक दिल छू लेने वाली बात साझा की।
अभिषेक ने वर्ष 2000 में फिल्म ‘रिफ्यूजी’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। फिल्म को सराहना मिली, लेकिन इसके बाद लगातार फ्लॉप फिल्मों की लंबी लिस्ट ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया। एक समय ऐसा भी आया जब लोग सार्वजनिक जगहों पर उन्हें पहचानने तक की जहमत नहीं उठाते थे।
उन्होंने The Hollywood Reporter India से बातचीत में कहा, “मैं ऐसी जगहों पर गया हूं जहां किसी ने मेरी तरफ देखा तक नहीं। होटल की लॉबी में घुसा और कुछ भी नहीं बदला। मैं एक फिल्म स्टार हूं, मुझे लगा था कोई ऑटोग्राफ मांगेगा… लेकिन कुछ नहीं हुआ।”
खुद को फ्लॉप मानने लगे थे अभिषेक
इतना ही नहीं, उन्होंने स्वीकार किया कि वो अपनी मां जया बच्चन के सामने खुद को ‘फ्लॉप एक्टर कह चुके हैं। उन्होंने बताया, “हम एक्टर बाहर से भले ही आत्मविश्वासी दिखें, लेकिन अंदर से हम डरे हुए बच्चे होते हैं, जो हर पल मान्यता की तलाश में रहते हैं।
धूम ने बदली पूरी कहानी
साल 2004 में जब धूम रिलीज़ हुई तो अभिषेक की ज़िंदगी का रुख ही बदल गया। वो कहते हैं, “कुछ महीनों बाद जब ‘धूम’ आई और मैं Marriott होटल में घुसा तो पूरी लॉबी एक पल को ठहर गई। तभी समझ आया कि ये पल कीमती क्यों है — क्योंकि मैंने पहले वो उपेक्षा भी देखी है।
उन्होंने यह भी कहा कि सच्ची सफलता की नींव असफलता की जमीन पर ही रखी जाती है। यही अनुभव उन्हें हर दिन और मेहनत करने की प्रेरणा देता है।
अभिषेक बच्चन की यह ईमानदार स्वीकारोक्ति न केवल उनकी विनम्रता को दर्शाती है, बल्कि यह हर उस कलाकार के लिए भी प्रेरणा है जो इंडस्ट्री में खुद को साबित करने के लिए जूझ रहा है।
Bollywood
OTT पर छाई रेड 2 पीछे छूटे अक्षय प्रियंका और कमल हासन जानें किसने मारी बाजी
30 जून से 6 जुलाई तक की टॉप 5 ओटीटी फिल्मों की लिस्ट जारी, ओरमैक्स डेटा में अजय देवगन की ‘रेड 2’ बनी नंबर वन

OTT की दुनिया अब सिर्फ विकल्प नहीं बल्कि फिल्मी सफलता का नया पैमाना बन चुकी है। 30 जून से 6 जुलाई 2025 के बीच ओटीटी पर कौन-सी फिल्म सबसे ज्यादा देखी गई, इसका खुलासा Ormax Media ने अपने साप्ताहिक रिपोर्ट में किया है। इस लिस्ट में बॉलीवुड के सुपरस्टार्स अजय देवगन, अक्षय कुमार, प्रियंका चोपड़ा, कीर्ति सुरेश और ‘द इंडियन एक्शन आइकन’ कमल हासन की फिल्में शामिल थीं, लेकिन बाजी मारी अजय देवगन ने।
रेड 2 बनी ओटीटी क्वीन, नेटफ्लिक्स पर छाया जलवा
‘सिंघम स्टार’ अजय देवगन की नई फिल्म रेड 2 ने नेटफ्लिक्स पर धमाका कर दिया है। इस फिल्म को महज़ एक हफ्ते में 55 लाख दर्शकों ने देखा, जिससे यह ओरमैक्स मीडिया की टॉप ओटीटी फिल्मों की लिस्ट में पहले नंबर पर रही। यह फिल्म थिएटर में भी हिट रही थी, और अब डिजिटल पर भी वही करिश्मा दोहरा रही है।
केसरी चैप्टर 2 अक्षय कुमार की मजबूत मौजूदगी
जियो सिनेमा पर रिलीज हुई ‘केसरी चैप्टर 2’ को 30 लाख व्यूज मिले और यह दूसरे स्थान पर रही। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर एवरेज रही, लेकिन ‘द खिलाड़ी’ यानी अक्षय कुमार की फैन फॉलोइंग ने इसे ओटीटी पर मजबूत पकड़ दिलाई।
कमल हासन की ‘ठग लाइफ’ को मिला तीसरा स्थान
फिल्म निर्देशक मणिरत्नम द्वारा निर्देशित ‘ठग लाइफ’, जिसमें ‘विश्वरूपम फेम’ कमल हासन ने अभिनय किया, नेटफ्लिक्स पर तीसरे नंबर पर रही। हालांकि थिएटर में यह फिल्म फ्लॉप साबित हुई, लेकिन 24 लाख दर्शकों ने इसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर देखा।

कीर्ति सुरेश की OTT एंट्री और प्रियंका चोपड़ा की ग्लोबल अपील
अमेजन प्राइम वीडियो की फिल्म उप्पु कापुराम्बु जिसमें ‘नेशनल अवॉर्ड विनर’ कीर्ति सुरेश नजर आईं, 20 लाख व्यू के साथ चौथे नंबर पर रही। यह फिल्म डायरेक्ट ओटीटी पर रिलीज हुई और खासतौर पर साउथ इंडियन दर्शकों को खूब पसंद आई।
पांचवें नंबर पर रही हॉलीवुड फिल्म हेड्स ऑफ स्टेट जिसमें प्रियंका चोपड़ा ने दमदार रोल निभाया। इस फिल्म को 17 लाख व्यूज मिले और इसने ग्लोबल लेवल पर भी भारत में खास दिलचस्पी बटोरी।
OTT पर भी दर्शकों का टेस्ट बदल रहा है
दिलचस्प बात यह है कि कुछ फिल्में जो थिएटर में नहीं चल पाईं, वे ओटीटी पर स्ट्रॉन्ग कमबैक कर रही हैं। इससे साफ होता है कि डिजिटल दर्शकों का टेस्ट ज्यादा कंटेंट-फोकस्ड होता जा रहा है और सितारों की फैन फॉलोइंग अभी भी बड़ा असर डालती है।
Entertainment
10 साल की करीना को पहली नजर में दिल दे बैठे थे सैफ अली खान ऐसे शुरू हुई बॉलीवुड की रॉयल लवस्टोरी
फिल्मीस्तान स्टूडियो में पहली बार देखा था करिश्मा की छोटी बहन को टशन के सेट पर हुआ प्यार परवान

बॉलीवुड की सबसे चर्चित जोड़ियों में से एक, सैफ अली खान और करीना कपूर खान की प्रेम कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। एक तरफ थे पटौदी खानदान के नवाब, और दूसरी तरफ कपूर खानदान की चमकदार स्टार। दोनों की प्रेम कहानी में वो सब कुछ है जो एक रोमांटिक फिल्म में होता है — पहली नजर का प्यार, लंबा इंतजार, फिर साथ काम और धीरे-धीरे गहराता रिश्ता।
‘फिल्मीस्तान’ में पहली झलक, दिल हार बैठे थे छोटे नवाब
‘द नवाब ऑफ पटौदी’, यानी सैफ अली खान ने एक इंटरव्यू में खुद ये किस्सा साझा किया कि उन्होंने करीना कपूर को पहली बार तब देखा था जब वो महज 10 साल की थीं। शाहरुख खान के शो में सैफ ने बताया, “मैं फिल्मीस्तान स्टूडियो में शूटिंग कर रहा था, तभी देखा एक छोटी सी लड़की मेकअप रूम के बाहर बैठी है। मुझे लगा जैसे वो मुझे देख रही हो। मैंने किसी से पूछा तो पता चला कि वह करिश्मा कपूर की छोटी बहन करीना कपूर हैं। तभी से मुझे वो बेहद प्यारी लगीं।”
एलओसी में साथ काम टशन में हुआ इश्क़ का आगाज़
सैफ और करीना पहली बार एक साथ फिल्म एलओसी-कारगिल (2003) में नजर आए लेकिन उस दौरान ज्यादा बातचीत नहीं हुई। इसके बाद ओमकारा में भी दोनों साथ काम कर चुके थे लेकिन दूरी बनी रही। असली जादू चला फिल्म टशन (2008) के सेट पर, जहां शूटिंग के दौरान दोनों की दोस्ती गहराई में बदलने लगी।

बेबो को कुछ याद नहीं, लेकिन दिल ने काम कर दिया था!
जब शाहरुख ने करीना से पूछा कि क्या वह सच में सैफ को देख रही थीं तो बेबो ने हंसते हुए कहा, “सच कहूं तो मुझे कुछ याद नहीं है लेकिन शायद यही अनजाने पलों से एक खास रिश्ता जन्म ले चुका था।
2012 में रचाई शादी, दो बेटों के हैं माता-पिता
करीब चार साल के रिलेशनशिप के बाद, सैफ और करीना ने 16 अक्टूबर 2012 को शादी कर ली। दोनों अब दो बच्चों के माता-पिता हैं — तैमूर अली खान और जहांगीर अली खान। इस रॉयल जोड़ी ने एक साथ कई फिल्में की हैं जैसे एलओसी, ओमकारा, टशन, एजेंट विनोद और कुर्बान।
आज भी हैं इंडस्ट्री के सबसे स्टाइलिश कपल्स में से एक
द रईस एंड द रानी ऑफ बॉलीवुड’ की यह जोड़ी आज भी फैंस के दिलों की धड़कन बनी हुई है। दोनों की केमिस्ट्री और समझदारी प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों ही लाइफ में मिसाल बन चुकी है।
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शेफाली जरीवाला की मौत ने खोली ₹8000 करोड़ की ब्यूटी इंडस्ट्री की खौफनाक सच्चाई
ग्लूटाथियोन एंटी-एजिंग इंजेक्शन और स्किन ग्लो टैबलेट्स शेफाली की मौत ने सौंदर्य के पीछे छिपे खतरनाक ट्रेंड्स पर उठाए गंभीर सवाल

शेफाली जरीवाला कांटा लगा गर्ल के नाम से मशहूर अभिनेत्री और मॉडल की असमय मौत ने देशभर में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई, लेकिन इस त्रासदी ने ₹8000 करोड़ की तेजी से बढ़ती ब्यूटी सप्लिमेंट इंडस्ट्री की खामोश सच्चाइयों को उजागर कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई पुलिस को उनके अंधेरी स्थित अपार्टमेंट से स्किन ग्लो टैबलेट्स, एंटी-एजिंग मेडिकेशन और विटामिन सप्लिमेंट्स मिले हैं। यह वही सप्लिमेंट्स हैं जिन्हें सोशल मीडिया और मार्केटिंग कंपनियां ‘जवां त्वचा’ और ‘इंस्टेंट ग्लो’ का जादुई फॉर्मूला बताकर बेचती हैं।
इंस्टाग्राम स्किन की चाहत और मेडिकल रिस्क का घातक मेल
बीते कुछ वर्षों में जैसे-जैसे ‘इंस्टाग्राम परफेक्शन’ का क्रेज बढ़ा है, वैसे-वैसे ग्लूटाथियोन इंजेक्शन, कोलेजन ड्रिंक्स और हॉर्मोन थैरेपी जैसी प्रक्रियाएं भी लोकप्रिय होती चली गईं। लेकिन ये लोकप्रियता अब खतरनाक मोड़ लेती दिख रही है।
The Kaanta Laga actress की मौत ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या खूबसूरत दिखने की चाह हमारे स्वास्थ्य से भी ज्यादा कीमती हो गई है?
Made in Heaven से लेकर रियल लाइफ तक जब स्किन टोन बना दबाव का कारण
वेब सीरीज़ Made in Heaven में जब एक ब्राइड-टू-बी ग्लूटाथियोन की डोज लेती है और उसका चेहरा रैशेस से भर जाता है, वह दृश्य आज और भी प्रासंगिक हो गया है। पहले यह एक फिक्शन था, लेकिन अब यह रियलिटी बन चुकी है।

आज भारत में एस्थेटिक ट्रीटमेंट और स्किन इंजेक्शन का मार्केट हर साल कई गुना बढ़ रहा है। ये न सिर्फ फेयर स्किन के दबाव को दर्शाता है, बल्कि उस मानसिक थकावट को भी जो परफेक्ट दिखने की होड़ में पनप रही है।
सवाल जरूरी हैं, शेमिंग नहीं
शेफाली की मौत के पीछे कारणों की पुष्टि भले ही अब तक नहीं हुई है, लेकिन यह सवाल तो उठता ही है कि क्या ब्यूटी सप्लिमेंट्स, फास्टिंग या बिना डॉक्टरी सलाह के दवाओं का सेवन इस हादसे के पीछे था? इन सभी मुद्दों पर जवाब ढूंढ़ना जरूरी है—बिना शेमिंग के, बिना सनसनी के।
आज जरूरत है इस ट्रेंड को समझने और उस इंडस्ट्री को नियंत्रित करने की, जो बिना किसी रेगुलेशन के युवाओं को अपने जाल में फंसा रही है।
क्या सुंदरता की कीमत अब जान से चुकाई जाएगी?
ग्लैमर इंडस्ट्री में स्किन टोन बदलने का चलन फेयर और लवली’ से लेकर ग्लूटाथियोन तक का सफर, अब हमें आत्ममंथन के लिए मजबूर कर रहा है।
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