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मोदी की मालदीव में जबरदस्त वापसी 4850 करोड़ के तोहफे से रिश्तों में नई गर्माहट
18 महीने पहले जहां ‘India Out’ के नारे लगे थे, वहीं अब प्रधानमंत्री मोदी को गले लगाकर स्वागत कर रहा है मालदीव

जब 18 महीने पहले मालदीव की सड़कों पर ‘India Out’ जैसे नारे गूंज रहे थे और प्रधानमंत्री मोदी पर टिप्पणी करने वाले बयान वायरल हो रहे थे, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इतना बड़ा कूटनीतिक बदलाव इतनी जल्दी आएगा। लेकिन भारतीय कूटनीति ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि संयम, संवाद और रणनीति से हर रिश्ते को नया जीवन दिया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दो दिवसीय मालदीव दौरा न सिर्फ ऐतिहासिक रहा बल्कि यह भारत-मालदीव संबंधों को एक नई ऊंचाई देने वाला क्षण भी साबित हुआ। मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ु के कार्यकाल में यह मोदी की पहली यात्रा रही, जिसे न केवल औपचारिकता का दर्जा दिया गया, बल्कि इसे दिल से अपनाया भी गया। मालदीव की राजधानी माले में उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई और भारतीय प्रवासी समुदाय ने रंग-बिरंगे स्वागत से प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया।

प्रधानमंत्री को गले लगाकर मिले राष्ट्रपति मुइज़ु, जिन्होंने कभी अपने चुनाव प्रचार में ‘India Out’ का नारा दिया था। आज वही राष्ट्रपति “Friendship First” की नीति की खुलकर सराहना कर रहे हैं। यह बदलाव महज एक तस्वीर या भाषण नहीं है, बल्कि इसमें छिपा है भारत की वर्षों की कूटनीतिक सोच और विस्तार की रणनीति।
भारत ने इस यात्रा के दौरान मालदीव को 4,850 करोड़ INR की लाइन ऑफ क्रेडिट प्रदान की, जो आने वाले वर्षों में कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए इस्तेमाल की जाएगी। इसके अलावा भारत ने 72 गाड़ियाँ सौंपीं और India-Maldives Free Trade Agreement को लेकर भी आधिकारिक बातचीत शुरू कर दी गई।
‘हमारे लिए हमेशा दोस्ती पहले है’, यह संदेश प्रधानमंत्री मोदी ने साफ शब्दों में दिया और अपने भाषण में यह भी कहा कि द्विपक्षीय निवेश संधि अब सिर्फ कागजों पर नहीं रहेगी, बल्कि वास्तविक विकास का आधार बनेगी।

यह वही मालदीव है जहां पहले भारतीय सैनिकों को बाहर निकालने की मांग हुई थी और भारत सरकार ने भी उस समय संयम दिखाते हुए सैनिकों को हटाकर तकनीकी स्टाफ को तैनात किया। यह चुपचाप की गई कार्रवाई अब फलदायी होती दिख रही है।
आज भारत-मालदीव संबंध सिर्फ राजनीति या सुरक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि आर्थिक साझेदारी, समुद्री सुरक्षा, निवेश और व्यापार के साझा लक्ष्यों की ओर बढ़ रहे हैं। इस संबंध का अगला महत्वपूर्ण पड़ाव है प्रधानमंत्री मोदी का मालदीव की 60वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होना—एक ऐसा सम्मान जो सिर्फ विश्वास के साथ ही प्राप्त किया जा सकता है।
यह कहानी है रिश्तों को फिर से परिभाषित करने की, और इसका श्रेय जाता है भारत की दूरदर्शी विदेश नीति को, जिसने बिना आक्रोश के, सिर्फ विश्वास और सहयोग से एक बार फिर मालदीव को अपना ‘मित्र’ बना लिया।