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शशि थरूर की आपातकाल पर दो टूक टिप्पणी अवर्णनीय क्रूरता और स्थायी असर छोड़ गया वह दौर
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक लेख में कहा – “आपातकाल ने लोकतंत्र पर गहरा घाव छोड़ा”, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आलोचना से पार्टी में हलचल

कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर एक बार फिर अपनी पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी को लेकर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल (Emergency) को लेकर तीखी आलोचना की है।
थरूर ने एक अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट Project Syndicate पर प्रकाशित लेख में लिखा है कि आपातकाल का दौर अवर्णनीय क्रूरता से भरा था और उसका असर आज भी देश के लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस लेख को मलयालम अखबार दीपिका ने भी प्रमुखता से छापा है।
थरूर की टिप्पणी और कांग्रेस की असहजता
जहां कांग्रेस पार्टी आमतौर पर आपातकाल को “जरूरी निर्णय” के रूप में पेश करने की कोशिश करती है, वहीं थरूर का यह लेख पार्टी की आधिकारिक लाइन से स्पष्ट विरोधाभास में आता है। उन्होंने लिखा कि –
आपातकाल सिर्फ राजनीतिक दमन नहीं था, यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संस्थाओं पर सीधा हमला था। जेलें भर दी गईं, प्रेस पर ताले लग गए और लोगों की आवाज़ें कुचल दी गईं।
थरूर ने यह भी लिखा कि भारत आज भले ही एक समृद्ध और सशक्त लोकतंत्र हो, लेकिन उस दौर की भूलों से सीख लेना अनिवार्य है।
इंदिरा गांधी की नीतियों पर सीधा हमला
थरूर ने इंदिरा गांधी की आलोचना करते हुए लिखा कि “उन्होंने तात्कालिक सत्ता को सुरक्षित रखने के लिए संविधान की आत्मा को चोट पहुंचाई।” उन्होंने माना कि कांग्रेस ने बाद में इसे “राजनीतिक भूल” कहा, लेकिन देश को जो क्षति हुई, वह आज भी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाई है।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस लोकसभा चुनावों में हार और अंदरूनी समीक्षाओं से गुजर रही है। थरूर की स्पष्टवादिता एक बार फिर पार्टी के अंदर बहस का विषय बन गई है।
क्या थरूर पार्टी के भीतर एक वैकल्पिक सोच की आवाज़ बन रहे हैं?
शशि थरूर पहले भी कई मुद्दों पर पार्टी से अलग राय रखते आए हैं, चाहे वह विवादास्पद भाषणों, नेतृत्व संरचना या लोकतंत्र के भविष्य को लेकर हो। इस लेख के बाद ये सवाल फिर खड़े हो गए हैं कि क्या वे कांग्रेस के भीतर लोकतांत्रिक बहस को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं या पार्टी लाइन से लगातार हटकर कुछ नया संकेत दे रहे हैं?