Connect with us

Indian Diaspora

PM मोदी का बड़ा ऐलान भारत बना रहा है गिरमिटिया समुदाय का वैश्विक डेटाबेस

त्रिनिदाद में भारतीय प्रवासी समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा – गिरमिटिया पूर्वजों की विरासत को सहेजने के लिए हो रहा है काम

Published

on

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का त्रिनिदाद में संबोधन – गिरमिटिया समुदाय की पहचान और इतिहास को जोड़ने की पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का त्रिनिदाद में संबोधन गिरमिटिया समुदाय की पहचान और इतिहास को जोड़ने की पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिनिदाद एंड टोबैगो की यात्रा के दौरान भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार गिरमिटिया समुदाय का एक व्यापक वैश्विक डेटाबेस तैयार कर रही है, जिसमें उन गांवों और शहरों का विवरण होगा, जहां से उनके पूर्वज भारत से बाहर गए थे, साथ ही उन देशों और स्थानों की पहचान भी की जा रही है जहां वे जाकर बसे।

हम अतीत को मानचित्रित कर रहे हैं और एक उज्ज्वल भविष्य के लिए लोगों को जोड़ रहे हैं प्रधानमंत्री ने कहा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत अब नियमित रूप से “वर्ल्ड गिरमिटिया कॉन्फ्रेंस” आयोजित करने की दिशा में भी काम कर रहा है, ताकि वैश्विक स्तर पर फैले भारतीय मूल के लोगों को आपस में जोड़ा जा सके।

इस दौरान उन्होंने यह भी याद दिलाया कि इस वर्ष भुवनेश्वर में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस के मुख्य अतिथि त्रिनिदाद एंड टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कांगालू थीं। इससे पहले भी वहां की पूर्व प्रधानमंत्री कमला पर्साड बिसेसर ने भी भारत के ऐसे आयोजनों में भाग लिया है।

गिरमिटिया शब्द उन भारतीयों को संदर्भित करता है जिन्हें 19वीं और 20वीं सदी में ब्रिटिश उपनिवेशों में मजदूरी के लिए ले जाया गया था, खासकर कैरिबियाई देश, फिजी, मॉरिशस, सूरीनाम और दक्षिण अफ्रीका जैसे स्थानों पर। पीएम मोदी ने कहा कि यह डेटाबेस उनकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने का एक प्रयास है और इससे भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच भावनात्मक जुड़ाव और मजबूत होगा।

उन्होंने कहा, “भारत केवल आर्थिक प्रगति का नहीं, बल्कि भावनात्मक संबंधों का भी केंद्र बनता जा रहा है। आज भारत की पहचान केवल एक राष्ट्र के रूप में नहीं, बल्कि एक विश्वव्यापी परिवार के रूप में हो रही है।”

इस पहल को भारतीय विदेश नीति के “पारंपरिक संबंधों और भावनात्मक कूटनीति” की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।