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100% Tariff Warning ने मचाई हलचल अमेरिका का बड़ा एक्शन प्लान भारत चीन ब्राज़ील को चेतावनी
100% Tariff Warning: अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने रूस से सस्ता तेल खरीदने पर भारत, चीन और ब्राज़ील को दी खुली धमकी, बोले – “अब खेल बदल चुका है, इकोनॉमी तबाह कर देंगे”

अमेरिकी राजनीति में हलचल मचाने वाले बयानों की कमी नहीं, लेकिन इस बार अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम के बयान ने भारत, चीन और ब्राज़ील को सीधे निशाने पर ले लिया है। Fox News से बातचीत करते हुए उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि अगर ये देश रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना जारी रखते हैं, तो अमेरिका 100% Tariff Warning के तहत इनके ऊपर भारी शुल्क लगाएगा। यह बयान न केवल कूटनीतिक हलकों में बल्कि वैश्विक तेल बाजार और भू-राजनीति में भी गूंज बनकर उभरा है।
ग्राहम ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध मशीन को जिंदा रखने में सस्ता तेल एक अहम भूमिका निभा रहा है और भारत, चीन, ब्राज़ील जैसे देश उस ‘ब्लड मनी’ का हिस्सा बन रहे हैं। ऐसे में अगर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में लौटते हैं, तो 100% Tariff Warning को तुरंत लागू कर दिया जाएगा। यह चेतावनी न केवल इन तीन देशों के लिए बल्कि उन सभी राष्ट्रों के लिए है जो रूस की आर्थिक रीढ़ बने हुए हैं।
अमेरिका की रणनीति: पुतिन पर कड़ा रुख, बाकी देशों को चेतावनी
द वायर और रॉयटर्स के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, द रिपब्लिकन नेता ग्राहम ने कहा कि व्लादिमीर पुतिन अब भी सोवियत संघ को पुनर्जीवित करने का सपना देख रहे हैं और यूक्रेन की संप्रभुता को कुचलकर अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने 1990 के दशक की उस संधि का हवाला दिया जिसमें यूक्रेन ने 1700 से अधिक परमाणु हथियार छोड़े थे, इस आश्वासन पर कि रूस उनकी संप्रभुता का सम्मान करेगा। लेकिन पुतिन ने उस वादे को तोड़ दिया।
ग्राहम ने यह भी कहा कि “वो तब तक नहीं रुकेंगे जब तक कोई उन्हें रोकेगा नहीं।” यही कारण है कि अमेरिका अब हथियारों की सप्लाई के जरिए यूक्रेन को पूरी ताकत से समर्थन देने में जुटा है।
भारत को क्यों मिली चेतावनी: आर्थिक रिश्तों पर क्या होगा असर

द इकॉनोमिक टाइम्स के अनुसार, भारत जो रूस का एक प्रमुख तेल खरीदार बन चुका है, उसके ऊपर यह 100% Tariff Warning एक आर्थिक संकट की तरह लटक सकती है। भारत रूस से कच्चे तेल की बड़ी मात्रा में खरीदारी करता है और सस्ते दामों पर खरीदे गए इस तेल से अपने देश की जरूरतों को पूरा करता है। लेकिन अगर ट्रंप की वापसी के बाद यह शुल्क लगाया गया, तो भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है, खासकर एक्सपोर्ट सेक्टर में।
वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की विदेश नीति संतुलन पर आधारित है। एक तरफ अमेरिका जैसे सहयोगी देश हैं, तो दूसरी ओर रूस जैसा पारंपरिक मित्र। ऐसे में भारत के लिए निर्णय लेना बेहद कठिन होगा कि वो अमेरिकी दबाव में आए या अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करे।
चीन और ब्राज़ील के लिए चेतावनी के मायने
‘100% Tariff Warning’ केवल भारत तक सीमित नहीं है। चीन, जो पहले से ही अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर की स्थिति में है, उसे इस बयान के जरिए एक और कड़ा संकेत मिला है। ग्राहम ने कहा कि “अब खेल बदल चुका है, जो रूस की मदद करेगा वो अमेरिका की अर्थव्यवस्था से हाथ धो बैठेगा।”
ब्राज़ील भी इस चेतावनी की जद में आ चुका है। अमेरिका यह मानता है कि तीनों देश रूस की इकोनॉमी को ऑक्सीजन दे रहे हैं और अप्रत्यक्ष रूप से पुतिन के युद्ध को फंड कर रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और दुनिया की दिशा
सीनेटर ग्राहम ने डोनाल्ड ट्रंप की वापसी को “फॉरेन पॉलिसी की वापसी” करार दिया। उन्होंने कहा कि ट्रंप “अमेरिकी राजनीति के स्कॉटी शेफ़लर” हैं और वो पुतिन पर बड़ा हमला बोलने जा रहे हैं। ग्राहम के मुताबिक, ट्रंप की नीतियां ईरान जैसे खतरनाक देशों पर पहले ही असर दिखा चुकी हैं और अब रूस की बारी है।

अगर ट्रंप 2024 के चुनाव जीतते हैं, तो उनकी वापसी वैश्विक स्तर पर बड़ी हलचल ला सकती है। 100% Tariff Warning न केवल भारत-चीन-ब्राज़ील जैसे देशों को झकझोर सकती है, बल्कि इससे यूरोप, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के कई देश भी प्रभावित हो सकते हैं।
कूटनीति बनाम धमकी: अमेरिका की नीति पर सवाल
कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इस ‘धमकी भरे’ रुख पर चिंता जाहिर की है। उनका मानना है कि वैश्विक मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत और कूटनीति जरूरी है, न कि दबाव और धमकियां। भारत जैसे लोकतांत्रिक और संप्रभु राष्ट्र को ‘आर्थिक सजा’ देने की धमकी, अमेरिका की ‘ग्लोबल लीडरशिप’ की भूमिका पर सवाल उठाती है।
हालांकि, भारत अब तक ‘स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी‘ की नीति पर चलता आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत ने कई बार स्पष्ट किया है कि वह किसी के दबाव में नहीं आता, चाहे वह अमेरिका हो या रूस।
निष्कर्ष: आगे क्या होगा?

100% Tariff Warning की यह धमकी भले ही ट्रंप समर्थक ग्राहम की हो, लेकिन इसका असर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा। भारत, चीन और ब्राज़ील को यह तय करना होगा कि वो अपनी ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता देंगे या अमेरिकी दबाव में झुकेंगे।
अभी तक भारत की ओर से इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विदेश मंत्रालय के करीबी सूत्रों के मुताबिक, भारत अपनी रणनीति बदलने के मूड में नहीं है। आने वाले हफ्तों में इस मुद्दे पर वैश्विक मंचों पर जोरदार बहस देखने को मिल सकती है।