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एक नोटिस ने पलट दी ज़िंदगी बंगाल के युवक को असम की अदालत ने बताया घुसपैठिया
कोचबिहार निवासी उत्तम ब्रजवासी को असम की विदेशी ट्रिब्यूनल से मिला ‘अवैध प्रवासी’ का नोटिस, ममता बनर्जी ने भाजपा पर साधा निशाना

जनवरी की सर्दी में जब देश भर में आम जन जीवन सामान्य रूप से चल रहा था, पश्चिम बंगाल के दिनहाटा निवासी उत्तम ब्रजवासी की ज़िंदगी अचानक एक पत्र से उलट-पलट हो गई। यह कोई आम पत्र नहीं, बल्कि असम की Foreigners Tribunal (विदेशी न्यायाधिकरण) की ओर से भेजा गया नोटिस था, जिसमें उन्हें अवैध प्रवासी” घोषित करते हुए अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया था।
नोटिस में कहा गया कि उत्तम बिना वैध दस्तावेजों के 1966 से 24 मार्च 1971 के बीच असम में घुसे थे, जो विदेशी अधिनियम के तहत अवैध माना जाता है। यह खबर उनके लिए किसी आफत से कम नहीं थी, क्योंकि उत्तम न कभी असम गए और न ही उन्होंने वहां कोई दस्तावेज बनवाया।
राजनीति में घिरा आम नागरिक
इस संवेदनशील मामले ने तभी और तूल पकड़ लिया जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे केंद्र सरकार और असम सरकार पर निशाना साधने का ज़रिया बना लिया। उन्होंने तीखा आरोप लगाया कि —
भाजपा सरकार बंगाल में एनआरसी लागू करने की साजिश कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि “केंद्र सरकार राजनीतिक प्रतिशोध के तहत निर्दोष लोगों को विदेशी करार देने की चालें चल रही है।” वहीं दूसरी ओर, भाजपा नेताओं ने पलटवार करते हुए कहा कि ममता बनर्जी इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देकर ‘बांग्लादेशी घुसपैठियों’ को बचाना चाहती हैं।
कानूनी दुविधा और व्यक्तिगत संकट
उत्तम ब्रजवासी की मानें तो उन्होंने न तो कभी असम में निवास किया और न ही किसी सरकारी योजना में हिस्सा लिया। अब वे पैसों, दस्तावेजों और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। उन्हें असम जाकर पेश होना है, जबकि वे कभी वहां रहे ही नहीं।
यह घटना देशभर में NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के संभावित विस्तार और इसके मानवाधिकार प्रभाव पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
आगे क्या?
ममता सरकार ने ऐसे सभी मामलों की समीक्षा करने और कानूनी सहायता देने की घोषणा की है। हालांकि सवाल ये उठता है कि क्या यह मामला राजनीति की भेंट चढ़े आम नागरिकों के लिए एक चेतावनी है?