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11 साल के ओरो से मुश्किल में पड़े विश्वनाथन आनंद लेकिन फाइनल में बनाई जगह
38वें स्यूदाद डे लियोन टूर्नामेंट में विश्वनाथन आनंद ने अर्जेंटीना के किशोर ग्रांडमास्टर फॉस्टीनो ओरो को हराकर फाइनल में प्रवेश किया, लेकिन यह जीत इतनी आसान नहीं थी।
भारत के दिग्गज ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद ने 38वें मैजिस्ट्रल स्यूदाद डे लियोन शतरंज टूर्नामेंट में अर्जेंटीना के 11 वर्षीय प्रतिभाशाली खिलाड़ी फॉस्टीनो ओरो को बेहद संघर्षपूर्ण मुकाबले में हराकर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली है। इस जीत ने यह साफ कर दिया है कि शतरंज की दुनिया में नया “गोल्ड” भविष्य बहुत तेज़ी से उभर रहा है।
मैच की शुरुआत एक शांत ड्रा से हुई, लेकिन दूसरे गेम में अनुभव पर युवा जोश भारी पड़ता नजर आया। “मद्रास टाइगर” ने सेंटर में एक गलती कर दी, जिससे ओरो को जीत का मौका मिला। लेकिन ओरो, जो कि दुनिया के सबसे कम उम्र के इंटरनेशनल मास्टर बन चुके हैं, इस सुनहरे मौके को भुना नहीं सके। खेल एक बार फिर अनिर्णायक रहा।
अगले दो क्लासिकल गेम्स भी ड्रॉ पर खत्म हुए, जिसके बाद मुकाबला ब्लिट्ज टाईब्रेक्स में गया। यहां अनुभव ने कमाल दिखाया। पहले ब्लिट्ज में आनंद ने क्वीन और एक रंग के बिशप एंडगेम में ओरो की टाइम ट्रबल का फायदा उठाते हुए जीत हासिल की। दूसरा ब्लिट्ज ड्रॉ रहा, और इस तरह आनंद ने 3.5-2.5 के अंतर से जीत दर्ज की।
स्पेनिश में “Oro” का मतलब होता है “सोना”, और फॉस्टीनो ओरो वाकई में उस नाम के हकदार हैं। जिस आत्मविश्वास और तकनीकी कौशल से उन्होंने एक पाँच बार के विश्व चैंपियन को दबाव में डाला, वह किसी भी उभरते सितारे के लिए बड़ी बात है। कई जानकारों का मानना है कि अगर ओरो दूसरे गेम में जीत दर्ज कर लेते, तो शायद मुकाबले की तस्वीर ही बदल जाती।
अब फाइनल में विश्वनाथन आनंद का मुकाबला स्पेन के जैमी सैंटोस लाटासा और वियतनाम के लिएम क्वांग ले के बीच के विजेता से होगा। यह मुकाबला भारतीय समयानुसार रात 8 बजे शुरू होगा।
ओरो ने इस हार से भले ही टूर्नामेंट से बाहर हो गए हों, लेकिन एक बात तय है — उन्होंने यह साबित कर दिया कि शतरंज का भविष्य उज्जवल और युवा हाथों में है।
