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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से दिया इस्तीफा, देश में मची हलचल
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया, चिकित्सीय सलाह के अनुसार स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का लिया फैसला।

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया, चिकित्सीय सलाह के अनुसार स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का लिया फैसला।

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़. (फाइल फोटो)
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार, 21 जुलाई 2025 को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि वह “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देना चाहते हैं और डॉक्टरों की सलाह का पालन कर रहे हैं।” इस फैसले से देश की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है क्योंकि उनका कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ था।
राज्यसभा के सभापति के रूप में देश की विधायी प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा चुके धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूँ, ताकि मैं अपनी स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता दे सकूं और चिकित्सीय सलाह का पालन कर सकूं।”
मोदी सरकार के करीबी माने जाने वाले इस संवैधानिक पदाधिकारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संसद सदस्यों और देश की जनता को उनके सहयोग और स्नेह के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने लिखा कि उपराष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली का गौरवपूर्ण अनुभव रहा और उन्हें इस भूमिका में रहते हुए देश की प्रगति से जुड़ने का सीधा अवसर मिला।
सूत्रों के अनुसार, देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर आसीन रहे धनखड़ पिछले कुछ महीनों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। मार्च 2025 में उन्हें AIIMS में भर्ती कराया गया था और जून में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान उन्हें चक्कर आने की शिकायत भी हुई थी। ऐसे में डॉक्टरों ने उन्हें पूर्ण आराम की सलाह दी थी, जिसे अब उन्होंने गंभीरता से लिया है।
उनके इस्तीफे के साथ ही भारत में नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी, जो संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाएगा। निर्वाचन आयोग जल्द ही इसकी तारीखों की घोषणा करेगा। यह चुनाव न केवल एक संवैधानिक आवश्यकता है बल्कि राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।
राज्यसभा के वर्तमान शून्य नेतृत्व को देखते हुए आगामी संसद सत्र में अध्यक्षता की भूमिका फिलहाल सबसे वरिष्ठ सदस्य या नामित अधिकारी निभा सकते हैं। यह स्थिति तब तक बनी रहेगी जब तक नया उपराष्ट्रपति पदभार ग्रहण नहीं करता।
यह पहला मौका नहीं है जब किसी शीर्ष संवैधानिक पदाधिकारी ने स्वास्थ्य के चलते पद छोड़ने का निर्णय लिया हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ऐसे समय पर इस्तीफा, जब संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है, सरकार के लिए रणनीतिक दबाव बढ़ा सकता है।
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