Politics
क्या राष्ट्रपति शी जिनपिंग जल्द लेने वाले हैं रिटायरमेंट? सत्ता के विकेंद्रीकरण से अटकलें तेज
13 साल से चीन की सत्ता संभाल रहे शी जिनपिंग ने पार्टी की संस्थाओं में अधिकार बांटने की पहल की, राजनीतिक हलकों में उठे नेतृत्व परिवर्तन के संकेत

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लेकर एक बार फिर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। हाल ही में चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) की एक अहम बैठक में उन्होंने पार्टी की संस्थाओं की भूमिका और संचालन को “मानकीकृत” करने वाले नए नियमों को पेश किया।
हालांकि यह एक आंतरिक प्रक्रिया मानी जा रही थी, लेकिन कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम राष्ट्रपति शी की ओर से सत्ता के सुचारू हस्तांतरण की तैयारी हो सकती है।
पार्टी संस्थाओं में बदलाव या सत्ता हस्तांतरण की भूमिका?
30 जून को आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं शी जिनपिंग ने की थी, जिसमें 24 सदस्यीय CPC पोलित ब्यूरो ने नए विनियमों पर चर्चा की। इन नियमों के तहत पार्टी संस्थाओं की संरचना, कार्य और संचालन प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ये नियम शी जिनपिंग के उत्तराधिकार की रणनीतिक तैयारी का हिस्सा हो सकते हैं। South China Morning Post से बात करते हुए एक विश्लेषक ने कहा:
“यह वक्त सत्ता हस्तांतरण की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है, और यह प्रक्रिया एक स्थिर संरचना की ओर इशारा करती है।”
शी जिनपिंग की गैरमौजूदगी ने और बढ़ाई अटकलें
शी जिनपिंग 21 मई से 5 जून 2025 तक सार्वजनिक मंचों से अनुपस्थित रहे, और फिर उन्होंने BRICS 2025 शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा नहीं लिया। इससे उनकी सेहत या संभावित रिटायरमेंट को लेकर अटकलें और तेज हो गईं।
University of California San Diego के चीन मामलों के विशेषज्ञ Victor Shih का कहना है:
“ऐसा लगता है कि शी अब रोज़मर्रा के प्रशासनिक मामलों से दूरी बना सकते हैं और नीति निर्धारण की बड़ी जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इसके लिए एक स्पष्ट निगरानी तंत्र की आवश्यकता होगी।”
Mao Zedong के बाद सबसे ताकतवर नेता
शी जिनपिंग को माओ ज़ेडॉन्ग के बाद चीन का सबसे शक्तिशाली नेता माना जाता है। 2012 से सत्ता में हैं और 2022 में उन्होंने तीसरी बार राष्ट्रपति का कार्यकाल शुरू किया।
लेकिन अब जब वे नए नेतृत्व की ओर रास्ता खोलते दिख रहे हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चीन वास्तव में अगले कुछ वर्षों में नेतृत्व परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है।
अमेरिका से व्यापार युद्ध के बीच सामने आया यह कदम
शी जिनपिंग का यह ‘सत्ता का वितरण’ उस समय सामने आया है जब डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन पर अधिक शुल्क लगाने की चेतावनी दी है। ऐसे में यह बदलाव क्या सिर्फ आंतरिक सुधार है या वैश्विक दबावों से निपटने की रणनीति — यह फिलहाल एक रहस्य बना हुआ है।
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कर्नाटक में सब कुछ ठीक नहीं सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की दिल्ली यात्रा ने बढ़ाई नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों एक साथ पहुंचे दिल्ली, कांग्रेस हाईकमान से मुलाकात के मायनों पर सियासी अटकलें तेज

क्या कर्नाटक कांग्रेस सरकार में अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं चल रहा? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार दोनों एक साथ दिल्ली दौरे पर पहुंच गए हैं। दोनों नेताओं की यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं, पार्टी के अंदर असंतोष की आहट, और अगले विधानसभा सत्र से पहले संगठनात्मक असमंजस दिख रहा है।
हालांकि दोनों नेताओं ने इसे आधिकारिक दौरा बताया है, लेकिन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की खबरों ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
क्या फिर से ‘ढाई-ढाई साल’ फॉर्मूले की ओर?
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी। लेकिन तभी से यह चर्चा चल रही थी कि मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच एक गुप्त समझौता हुआ है – जिसके तहत दोनों नेता 2.5-2.5 साल के लिए पद साझा करेंगे।
अब जब सरकार को एक साल से अधिक समय हो चुका है, और शिवकुमार के समर्थकों में बढ़ती बेचैनी देखी जा रही है, ऐसे में यह यात्रा सत्ता के बंटवारे की दूसरी किस्त के लिए दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखी जा रही है।
कांग्रेस आलाकमान की भूमिका और चुप्पी
दिल्ली में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात का उद्देश्य यदि सिर्फ संगठनात्मक समन्वय होता, तो यह यात्रा अलग-अलग भी हो सकती थी। लेकिन दोनों नेताओं का एक साथ दिल्ली पहुंचना यह संकेत देता है कि पार्टी आलाकमान अब इस “दो ध्रुवीय सत्ता” के समन्वय के लिए हस्तक्षेप करना चाहता है।
कांग्रेस हाईकमान की ओर से हालांकि अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन उनकी साइलेंस भी बहुत कुछ कह रही है।
विपक्ष और जनता की नज़र
BJP और JDS जैसे विपक्षी दल इस यात्रा को लेकर सरकार पर हमलावर हैं। भाजपा प्रवक्ताओं ने सवाल उठाए हैं कि
“अगर सब कुछ ठीक है तो दोनों नेता एक साथ दिल्ली क्यों गए?”
जनता की ओर से भी यह सवाल उठ रहा है कि जब राज्य में बिजली संकट, सूखा राहत और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे सामने हैं, तब मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का एक साथ दिल्ली जाना किस बात का संकेत है?
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क्या कर्नाटक में फिर बदलेगा सीएम डीके शिवकुमार की प्रियंका गांधी से मुलाकात ने बढ़ाई सियासी हलचल
कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात के बाद राज्य में मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें तेज़, क्या सिद्दारमैया की कुर्सी अब खतरे में?

कर्नाटक कांग्रेस में एक बार फिर से नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की प्रियंका गांधी वाड्रा से हालिया मुलाकात ने सियासी गलियारों में नए कयासों को जन्म दे दिया है।
यह मुलाकात महज शिष्टाचार थी या किसी रणनीतिक बदलाव की भूमिका – इसे लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।
क्या मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की कुर्सी डगमगा रही है?
राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के एक साल के भीतर ही मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें कोई नई बात नहीं हैं। चुनाव पूर्व ही सत्ता में “साझा नेतृत्व” का समझौता हुआ था, जिसमें यह बात कही जा रही थी कि सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार दोनों को पांच साल की सरकार में ढाई-ढाई साल का कार्यकाल दिया जाएगा।
ऐसे में अब जब शिवकुमार ने दिल्ली में प्रियंका गांधी से निजी मुलाकात की है, तो यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या वह अपनी दावेदारी को मजबूती देने की कोशिश कर रहे हैं?
कांग्रेस आलाकमान की चुप्पी और संदेश
हालांकि कांग्रेस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन आलाकमान की चुप्पी भी कई संकेत छोड़ रही है। राज्य में पार्टी को बनाए रखने के लिए आलाकमान को संतुलन साधना होगा क्योंकि दोनों नेता – सिद्दारमैया और शिवकुमार – अपनी-अपनी जातीय और क्षेत्रीय पकड़ रखते हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो यदि पार्टी 2026 तक सत्ता बचाना चाहती है, तो उसे समय रहते असंतोष को थामना होगा। नहीं तो BJP और JDS जैसे विपक्षी दल इस अंतर्विरोध को हथियार बना सकते हैं।
पिछली बार भी सामने आए थे नेतृत्व परिवर्तन के संकेत
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में भी शिवकुमार के दिल्ली दौरे को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई थीं, लेकिन तब खुद राहुल गांधी ने इस विषय पर टिप्पणी से बचते हुए कहा था कि “राज्य इकाई की एकता हमारी प्राथमिकता है”।
अब प्रियंका गांधी से यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब विधानसभा का मानसून सत्र भी नज़दीक है और सरकार को कई मोर्चों पर जनता की नाराज़गी का सामना करना पड़ रहा है – चाहे वह बिजली कटौती हो या भ्रष्टाचार के आरोप।
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राहुल गांधी का आरोप बिहार में भी वोट की चोरी हो रही है जैसे महाराष्ट्र में की गई थी
पटना में INDIA गठबंधन के प्रदर्शन में बोले राहुल – “चुनाव आयोग BJP और RSS का एजेंट बन गया है, गरीबों के हक पर हो रहा है हमला”

राहुल गांधी ने एक बार फिर से केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर करारा हमला बोला है। बिहार बंद के दौरान पटना के फुलवारी शरीफ में आयोजित INDIA गठबंधन के चक्काजाम प्रदर्शन में राहुल ने कहा कि “जैसे महाराष्ट्र में हमारा चुनाव चुराया गया, वैसा ही षड्यंत्र अब बिहार में रचा जा रहा है।”
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि चुनाव आयोग का रवैया पक्षपातपूर्ण है और वह BJP व RSS के इशारे पर काम कर रहा है। उन्होंने मंच से जनता से कहा, “यह बिहार है, यहां के लोग वोट और हक छिनने नहीं देंगे।”
महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी वोटरों की हेराफेरी
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में INDIA गठबंधन की हार के बाद जब जांच की गई, तो पाया गया कि एक करोड़ फर्जी वोट जुड़ चुके थे।
उन्होंने कहा – “हमने चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट मांगी, जो हमें कानून के तहत मिलनी चाहिए थी, लेकिन आज तक नहीं दी गई। क्यों? क्योंकि सच्चाई छिपाई जा रही है।”
अब वही स्थिति बिहार में देखने को मिल रही है। एक ही दिन में 4-5 हज़ार वोट जुड़ना, गरीबों के नाम कटना – ये सब चोरी की सुनियोजित तैयारी है, जिसका खुलासा राहुल ने अपने भाषण में किया।
चुनाव आयोग अब एजेंट की तरह बर्ताव कर रहा है
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा,
“पहले चुनाव आयुक्त का चयन सुप्रीम कोर्ट और सभी पार्टियों की सहमति से होता था। अब भाजपा खुद चुनाव आयुक्त चुनती है।”
उन्होंने चेतावनी दी कि
“आप संविधान की रक्षा करने के लिए शपथ लेते हैं, लेकिन जो लोग उसका उल्लंघन कर रहे हैं, कानून उन्हें छोड़ेगा नहीं।”
उनके साथ मंच पर तेजस्वी यादव और दीपंकर भट्टाचार्य जैसे नेता भी मौजूद थे जिन्होंने भी चुनावी अनियमितताओं को लेकर सवाल उठाए।
INDIA गठबंधन बिहार के साथ है
राहुल गांधी ने भरोसा दिलाया कि INDIA गठबंधन बिहार की जनता के साथ खड़ा है और किसी भी कीमत पर वोट की चोरी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने जनता से जागरूक रहने और अपने वोट के अधिकार को लेकर सजग रहने की अपील की।
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