Health
क्या आप जानते हैं अखरोट किस अंग के लिए सबसे ज़्यादा फायदेमंद है? रोज़ाना खाली पेट खाएं और देखें चमत्कार
ओमेगा-3 विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर अखरोट सिर्फ दिमाग ही नहीं, दिल, हड्डियों और पाचन तंत्र के लिए भी है वरदान

सेहतमंद जीवन की बात करें और अखरोट (Walnut) का ज़िक्र न हो, ये मुमकिन ही नहीं। यह एक ऐसा सुपरफूड है जिसे आयुर्वेद से लेकर आधुनिक विज्ञान तक, दोनों ने स्वास्थ्य के लिए चमत्कारी माना है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अखरोट शरीर के किस विशेष अंग के लिए सबसे ज़्यादा फायदेमंद होता है?
अगर आप दिल, दिमाग या हड्डियों की सेहत को लेकर चिंतित हैं, तो अखरोट को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। आइए विस्तार से जानते हैं कि अखरोट कैसे और किन अंगों के लिए वरदान है और इसे खाने का सबसे सही तरीका क्या है।
अखरोट – दिल और दिमाग के लिए नेचुरल दवा
American Heart Association के अनुसार, अखरोट में पाए जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड रक्तचाप को नियंत्रित करता है और हृदय रोगों के खतरे को कम करता है। इसके साथ ही यह दिमाग की नसों को मज़बूती देता है, याददाश्त को बेहतर करता है और मानसिक तनाव से राहत दिलाता है।
अखरोट का आकार भी दिमाग से मिलता-जुलता होता है, और यही कारण है कि प्राचीन मान्यताओं में इसे “ब्रेन बूस्टर फूड” कहा गया है।

पाचन, हड्डियां और सूजन में भी असरदार
अखरोट में भरपूर मात्रा में फाइबर, मैग्नीशियम, कैल्शियम और आयरन होता है, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है। साथ ही यह हड्डियों को मज़बूती देने का काम करता है।
अखरोट में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व शरीर में सूजन को भी नियंत्रित करते हैं, जिससे गठिया जैसे रोगों में राहत मिलती है।
अखरोट में पाए जाने वाले प्रमुख पोषक तत्व:
- विटामिन E K A और C
- ओमेगा-3 फैटी एसिड
- फोलेट जिंक कॉपर सेलेनियम
- फास्फोरस कोलीन आयरन और मैग्नीशियम
- प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट और हेल्दी फैट्स
अखरोट खाने का सही तरीका क्या है?
अखरोट को अगर रातभर पानी में भिगोकर खाया जाए, तो इसके पोषक तत्व और भी ज़्यादा सक्रिय हो जाते हैं। सुबह खाली पेट 2-3 भीगे हुए अखरोट खाने से
- ऊर्जा मिलती है
- मेटाबॉलिज़्म तेज होता है
- और पोषक तत्व शरीर में बेहतर तरीके से अवशोषित होते हैं।
इसे स्मूदी, सलाद या ओट्स के साथ भी मिलाकर खाया जा सकता है, लेकिन सबसे ज्यादा फायदा भीगा हुआ अखरोट ही देता है।
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“सावधानी विरोध-विज्ञान नहीं है”: कोविड वैक्सीन पर सियासी घमासान के बीच बोले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया
Hassan जिले में अचानक हुई मौतों के बाद उठे सवाल, Kiran Mazumdar-Shaw और मुख्यमंत्री के बीच X पर बहस तेज़

बेंगलुरु: कोविड-19 वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बहस गर्म हो गई है, और इस बार इसकी चपेट में आ गए हैं कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और बायोकॉन की कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार-शॉ। Hassan जिले में हाल ही में हुई कई अचानक दिल से जुड़ी मौतों ने चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिसके चलते मुख्यमंत्री ने वैक्सीन की दीर्घकालिक सुरक्षा पर सवाल खड़ा किया — और इसी बयान के बाद शुरू हुआ सोशल मीडिया पर तीखा टकराव।
“जल्दबाज़ी में मिली मंज़ूरी?”
1 जुलाई को X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “यह नकारा नहीं जा सकता कि महामारी के दौरान कोविड वैक्सीन को मिली जल्दबाज़ी की मंज़ूरी इन मौतों का एक संभावित कारण हो सकती है।” उन्होंने कहा कि वैश्विक एजेंसियों ने खुद भी आपातकालीन इस्तेमाल को “calculated risk” माना था।
उनके इस बयान के बाद ही उन्होंने डॉ. रविंद्रनाथ केएस, निदेशक – श्री जयदेव हृदय विज्ञान संस्थान के नेतृत्व में एक विशेष विशेषज्ञ समिति गठित करने की घोषणा की, जो Hassan की मौतों और वैक्सीन के बीच संबंधों की जांच करेगी।
किरण शॉ ने कहा — “ग़लत तथ्य पेश कर रहे हैं”
बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र की प्रमुख हस्ती किरण शॉ ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री पर तीखा तंज कसा। उन्होंने कहा, “ये कहना कि वैक्सीन को हड़बड़ी में मंजूरी दी गई, पूरी तरह तथ्यात्मक रूप से गलत है और इससे पब्लिक में ग़लतफहमी फैलती है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत की वैक्सीन्स को वैश्विक मानकों के अनुरूप आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति मिली थी, और WHO द्वारा तय सुरक्षा प्रक्रिया का पूरी तरह पालन हुआ था।
“विज्ञान पर सवाल उठाना ‘विरोध-विज्ञान’ नहीं”
शुक्रवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बहस को और आगे बढ़ाते हुए लिखा —
“जब कोई परिवार बिना किसी चेतावनी के अपने बेटे या कमाने वाले सदस्य को खो देता है, तो सवाल उठाना संवेदना का कार्य है, न कि ग़लत सूचना फैलाना।”
उन्होंने ‘Nature’, ‘Circulation’ और ‘Journal of the American College of Cardiology’ जैसी शोध पत्रिकाओं का हवाला देते हुए कहा कि कई अध्ययनों में युवा आबादी में myocarditis और cardiac arrest जैसी जटिलताओं का अध्ययन किया गया है। उन्होंने AstraZeneca द्वारा दुर्लभ लेकिन गंभीर साइड इफेक्ट्स की स्वीकारोक्ति का भी हवाला दिया।
🇮🇳 स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया खंडन
इस बीच भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने किसी भी प्रकार के सीधे संबंध को नकारते हुए कहा है कि ICMR और NCDC के आंकड़ों के अनुसार, कोविड-19 वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावशाली हैं। गंभीर दुष्प्रभावों की घटनाएं अत्यंत दुर्लभ हैं।
वैज्ञानिक बहस या सियासी एजेंडा?
मुख्यमंत्री ने अपनी बात को साफ करते हुए कहा, “हमें स्वीकार करना चाहिए कि जल्दबाज़ी जीवन बचाने के लिए की गई थी, लेकिन उसके संभावित परिणामों पर चर्चा करना भी उतना ही जरूरी है।”
वहीं किरण शॉ ने कहा, “हर मौत दुखद होती है और Hassan में हो रही मौतों की जांच बेहद ज़रूरी है। लेकिन विज्ञान को गलत तरीके से प्रस्तुत करना जिम्मेदारी नहीं है।”
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लखनऊ में एबीवी मेडिकल यूनिवर्सिटी के नर्सिंग छात्रों का अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल, बोले — “शिक्षा का अपमान बर्दाश्त नहीं!”
परीक्षा शेड्यूल और प्रमोशन नियमों में बदलाव की मांग को लेकर सैकड़ों छात्रों ने यूनिवर्सिटी गेट पर शुरू किया शांतिपूर्ण प्रदर्शन, पुलिस कर रही समझाने की कोशिश

लखनऊ: अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनिवर्सिटी (ABVMU), जो सुषांत गोल्फ सिटी क्षेत्र में स्थित है, वहां शुक्रवार को एक नया छात्र आंदोलन उभरकर सामने आया है। बीएससी नर्सिंग के छात्रों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। उनका आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन उनके भविष्य को लेकर गंभीर नहीं है।
परीक्षा से पहले नियम स्पष्ट करो — छात्रों की मांग
प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मुख्य मांग है कि सातवें सेमेस्टर की कक्षाएं शुरू होने से पहले, पहले से छठे सेमेस्टर तक की सभी परीक्षाएं आयोजित की जाएं। इसके साथ ही वे यह भी चाहते हैं कि यदि किसी छात्र से बैक पेपर छूट गया है, तो उसे सातवें सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल होने से न रोका जाए।
छात्रों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीक़े से अपनी बात रखने आए हैं, लेकिन अब तक किसी भी अधिकारी ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया। एक छात्रा ने कहा, “हमने बार-बार अपनी बातें रखीं, लेकिन अब हमें भूख हड़ताल जैसे कदम उठाने पड़े। अगर हमारी शिक्षा के साथ खिलवाड़ होगा, तो हम चुप नहीं बैठेंगे।”
“शिक्षा का अपमान अब और नहीं सहेंगे”
प्रदर्शनकारी छात्रों ने ‘शिक्षा का अपमान बंद करो’ और ‘छात्रों को न्याय दो’ जैसे नारों के साथ यूनिवर्सिटी गेट पर डेरा डाला हुआ है। छात्रों का कहना है कि वे तब तक हड़ताल नहीं खत्म करेंगे जब तक प्रशासन उनकी मांगों पर लिखित में फैसला नहीं लेता।
पुलिस कर रही बातचीत, प्रशासन बना है मौन
घटना स्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने छात्रों को समझाने की कोशिश की, लेकिन छात्रों ने साफ कह दिया कि यह प्रदर्शन पूर्णत: शांतिपूर्ण रहेगा और वे कानूनी तरीकों से ही अपना विरोध जताएंगे।
अब तक यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। छात्रों का यह भी आरोप है कि प्रशासन बार-बार तारीखें बदलकर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
क्या कहता है ABVMU का ट्रैक रिकॉर्ड?
ABVMU, यानी Atal Bihari Vajpayee Medical University, उत्तर प्रदेश की एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी है जो मेडिकल और नर्सिंग एजुकेशन में कई कॉलेजों को एफिलिएट करती है। लेकिन छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी के परीक्षा और प्रमोशन के मानदंड अक्सर अस्पष्ट रहते हैं, जिससे छात्रों को बार-बार मानसिक दबाव झेलना पड़ता है।
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कोविड वैक्सीन और दिल की मौतों पर विवाद: सिद्धारमैया ने किरण मजूमदार-शॉ को दिया करारा जवाब
“सवाल पूछना ज़िम्मेदारी है, दोषारोपण नहीं” — कर्नाटक CM ने किया स्पष्ट, मौतों की जांच के लिए गठित की विशेषज्ञ समिति

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और बायोकॉन की कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार-शॉ के बीच कोविड-19 वैक्सीन और हृदयघात से जुड़ी मौतों को लेकर जारी बयानबाज़ी ने स्वास्थ्य और विज्ञान पर एक गंभीर बहस छेड़ दी है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान में साफ़ किया कि “सरकार का उद्देश्य किसी प्रकार की अफवाह फैलाना नहीं, बल्कि सच्चाई तक पहुंचना और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।” उन्होंने कहा कि हासन ज़िले में हाल ही में एक महीने के अंदर 20 से अधिक लोगों की हार्ट अटैक से हुई मौतें केवल आंकड़े नहीं, एक चेतावनी हैं।
“हमारा कर्तव्य है कि हम सवाल उठाएं, न कि चुप रहें”
सिद्धारमैया ने कहा, “हर जीवन हमारे लिए अनमोल है, खासकर युवाओं और बच्चों का जिनका पूरा भविष्य अभी सामने है। अगर हम संभावित कारणों की जांच नहीं करेंगे, तो हम अपनी ज़िम्मेदारी से भाग रहे होंगे। यह दोष देने का मामला नहीं है, यह सच जानने का प्रयास है।”
उनका यह बयान किरण मजूमदार-शॉ की उस तीखी प्रतिक्रिया के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “वैक्सीन को ‘जल्दबाज़ी में मंजूरी दी गई’ बताना तथ्यात्मक रूप से गलत है और इससे जनता में भ्रम पैदा होता है।” उन्होंने ज़ोर दिया कि कोविड-19 वैक्सीन ने विश्वभर में करोड़ों लोगों की जान बचाई है और इन्हें कठोर परीक्षण के बाद ही स्वीकृति मिली थी।
विशेषज्ञ समिति करेगी जांच
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस विषय की गंभीरता को समझते हुए उनकी सरकार ने डॉ. सी.एन. मंजुनाथ, निदेशक, जयदेव हृदय विज्ञान संस्थान की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की है, जो 10 दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी। यह समिति पूरे कर्नाटक में युवाओं में हो रही अचानक दिल की मौतों की पड़ताल करेगी और कोविड वैक्सीन की संभावित भूमिका की वैज्ञानिक जांच करेगी।
BJP पर साधा निशाना
सिद्धारमैया ने इस मुद्दे के राजनीतिकरण पर BJP को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “जब हम वैज्ञानिक अध्ययन के लिए कदम उठा रहे हैं, तब भाजपा नेताओं को इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। यह सच्चाई है कि वैक्सीन इमरजेंसी अप्रूवल के तहत आई थी और आज भी इसके प्रभावों पर दुनिया भर में चर्चा जारी है।”
जनता से की अपील
CM ने राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं जैसे “हृदय ज्योति” और “गृह आरोग्य” का ज़िक्र करते हुए कहा कि प्रदेश भर में हृदय संबंधी बीमारियों की समय रहते पहचान और इलाज के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने जनता से अपील की कि “अगर किसी को सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत या बेचैनी हो रही है तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।”
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