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तीन महीने की लड़ाई, फिर सीएम से मुलाकात… तब जाकर मुरादाबाद की बच्ची को मिला CL Gupta स्कूल में दाखिला

शिक्षा के अधिकार कानून के तहत बच्ची को नहीं मिला था दाखिला, परिजनों ने की हर स्तर पर शिकायत, आखिरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप से टूटा स्कूल प्रशासन का अहंकार

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RTE के तहत बच्ची को नहीं मिला था दाखिला, योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर टूटा स्कूल प्रशासन का घमंड
मुरादाबाद की वाची को मिला शिक्षा का अधिकार, सीएम योगी आदित्यनाथ से गुहार के बाद हुआ दाखिला

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश – कहते हैं “जहां चाह, वहां राह”, लेकिन मुरादाबाद की वाची और उसके परिवार के लिए ये राह बेहद कठिन थी। शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) जिसके तहत हर बच्चे को बराबरी से शिक्षा पाने का हक है, उस कानून की खुलेआम अनदेखी एक नामी स्कूल द्वारा की गई। तीन महीने तक स्कूल प्रशासन ने बच्ची के माता-पिता को चक्कर कटवाए, नतीजा ये रहा कि परिजन मजबूर होकर लखनऊ पहुंचे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई

मुख्यमंत्री से मुलाकात का असर तुरंत दिखा। मुरादाबाद के जिलाधिकारी अनुज कुमार सिंह ने स्वयं हस्तक्षेप कर वाची का RTE के तहत दाखिला सुनिश्चित कराया। जिलाधिकारी ने बताया कि “प्रमाणपत्रों में कुछ भिन्नता” के कारण मामला लंबित था, लेकिन अब बच्ची का दाखिला कर दिया गया है। उन्होंने ये भी कहा कि सभी लंबित मामलों की जांच तेजी से कराई जा रही है ताकि स्कूल खुलने से पहले सभी पात्र बच्चों का दाखिला हो सके।


वहीं दूसरी ओर, सी. एल. गुप्ता वर्ल्ड स्कूल, जहां दाखिले में देरी की गई, ने मामले पर गोलमोल जवाब दिया। स्कूल संचालिका ने सीधे बात करने से मना कर दिया और गार्ड के फोन से बात करते हुए केवल इतना कहा कि “जितने भी पत्र आए, हमने उनका कागजी जवाब दिया”। जब उनसे यह पूछा गया कि RTE के तहत चयनित 9 बच्चों में से कितनों का दाखिला हो चुका है, उन्होंने बातचीत से इनकार कर फोन काट दिया।

यह मामला न सिर्फ एक बच्ची के भविष्य का था, बल्कि ये शिक्षा के अधिकार कानून की साख और शासन की संवेदनशीलता का भी इम्तिहान था। योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से समय पर लिए गए फैसले ने यह दिखाया कि अगर आम नागरिक अपनी आवाज सही मंच पर उठाता है, तो उसे इंसाफ जरूर मिलता है।

इस घटना के बाद माना जा रहा है कि अब जिले में RTE के अनुपालन को लेकर प्रशासन और भी सख्त हो जाएगा। स्कूल संचालकों को यह स्पष्ट संदेश गया है कि गरीब बच्चों का हक अब यूं ही नहीं छीना जाएगा।

यह कहानी सिर्फ वाची की नहीं, उन हजारों बच्चों की भी है जिनके माता-पिता हर साल निजी स्कूलों के चक्कर लगाते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब बाकी स्कूल भी इस घटना से सबक लेंगे और बिना किसी भेदभाव के शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करेंगे।

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