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Disaster

रुद्रप्रयाग हादसा अलकनंदा में लापता सात यात्रियों का अब तक सुराग नहीं रेस्क्यू को रोके खड़ा है मौसम

26 जून को हुए भीषण बस हादसे के चौथे दिन भी नहीं मिल पाई सफलता, अब तक 5 शव बरामद, भारी बारिश और नदी की धार बनी सबसे बड़ी चुनौती

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घोलतीर हादसे के बाद रेस्क्यू अभियान में जुटी टीम, बारिश और तेज बहाव बना बड़ी चुनौती
घोलतीर हादसे के बाद रेस्क्यू अभियान में जुटी टीम बारिश और तेज बहाव बना बड़ी चुनौती

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 26 जून को घटी एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर घोलतीर के पास एक यात्री बस के खाई में गिरने से अब तक 5 यात्रियों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 7 लोग अभी भी लापता हैं। चौथे दिन भी चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन भारी बारिश और अलकनंदा नदी के उफान के कारण लगातार बाधित हो रहा है।

मौसम बना सबसे बड़ा रोड़ा, अलकनंदा की गर्जना से सहमा प्रशासन
घटनास्थल पर लगातार हो रही बारिश और नदी के तेज बहाव ने राहत और बचाव कार्य को नामुमकिन सा बना दिया है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार के अनुसार, रेस्क्यू टीम को हर पल जान जोखिम में डालनी पड़ रही है। NDRF, SDRF, ITBP और स्थानीय प्रशासन की टीमें लगातार सतर्कता के साथ काम कर रही हैं, लेकिन मौसम की मार के आगे तकनीक और संसाधन भी सीमित दिख रहे हैं।

परिजनों की टूट रही उम्मीदें, रो-रो कर बुरा हाल
लापता यात्रियों के परिजन घटनास्थल पर हर पल किसी चमत्कार की उम्मीद लेकर टिके हुए हैं। आंखों में आंसू, हाथों में तस्वीरें और दिल में विश्वास—यही उनका सहारा है। “हमारी पूरी दुनिया इसी बस में थी”, एक बुजुर्ग मां की चीख ने राहतकर्मियों की आंखें नम कर दीं। यह हादसा किसी एक परिवार की नहीं, कई घरों की खुशियों को निगल गया है।

क्या थी हादसे की वजह?
प्रारंभिक जांच में अनुमान है कि खराब मौसम और सड़क पर फिसलन ने चालक से वाहन पर नियंत्रण छीन लिया। बताया जा रहा है कि बस में चार दर्जन से अधिक यात्री सवार थे, जिनमें से कई तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम की ओर जा रहे थे। यह इलाका पहले भी हादसों के लिए बदनाम रहा है, लेकिन इस बार की त्रासदी ने एक बार फिर सिस्टम की तैयारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सरकार और प्रशासन पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मार्ग पर सुरक्षा इंतजाम नाममात्र के हैं। न तो बैरिकेडिंग है, न ही कोई सख्त रफ्तार नियंत्रण प्रणाली। यात्रियों की सुरक्षा के लिए कोई विशेष मॉनिटरिंग नहीं की जाती। अब जब हादसा हो चुका है, तब प्रशासन जागा है—लेकिन क्या इससे जानें लौटेंगी?