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“जब आतंकवाद पर ही चुप्पी हो, तो भारत क्यों बोले?” — SCO बैठक पर जयशंकर का दो टूक बयान

राजनाथ सिंह के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर न करने के फैसले को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया ‘साहसिक और सही कदम’, कहा—“आतंकवाद का जिक्र नहीं होगा तो हम साथ नहीं होंगे”

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SCO बैठक में आतंकवाद का मुद्दा दबाने की कोशिश पर भारत का विरोध, जयशंकर और राजनाथ सिंह का सख्त संदेश

नई दिल्ली, जून 2025:
भारत अब वैश्विक मंचों पर अपने रुख को लेकर और भी मुखर हो गया है। इसकी ताज़ा मिसाल देखने को मिली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में, जहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इस फैसले को अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर का भी समर्थन मिला है।

जयशंकर ने शुक्रवार को कहा, “SCO जैसे संगठन का मकसद अगर आतंकवाद से लड़ना है, और फिर भी उस मुद्दे पर चुप्पी साधी जाए, तो भारत ऐसे किसी बयान का हिस्सा नहीं बन सकता।”


आतंकवाद पर चुप्पी और पाकिस्तान पर इशारा

बिना किसी देश का नाम लिए विदेश मंत्री ने स्पष्ट संकेत दिए कि कुछ सदस्य देश आतंकवाद पर साफ रुख नहीं रखना चाहते। उन्होंने कहा, “आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कौन ऐसा चाहता है कि आतंकवाद पर चर्चा ही न हो।”

यह सीधा इशारा पाकिस्तान की ओर था, जिसने बयान में अपने क्षेत्र की एक आतंकी घटना (बलूचिस्तान की ट्रेन अपहरण) का जिक्र तो करवाया, लेकिन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (22 अप्रैल) का कोई उल्लेख नहीं होने दिया।


भारत की नाराज़गी: “एक तरफा बात नहीं चलेगी”

SCO में सभी निर्णय सर्वसम्मति से होते हैं, लेकिन भारत का मानना है कि जब आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरी नीति अपनाई जाए, तो वह बयान निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता।

राजनाथ सिंह ने बैठक में साफ कहा, “कुछ देश आतंकियों को शरण देते हैं और सीमा पार आतंकवाद को नीति का हिस्सा बना लेते हैं। ऐसे दोहरे रवैये को भारत किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेगा।”


“ऑपरेशन सिंदूर” का ज़िक्र और सख्त संदेश

रक्षा मंत्री ने इस दौरान “ऑपरेशन सिंदूर” का भी उल्लेख किया, जिसमें भारत ने आतंकियों को सख्त जवाब दिया था। उन्होंने SCO को चेताया कि यदि संगठन की साख बरकरार रखनी है, तो उसे आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट और सामूहिक रुख अपनाना होगा।


जयशंकर ने दिखाई भारत की नई डिप्लोमैसी की दिशा

जयशंकर के अनुसार, भारत अब “सिद्धांत आधारित और कठोर” विदेश नीति पर चल रहा है, जहां समझौता नहीं बल्कि स्पष्टता और संप्रभुता की प्राथमिकता है।

“अगर हम आतंकवाद पर एकमत नहीं हैं, तो ऐसे बयान का कोई मतलब नहीं है”, यह कहकर उन्होंने SCO जैसे संगठनों में भारत के बदले हुए स्टैंड को मजबूती से दोहराया।


निष्कर्ष: भारत अब ‘NO COMPROMISE’ मोड में है

भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मौन या कूटनीतिक संतुलन नहीं, बल्कि सच और संवेदनशीलता की बात होगी। चाहे SCO हो या कोई और संगठन—भारत अब अपने राष्ट्रीय हितों के आगे किसी कथित ‘डिप्लोमैसी’ को नहीं झुकेगा।

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