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संजय लीला भंसाली के पसंदीदा एक्टर संजीव कुमार की अधूरी मोहब्बतें और अकेली मौत की दर्दनाक दास्तां

‘शोले’ के ठाकुर से लेकर ‘आंधी’ के पति तक – हर किरदार में जान डाल देने वाले संजीव कुमार की निजी ज़िंदगी एक अधूरी कहानी बनकर रह गई।

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संजीव कुमार की अधूरी मोहब्बतें और फिल्मी करियर की अनकही कहानी | Dainik Diary
'शोले' के ठाकुर की तरह गंभीर और निजी ज़िंदगी में बेहद अकेले – यही थे संजीव कुमार।

हिंदी सिनेमा के उन दिग्गज कलाकारों में एक नाम जो आज भी अभिनय की मिसाल माना जाता है, वो हैं संजीव कुमार। उनका असली नाम था हरिहर जरीवाला। 9 जुलाई 1938 को जन्मे इस महान कलाकार ने ‘शोले’, ‘आंधी’, ‘कोशिश’, ‘नमकीन’ और ‘अनामिका’ जैसी फिल्मों में अपने अद्वितीय अभिनय से दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी।

लेकिन जितना संजीव कुमार का फिल्मी करियर बुलंदियों पर रहा, उतनी ही अकेली और दर्दभरी रही उनकी निजी ज़िंदगी। ‘द एक्सप्रेस स्क्रीन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें अपनी महिला प्रशंसकों का बेहद प्यार मिला और वो इसे छुपाते नहीं थे। उनके करीबी दोस्तों में से एक अंजू महेन्दू ने बताया था कि उन्होंने अपने प्रेम संबंधों को संख्याओं में बांट रखा था – “आज नंबर 3 का फोन आया और नंबर 9 ने कुछ यूं प्रतिक्रिया दी।”

संजय लीला भंसाली के पसंदीदा एक्टर संजीव कुमार की अधूरी मोहब्बतें और अकेली मौत की दर्दनाक दास्तां


‘शोले’ के ठाकुर और ‘कोशिश’ के बहरे-मूक प्रेमी का किरदार निभाने वाले इस अभिनेता का दिल कई अभिनेत्रियों पर आया। इनमें हेमा मालिनी, शबाना आज़मी, सुलक्षणा पंडित और सायरा बानो जैसी प्रसिद्ध अभिनेत्रियां शामिल हैं।

बताया जाता है कि ‘ड्रीम गर्ल’ हेमा मालिनी से संजीव कुमार शादी करना चाहते थे। लेकिन अभिनेता के मुताबिक शादी के बाद हेमा को फिल्मों से दूर रहना होगा – ये शर्त दोनों के रिश्ते की राह में दीवार बन गई। इसके बाद 1970 के दशक के उत्तरार्ध में सुलक्षणा पंडित ने उन्हें शादी के लिए प्रस्ताव दिया, जिसे संजीव कुमार ने ठुकरा दिया। सुलक्षणा ने फिर कभी शादी नहीं की और अकेलेपन की ज़िंदगी जीती रहीं।

अन एक्टर्स एक्टर’ नामक पुस्तक में इस बात का भी जिक्र है कि शबाना आज़मी से उनका रिश्ता भी मां की नापसंदगी के कारण टूट गया, क्योंकि यह एक अंतरधार्मिक संबंध था। निजी ज़िंदगी में इन असफलताओं ने संजीव को तोड़ कर रख दिया।

बॉलीवुड के इस गंभीर अभिनेता ने बाद में खाने और शराब में अपनी पीड़ा डुबो दी। उन्हें एक बार दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद बायपास सर्जरी कराई गई और शराब से दूरी बनाने की कोशिश की। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था – 1985 में महज 47 साल की उम्र में दूसरी हार्ट अटैक ने उन्हें हमेशा के लिए छीन लिया।

आज भले ही राजेश खन्ना और दिलीप कुमार जैसे सुपरस्टार्स को ज्यादा लोकप्रियता मिली हो, लेकिन अभिनय की परिभाषा अगर कोई था, तो वो थे संजीव कुमार। ‘संजय लीला भंसाली’ जैसे निर्देशकों के पसंदीदा कलाकारों में गिने जाने वाले संजीव को इंडस्ट्री में आज भी ‘एक्टर का एक्टर’ कहा जाता है।

उनकी ज़िंदगी इस बात की मिसाल है कि कैमरे के सामने चमकने वाला सितारा, पर्दे के पीछे कितना तन्हा हो सकता है। शायद इसीलिए, उनकी ज़िंदगी के किरदार जितने मजबूत थे, उनका दिल उतना ही नाज़ुक।

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