Connect with us

Health

National Doctor’s Day 2025 पर सलाम उन सफ़ेद कोट वालों को जो जीवन की हर जंग में साथ खड़े हैं

1 जुलाई को देशभर में मनाया जाता है डॉक्टरों को समर्पित दिन, जानिए इतिहास, महत्व और डॉ. बिधान चंद्र रॉय की प्रेरणादायक कहानी

Published

on

डॉक्टर डे के अवसर पर अस्पताल में मरीजों की सेवा करते हुए एक समर्पित चिकित्सक की झलक
डॉक्टर डे के अवसर पर अस्पताल में मरीजों की सेवा करते हुए एक समर्पित चिकित्सक की झलक

हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाकर भारत उन नायकों को याद करता है, जो अस्पतालों के गलियारों में जिंदगी की सबसे बड़ी जंग लड़ते हैं—बिना हथियार, बिना थकान, और अक्सर बिना आराम के। 2025 का यह दिन एक बार फिर हमें उन सफ़ेद कोट में लिपटे मसीहाओं की अहमियत का अहसास कराता है, जिन्होंने न सिर्फ कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में मोर्चा संभाला, बल्कि हर रोज़ लाखों जिंदगियों को छूकर उन्हें बेहतर बनाया।

डॉ. बिधान चंद्र रॉय की याद में मनाया जाता है यह दिन
नेशनल डॉक्टर्स डे की नींव एक महान चिकित्सक और स्वतंत्र भारत के दूसरे पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय की याद में रखी गई थी। उनका जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था। वो न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में भारत का चेहरा बदलने वाले व्यक्ति थे, बल्कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया जैसी संस्थाओं के निर्माण में भी उनकी बड़ी भूमिका रही।

भारत रत्न से सम्मानित इस सपूत को श्रद्धांजलि स्वरूप भारत सरकार ने 1991 में 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।

मेडिकल प्रोफेशन की निःस्वार्थ सेवा को सलाम
चाहे गॉव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हो या शहर के मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल—हर जगह डॉक्टर एक ही भावना से काम करता है: जीवन बचाना। इस दिन पर देशभर में सेमिनार, वर्कशॉप, हेल्थ चेकअप कैंप और डॉक्टरों को सम्मानित करने के कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

दिल्ली एम्स के एक वरिष्ठ सर्जन के अनुसार, डॉक्टर सिर्फ इलाज नहीं करता, वह मरीज का विश्वास भी संभालता है।” यह विश्वास ही है जो किसी मरीज को ठीक होने की उम्मीद देता है।

डॉक्टर बनना अब भी लाखों युवाओं का सपना
इस दिन का उद्देश्य केवल डॉक्टरों का सम्मान करना नहीं, बल्कि युवाओं को मेडिकल प्रोफेशन के प्रति प्रेरित करना भी है। हाल ही में नीट परीक्षा 2025 में रिकॉर्ड तोड़ संख्या में छात्रों ने आवेदन किया, जो इस बात का संकेत है कि समाज में डॉक्टर बनने की चाह लगातार बढ़ रही है।

डिजिटल युग में भी डॉक्टर की अहमियत बरकरार
हालांकि टेलीमेडिसिन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे तकनीकी बदलाव आ चुके हैं, लेकिन एक अनुभवी डॉक्टर का इंसानी स्पर्श आज भी सबसे बड़ी दवा साबित होता है। इस डिजिटल युग में भी डॉक्टर वही रह गया है—एक उम्मीद, एक सहारा और कई बार एक आखिरी रास्ता।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *