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R प्रज्ञानानंद बने भारत के नंबर 1 क्लासिकल शतरंज खिलाड़ी कार्लसन से रैंकिंग की सीधी टक्कर

जुलाई की FIDE रैंकिंग में 18 वर्षीय ग्रैंडमास्टर ने विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ा, अब दुनिया के टॉप 10 में एंट्री की तैयारी

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R प्रज्ञानानंद बना भारत का नंबर 1 शतरंज खिलाड़ी | जुलाई FIDE रैंकिंग में ऐतिहासिक छलांग
भारत के नए शतरंज सम्राट R प्रज्ञानानंद — जिन्होंने विश्वनाथन आनंद को पछाड़ FIDE क्लासिकल रैंकिंग में देश का शीर्ष स्थान हासिल किया

भारतीय शतरंज में एक ऐतिहासिक मोड़ आया है। R प्रज्ञानानंद ने जुलाई 2025 की FIDE क्लासिकल रैंकिंग में देश के दिग्गज विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ते हुए भारत के नंबर 1 खिलाड़ी का ताज पहन लिया है। यह उपलब्धि न केवल उनकी मेहनत और प्रतिबद्धता का नतीजा है, बल्कि भारतीय शतरंज के नए युग की घोषणा भी करती है।

चेन्नई के इस युवा ग्रैंडमास्टर ने 2723 की रेटिंग के साथ इस मुकाम को हासिल किया है, जबकि पाँच बार के विश्व चैंपियन आनंद की रेटिंग इस समय 2719 पर है। यह पहली बार है जब आनंद, जिन्होंने दशकों तक भारतीय शतरंज को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई, क्लासिकल रैंकिंग में किसी भारतीय खिलाड़ी से पीछे हैं।

अब सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की नजरें इस “युवा शतरंज सम्राट” पर टिकी हैं। द वर्ल्ड कप 2023 में मैग्नस कार्लसन को हराकर फाइनल में पहुंचने वाले प्रज्ञानानंद पहले ही बता चुके हैं कि वह केवल नाम नहीं, नंबर के खेल में भी शीर्ष पर पहुंचने की काबिलियत रखते हैं।

शतरंज विशेषज्ञों का मानना है कि प्रज्ञानानंद का यह उत्थान आकस्मिक नहीं है। बीते 12 महीनों में उन्होंने Fabiano Caruana, Hikaru Nakamura और Ian Nepomniachtchi जैसे टॉप प्लेयर्स के खिलाफ शानदार जीत दर्ज की है। इसके साथ ही उन्होंने युवाओं के बीच एक नई उम्मीद भी जगा दी है।

विशेष बात यह भी है कि यह उपलब्धि उन्होंने ऐसे समय में हासिल की है जब भारत में शतरंज तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। हाल ही में संपन्न हुए Tata Steel Chess India टूर्नामेंट में भी उनकी परफॉर्मेंस लाजवाब रही।

विश्लेषकों के अनुसार, यदि उनका यही प्रदर्शन जारी रहा, तो वे जल्द ही दुनिया के टॉप 10 खिलाड़ियों की सूची में स्थायी जगह बना सकते हैं। यह भारत के लिए वैसा ही पल होगा जैसा 1983 का वर्ल्ड कप क्रिकेट में था — युवा लहर की जीत और भविष्य की नींव।

अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह “तमिल टाइगर” अगला विश्व चैंपियन बन सकेगा? क्या वह कार्लसन जैसे दिग्गज को चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार है? आने वाले टूर्नामेंट्स इसका जवाब देंगे, लेकिन एक बात तय है — भारतीय शतरंज अब सिर्फ अतीत के नामों से नहीं, भविष्य के सितारों से भी जाना जाएगा।

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