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दिल्ली का जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम होगा ध्वस्त – बनेगा देश का पहला ‘स्पोर्ट्स सिटी’
961 करोड़ की लागत से तैयार हुआ यह स्टेडियम अब बदलेगा रूप, सरकार बना रही है विश्वस्तरीय खेल नगर की योजना
दिल्ली का मशहूर जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (JLN Stadium), जिसे 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games) से पहले 961 करोड़ रुपये की लागत से पूरी तरह आधुनिक बनाया गया था, अब जल्द ही इतिहास का हिस्सा बनने जा रहा है। केंद्र सरकार ने इसे ध्वस्त कर एक नई ‘स्पोर्ट्स सिटी’ (Sports City) के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल सुविधाएँ और खिलाड़ियों के लिए आवासीय कॉम्प्लेक्स शामिल होंगे।
सूत्रों के अनुसार, खेल मंत्रालय (Ministry of Youth Affairs and Sports) ने इस प्रस्ताव को फिलहाल “आइडिएशन फेज़” यानी शुरुआती योजना चरण में रखा है। इसका मतलब यह है कि अभी परियोजना पर काम शुरू नहीं हुआ है, बल्कि सरकार दुनिया के उन देशों के मॉडल्स का अध्ययन कर रही है जहाँ पहले से ऐसी स्पोर्ट्स सिटीज़ मौजूद हैं — जैसे दोहा (Qatar) और बीजिंग (China)।
एक अधिकारी ने बताया कि, “फिलहाल इस परियोजना के लिए कोई तय टाइमलाइन नहीं है। यह विचार अभी योजना के स्तर पर है। हम दुनिया के कई शहरों की स्पोर्ट्स सिटीज़ का अध्ययन कर रहे हैं ताकि भारत में इसे सर्वश्रेष्ठ रूप में विकसित किया जा सके।”
जानकारी के अनुसार, इस स्पोर्ट्स सिटी में सभी प्रमुख खेलों के लिए अत्याधुनिक स्टेडियम, ओलंपिक स्तर की ट्रेनिंग सुविधाएँ, खिलाड़ियों के लिए रेजिडेंशियल ब्लॉक्स, और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन फिटनेस एवं मेडिकल सेंटर शामिल होंगे। यह देश का पहला ऐसा मल्टी-स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स होगा जो एक साथ क्रिकेट, फुटबॉल, एथलेटिक्स, स्विमिंग, हॉकी और इनडोर स्पोर्ट्स को एक ही परिसर में समाहित करेगा।

दिल्ली के नेहरू स्टेडियम ने अब तक भारत के कई ऐतिहासिक आयोजनों की मेजबानी की है — 1982 एशियन गेम्स, 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स, और हाल ही में आयोजित वर्ल्ड पारा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के लिए भी इसे 50 करोड़ रुपये खर्च कर अपग्रेड किया गया था। लेकिन अब सरकार का फोकस “नई सोच और नई शुरुआत” पर है, ताकि आने वाले ओलंपिक और विश्वस्तरीय टूर्नामेंटों के लिए खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएँ मिल सकें।
स्थानीय नागरिकों और खेल प्रेमियों के बीच इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कई लोगों का कहना है कि यह “दिल्ली के खेल भविष्य का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट” साबित हो सकता है, जबकि कुछ लोग इतने ऐतिहासिक स्टेडियम को तोड़े जाने पर चिंता भी जता रहे हैं।
अगर यह परियोजना साकार होती है तो दिल्ली भारत की पहली ऐसी राजधानी बन जाएगी जहाँ एक साथ ‘स्पोर्ट्स सिटी’, खेल शिक्षा केंद्र, और इंटरनेशनल इवेंट्स के आयोजन स्थल मौजूद होंगे। यह कदम भारत को वैश्विक खेल मानचित्र पर एक नए मुकाम तक ले जा सकता है।
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