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सावरकर मानहानि केस में राहुल गांधी को किताब पेश करने पर नहीं किया जा सकता मजबूर: पुणे कोर्ट का फैसला

सत्यकी सावरकर की याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा – “राहुल गांधी को अपनी ही खिलाफ गवाही देने को नहीं किया जा सकता मजबूर”

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सावरकर मानहानि केस: राहुल गांधी को किताब पेश करने को नहीं किया जा सकता मजबूर | Dainik Diary
वीर सावरकर पर दिए गए बयान को लेकर घिरे राहुल गांधी को पुणे कोर्ट से राहत, किताब पेश करने की याचिका खारिज

पुणे: स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को लेकर राहुल गांधी द्वारा दिए गए कथित आपत्तिजनक बयान पर चल रहे मानहानि मामले में पुणे की एक विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि राहुल गांधी को उस कथित “किताब” को अदालत में प्रस्तुत करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, जिसका हवाला उन्होंने अपने बयान में दिया था।

कोर्ट का तर्क — संविधान का अनुच्छेद 20(3)

विशेष न्यायाधीश अमोल शिंदे ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20(3) के तहत, किसी भी आरोपी को अपने ही खिलाफ साक्ष्य देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता

“अगर आरोपी को पहले ही ऐसा कोई साक्ष्य पेश करने को कहा जाता है, तो यह उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा,” — न्यायाधीश शिंदे।

मामला क्या है?

सत्यकी सावरकर, जो वीर सावरकर के प्रपौत्र हैं, ने याचिका दायर कर दावा किया था कि राहुल गांधी ने 2023 में लंदन में दिए एक भाषण में कहा था कि वीर सावरकर ने अपनी किसी किताब में लिखा है कि उन्होंने और उनके कुछ दोस्तों ने एक मुस्लिम युवक को पीटा था और उन्हें इससे खुशी मिली थी।


सत्यकी सावरकर का कहना था कि ऐसी कोई किताब मौजूद नहीं है, और यदि राहुल गांधी ने किसी किताब का हवाला दिया है, तो उन्हें उसे अदालत में पेश करना चाहिए।

कोर्ट ने याचिका खारिज की

हालांकि, अदालत ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया और साफ कहा कि यह आरोपी को खुद के खिलाफ गवाह बनने के लिए मजबूर करने जैसा होगा, जो कि कानून के तहत असंवैधानिक है।

“इस स्टेज पर ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता जो आरोपी को अपने खिलाफ कोई कथित दस्तावेज अदालत में लाने के लिए मजबूर करे।” — अदालत

राहुल गांधी का बयान और विवाद

मार्च 2023 में लंदन के एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने कथित रूप से कहा था कि “सावरकर ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि उन्होंने एक मुस्लिम को पीटा और उन्हें गर्व महसूस हुआ।” इस बयान पर पूरे देश में विवाद खड़ा हो गया था, विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) और सावरकर समर्थक संगठनों ने इसे अपमानजनक और झूठा बताया था।

अब आगे क्या?

फिलहाल अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राहुल गांधी को जबरन किताब लाने के लिए नहीं कहा जा सकता, लेकिन वह बचाव पक्ष की सुनवाई के दौरान यदि चाहें तो दस्तावेज पेश कर सकते हैं

इस फैसले के बाद अब इस केस में अगली सुनवाई के दौरान यह देखना होगा कि क्या राहुल गांधी स्वयं उस कथित किताब को पेश करते हैं या इस मुद्दे पर कोई नया मोड़ आता है।

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