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अब Instagram और Facebook पर आपके Meta AI चैट से तय होंगे विज्ञापन और कंटेंट

Meta ने किया ऐलान – दिसंबर से यूज़र्स की AI इंटरैक्शन हिस्ट्री के आधार पर दिखाई जाएंगी Ads और Reels

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Meta का बड़ा फैसला – Instagram और Facebook पर AI चैट से तय होंगे Ads और Content
Meta दिसंबर से AI चैट इंटरैक्शन के आधार पर Facebook और Instagram पर दिखाएगा विज्ञापन और कंटेंट

सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी Meta (पहले Facebook) ने बड़ा फैसला लिया है। कंपनी ने ऐलान किया है कि अब Instagram, Facebook, WhatsApp और Threads जैसे प्लेटफॉर्म्स पर दिखाए जाने वाले विज्ञापन और कंटेंट आपकी Meta AI चैट इंटरैक्शन के आधार पर तय होंगे। यह बदलाव 16 दिसंबर से लागू होगा।

कंपनी का कहना है कि इस कदम से विज्ञापनों और कंटेंट रिकमेंडेशन की क्वालिटी बेहतर होगी। साथ ही यूज़र्स को वही पोस्ट, वीडियो और विज्ञापन दिखाए जाएंगे, जिनमें उनकी दिलचस्पी हो सकती है।

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क्या है नया बदलाव?

Meta ने बताया कि 7 अक्टूबर से यूज़र्स को in-app नोटिफिकेशन और ईमेल के ज़रिए इस बदलाव की जानकारी दी जाएगी।

अगर कोई यूज़र Meta AI से हाइकिंग (Hiking) के बारे में चैट करता है, तो उसे Instagram और Facebook पर हाइकिंग ग्रुप्स, ट्रेल्स से जुड़ी पोस्ट और हाइकिंग शूज़ के विज्ञापन दिख सकते हैं। यानी आपकी बातचीत अब सीधे आपके कंटेंट और ऐड अनुभव को बदलने वाली है।

Meta का बड़ा फैसला – Instagram और Facebook पर AI चैट से तय होंगे Ads और Content


क्या यूज़र्स रहेंगे कंट्रोल में?

Meta का दावा है कि यूज़र्स को कंटेंट और विज्ञापनों पर कंट्रोल मिलेगा। इसके लिए Ads Preferences और Feed Control Tools दिए जाएंगे।
हालाँकि, कई लोग इस अपडेट को प्राइवेसी के लिहाज़ से चुनौती मान रहे हैं।

कंपनी ने साफ किया है कि धार्मिक विचार, स्वास्थ्य, राजनीति, यौन रुझान, जातीयता या ट्रेड यूनियन सदस्यता जैसे संवेदनशील विषयों पर की गई AI चैट का इस्तेमाल विज्ञापन दिखाने के लिए नहीं होगा। लेकिन यह साफ नहीं किया गया कि इन्हीं विषयों पर पोस्ट और रील्स की सिफारिश भी नहीं की जाएगी।

कौन से अकाउंट होंगे प्रभावित?

Meta ने कहा कि सिर्फ उन्हीं अकाउंट्स की जानकारी उपयोग होगी, जो Accounts Centre में लिंक किए गए होंगे। उदाहरण के लिए – अगर किसी यूज़र ने अपना WhatsApp अकाउंट Accounts Centre में नहीं जोड़ा है, तो वहां की AI चैट्स का डेटा विज्ञापनों और कंटेंट रिकमेंडेशन में शामिल नहीं किया जाएगा।

विशेषज्ञों की राय

टेक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम विज्ञापनदाताओं और कंटेंट क्रिएटर्स के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। वहीं, प्राइवेसी एक्टिविस्ट्स का कहना है कि यह यूज़र्स की पर्सनल चैट्स को ट्रैक करने जैसा है, जिससे डेटा सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं।

स्पष्ट है कि Meta का यह अपडेट सोशल मीडिया अनुभव को और पर्सनलाइज़ करेगा, लेकिन साथ ही प्राइवेसी बहस को भी और तेज कर देगा।

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