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शांति की बात कर रहा पाकिस्तान लेकिन पहलगाम हमले से झाड़ा पल्ला – SCO बैठक में भारत ने रखा सख्त रुख
SCO बैठक में पाकिस्तान ने किया संघर्षविराम का समर्थन और भारत से संवाद की बात, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले में अपनी भूमिका से साफ इंकार किया; जयशंकर बोले – आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद हैं सबसे बड़ा खतरा।

चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत और पाकिस्तान के बीच फिर एक बार तीखी कूटनीतिक तकरार देखने को मिली। जहां एक ओर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को “तीन सबसे बड़े खतरे” बताया और हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का ज़िक्र करते हुए पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठाए, वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने इस हमले में किसी भी भूमिका से इनकार कर दिया।
डार ने कहा, “पाकिस्तान संघर्षविराम के लिए प्रतिबद्ध है और वह सभी पड़ोसी देशों, विशेषकर भारत के साथ शांति और स्थिरता के संबंध चाहता है। लेकिन हमें बिना जांच और सबूत के निशाना बनाना स्वीकार्य नहीं।”
पाकिस्तान की दोहरी नीति?
भारत ने अप्रैल में पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों पर लक्षित हमले किए थे। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारत ने कई देशों को पाकिस्तान आधारित आतंकियों की जानकारी साझा कर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया।
लेकिन SCO बैठक में डार ने कहा कि, “पहलगाम का आरोप भारत ने बिना किसी प्रमाण के लगाया है, जो परमाणु संपन्न देशों के बीच टकराव का कारण बन सकता है।”
इस बयान पर भारत की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने स्पष्ट किया कि, “भारत केवल आतंकवाद पर ही पाकिस्तान से बात करेगा, क्योंकि यही उनकी राज्य नीति बन चुकी है। आतंकवाद मानवता के लिए खतरा है, और इसे किसी भी बहाने से जायज़ नहीं ठहराया जा सकता।”
संघर्षविराम की बात और राजनीतिक बयानबाज़ी
डार ने यह भी बताया कि 10 मई को दोनों देशों के बीच एक आपसी समझौता हुआ था, जिसके बाद चार दिनों की क्रॉस-बॉर्डर ड्रोन और मिसाइल स्ट्राइक्स के बाद संघर्षविराम लागू हुआ। उन्होंने कहा, “विवादों का समाधान युद्ध और ज़बरदस्ती नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति से होना चाहिए।”
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की यह “संवाद नीति” केवल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर छवि सुधारने की कोशिश है, जबकि ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है।

SCO में भारत का कड़ा रुख
SCO के 10 सदस्य देशों (भारत, चीन, रूस, ईरान, पाकिस्तान, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस) के इस मंच पर भारत ने फिर दोहराया कि आतंकवाद किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जयशंकर ने कहा, “हमारे पड़ोसी द्वारा राज्य-प्रायोजित आतंकवाद का प्रयोग हमारी सुरक्षा और अखंडता पर सीधा हमला है। हम हर स्तर पर इसका मुकाबला करते रहेंगे।”
चीन और पाकिस्तान की ‘लौह संबंध’ और भारत की रणनीति
SCO बैठक से ठीक पहले पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर उन्हें “Iron-Clad Brother” कहा। यह बयान भारत के लिए रणनीतिक चुनौती को और अधिक स्पष्ट करता है।
भारत अब कूटनीतिक मंचों पर न केवल आतंकवाद का मुद्दा मजबूती से उठा रहा है, बल्कि वैश्विक साझेदारों के साथ समन्वय बनाकर पाकिस्तान की गतिविधियों को बेनकाब करने में जुटा है।