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गोल्ड स्मगलिंग केस में सौतेली बेटी की गिरफ्तारी के बाद छुट्टी पर भेजे गए IPS रामचंद्र राव की हुई वापसी
कर्नाटक सरकार ने हटाया अनिवार्य अवकाश, रामचंद्र राव को सिविल राइट्स एनफोर्समेंट का DGP नियुक्त किया

कर्नाटक सरकार ने वरिष्ठ IPS अधिकारी डॉ. के रामचंद्र राव की सेवा में वापसी करा दी है, जिन्हें कुछ महीने पहले उनकी सौतेली बेटी और अभिनेत्री रन्या राव के गोल्ड स्मगलिंग केस में गिरफ्तारी के बाद अनिवार्य अवकाश पर भेजा गया था। सरकार ने अब उन्हें सिविल राइट्स एनफोर्समेंट निदेशालय के पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद पर नियुक्त किया है।
सोमवार को जारी सरकारी आदेश में कहा गया, “डॉ. के रामचंद्र राव, IPS (KN 1993) के संबंध में अनिवार्य अवकाश का आदेश तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है और उन्हें सिविल राइट्स एनफोर्समेंट निदेशालय के DGP पद पर पदस्थ किया जाता है।” यह पद DGP, क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट, स्पेशल यूनिट्स और इकोनॉमिक ऑफेंस, बेंगलुरु के समकक्ष माना गया है।

पृष्ठभूमि – क्यों भेजे गए थे छुट्टी पर?
मार्च 2025 में रन्या राव को डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) ने बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था। वह दुबई से लौट रही थीं और उनके पास से 12.56 करोड़ INR मूल्य के सोने की ईंटें बरामद हुई थीं।
अगले दिन DRI ने उनके बेंगलुरु स्थित घर से 2.06 करोड़ INR मूल्य के सोने के गहने और 2.67 करोड़ INR नकद भी ज़ब्त किए। आरोप यह भी था कि उन्होंने कथित तौर पर पुलिस एस्कॉर्ट्स का दुरुपयोग कर एयरपोर्ट पर कस्टम चेक से बचने की कोशिश की।

जांच और समिति की पूछताछ
इस हाई-प्रोफाइल केस के बाद, राज्य सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव गौरव गुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति बनाई, जिसका काम यह पता लगाना था कि क्या रामचंद्र राव का इस कथित तस्करी में कोई सीधा या परोक्ष रोल था। राव ने समिति के सामने पेश होकर पूछताछ में सहयोग किया।
नई नियुक्ति और जिम्मेदारी
वापसी के बाद राव को जो पद दिया गया है, वह न केवल प्रतिष्ठित है बल्कि संवेदनशील मामलों से भी जुड़ा है। सिविल राइट्स एनफोर्समेंट निदेशालय का काम जातीय भेदभाव, सामाजिक अन्याय और मानवाधिकार उल्लंघन जैसे मामलों में कार्रवाई करना होता है।
वापसी से पहले राव कर्नाटक स्टेट पुलिस हाउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत थे।

राजनीतिक और जन प्रतिक्रिया
रामचंद्र राव की वापसी को लेकर राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। समर्थकों का कहना है कि जब तक किसी भी अधिकारी के खिलाफ ठोस सबूत न हो, तब तक उनकी सेवा बाधित नहीं की जानी चाहिए। वहीं, आलोचकों का मानना है कि इस तरह की संवेदनशील पोस्टिंग से पहले सरकार को जनता के विश्वास को ध्यान में रखना चाहिए।
फिलहाल, राव की वापसी के साथ यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपने नए पद पर किस तरह काम करते हैं और क्या यह मामला आगे और राजनीतिक रंग लेता है।