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प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन और मालदीव यात्रा 2025: भारत-यूके व्यापार समझौते और हिंद महासागर रणनीति पर निगाहें
23 से 26 जुलाई तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो देशों—ब्रिटेन और मालदीव—के दौरे पर रहेंगे; यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और किंग चार्ल्स III से मुलाकात तय, भारत-यूके FTA पर लग सकती है अंतिम मुहर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर अपनी सक्रिय कूटनीति के तहत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की उपस्थिति को सशक्त करने जा रहे हैं। इस बार वे 23 जुलाई से 26 जुलाई, 2025 तक दो अहम देशों—ब्रिटेन और मालदीव—की यात्रा पर रहेंगे। विदेश मंत्रालय द्वारा 20 जुलाई को इस दौरे की पुष्टि की गई और इसके बाद से ही यह दौरा कूटनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। माना जा रहा है कि इस दौरे के दौरान भारत-यूके के बहुप्रतीक्षित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को अंतिम रूप दिया जा सकता है, साथ ही मालदीव के साथ समुद्री सुरक्षा और विकास परियोजनाओं पर भी अहम सहमति बन सकती है।
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ब्रिटेन यात्रा का महत्व: FTA की दिशा में ऐतिहासिक कदम
यात्रा का पहला पड़ाव होगा यूनाइटेड किंगडम, जहां प्रधानमंत्री मोदी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से मुलाकात करेंगे। इस बातचीत में दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा, तकनीकी सहयोग, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और प्रवासी भारतीयों से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होने की संभावना है।
विशेष रूप से 6 मई, 2025 को घोषित हुआ भारत-ब्रिटेन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) इस यात्रा का सबसे बड़ा आकर्षण बना हुआ है। यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को नई गति देगा। ब्रिटेन ब्रेग्ज़िट के बाद वैश्विक स्तर पर नए साझेदार ढूंढ रहा है, और भारत उसके लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी बनकर उभरा है। यह समझौता भारतीय वस्त्र उद्योग, आईटी सेक्टर, फार्मास्युटिकल और ऑटो सेक्टर के लिए विशेष लाभदायक साबित हो सकता है। वहीं ब्रिटेन को भारत में सेवा क्षेत्र और उच्च शिक्षा के क्षेत्रों में व्यापक संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।

सूत्रों के अनुसार, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के लागू होने के बाद कई भारतीय उत्पादों पर लगने वाले टैरिफ को समाप्त या बहुत कम कर दिया जाएगा। इससे भारतीय निर्यातकों को यूरोपीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का बेहतर मौका मिलेगा, और दोनों देशों की GDP में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।
किंग चार्ल्स III से शिष्टाचार भेंट: सांस्कृतिक संबंधों का सशक्त प्रतीक
ब्रिटेन दौरे में प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन के राजा किंग चार्ल्स III से भी मुलाकात निर्धारित है। यह भेंट औपचारिक होते हुए भी दोनों देशों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की पुष्टि करती है। ब्रिटेन और भारत का रिश्ता केवल व्यापारिक ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, भाषायी और सांस्कृतिक साझा विरासत से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में यह मुलाकात दो देशों के बीच संवाद और आपसी सम्मान को और गहरा करने में सहायक होगी।
प्रधानमंत्री मोदी प्रवासी भारतीयों से भी मिल सकते हैं। ब्रिटेन में भारतीय समुदाय एक बड़ी जनसंख्या बन चुका है जो वहां की अर्थव्यवस्था, राजनीति और संस्कृति में सक्रिय भागीदारी रखता है। यह मुलाकात ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना का मूर्त रूप मानी जा रही है।
मालदीव यात्रा: ‘Neighbourhood First’ नीति का विस्तार
ब्रिटेन दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी मालदीव का रुख करेंगे। भारत की ‘Neighbourhood First Policy’ के अंतर्गत मालदीव का स्थान काफी अहम है। हाल के वर्षों में मालदीव में चीन की बढ़ती उपस्थिति को देखते हुए भारत ने रणनीतिक रूप से अपने संबंधों को और सशक्त किया है।
मालदीव में प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ु से होगी। चर्चा के प्रमुख बिंदुओं में समुद्री सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, बुनियादी ढांचे का विकास, पर्यटन, और जलवायु परिवर्तन पर साझा रणनीति शामिल रह सकती है। भारत पहले ही मालदीव को कई विकास परियोजनाओं में सहायता दे रहा है, जैसे ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, जल परियोजनाएं और स्वास्थ्य सेवाएं।
हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को लेकर भारत की चिंता लगातार बढ़ रही है। चीन द्वारा संचालित पोर्ट्स और सैन्य गतिविधियों की आहट भारत को सतर्क बनाए हुए है। ऐसे में मालदीव के साथ मजबूत रणनीतिक संबंध बनाना भारत की विदेश नीति के लिए अनिवार्य बन गया है।
वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को मिलेगी नई पहचान
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को केवल द्विपक्षीय संबंधों की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे भारत के उभरते वैश्विक नेतृत्व के संकेत के रूप में भी देखा जा सकता है। चाहे वह यूके के साथ व्यापारिक समझौते हों या मालदीव के साथ सुरक्षा सहयोग—हर निर्णय भारत की सॉफ्ट पावर और स्ट्रैटेजिक डेप्थ को दर्शाता है।
दुनिया भर में भारत को एक विश्वसनीय और स्थिर लोकतंत्र के रूप में देखा जा रहा है। ‘द पीएम ऑफ इंडिया’ की यह सक्रिय विदेश नीति न केवल भारत को वैश्विक मंच पर मजबूती प्रदान कर रही है, बल्कि विकासशील देशों के लिए एक प्रेरणा भी बन रही है।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह द्विदेशीय यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक साबित हो सकती है। भारत-यूके FTA का क्रियान्वयन, ब्रिटेन के राजा के साथ संवाद, और मालदीव के साथ रणनीतिक सहयोग—ये सभी कदम भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में निर्णायक सिद्ध होंगे।
इस दौरे से यह स्पष्ट है कि भारत अब सिर्फ एक ‘उभरती अर्थव्यवस्था’ नहीं, बल्कि एक निर्णयात्मक भूमिका निभाने वाला वैश्विक नेता बन चुका है।