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महागठबंधन का घोषणापत्र तैयार – ओबीसी छात्रों के लिए कॉलेज, बलात्कार पीड़ितों को तुरंत मेडिकल रिपोर्ट और भूमिसुधार पर जोर
तेजस्वी यादव की अध्यक्षता में बनी समिति ने तय किए प्रमुख वादे, बंड्योपाध्याय आयोग की सिफारिशें भी शामिल करने की तैयारी

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन (Mahagathbandhan) अपना घोषणापत्र अंतिम रूप देने में जुट गया है। सूत्रों के मुताबिक, इस घोषणापत्र में भूमिसुधार से लेकर सामाजिक न्याय और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर ज़ोर दिया जाएगा। खास बात यह है कि गठबंधन के एजेंडे में ओबीसी और अतिपिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा सुविधाओं का विस्तार, बलात्कार पीड़ितों को न्याय में तेजी, और भूमिसुधार आयोग की सिफारिशों को लागू करने जैसे वादे शामिल किए जा रहे हैं।
घोषणापत्र तैयार करने वाली समन्वय समिति (Coordination Committee) की अगुवाई पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कर रहे हैं। इसमें कांग्रेस, सीपीआई (एमएल), और अन्य सहयोगी दलों के नेता शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, सभी दलों के बीच कई मुद्दों पर सहमति बन चुकी है, जबकि कुछ संवेदनशील विषयों पर चर्चा जारी है।
ओबीसी और वंचित वर्गों के छात्रों के लिए बड़े वादे
घोषणापत्र में हर ब्लॉक में डिग्री कॉलेज और हर उपमंडल में ओबीसी छात्रों के लिए छात्रावास बनाने का वादा शामिल किया गया है। यह योजना ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में उच्च शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, “यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया है क्योंकि इससे सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को शिक्षा के क्षेत्र में बराबरी का अवसर मिलेगा।”
भूमिसुधार आयोग की सिफारिशें फिर चर्चा में
डी. बंड्योपाध्याय आयोग, जिसे 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गठित किया था, की सिफारिशों को भी घोषणापत्र में शामिल करने की संभावना है। इस आयोग ने भूमिधारकों पर सीमा तय करने, भूमि रिकॉर्ड के कंप्यूटरीकरण और बटाईदारों (sharecroppers) की सुरक्षा के लिए नए कानून का सुझाव दिया था।
हालांकि, कांग्रेस इस प्रस्ताव को लेकर सावधानी बरत रही है। पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि इस कदम से भूमि-स्वामी समुदाय नाराज़ हो सकता है। फिर भी वामपंथी दलों ने इसे सामाजिक समानता की दिशा में एक अहम कदम बताया है।

बलात्कार पीड़ितों के लिए नया कानून
घोषणापत्र में सबसे संवेदनशील और मानवीय प्रस्तावों में से एक है — बलात्कार पीड़िताओं को 24 घंटे के भीतर मेडिकल रिपोर्ट सौंपने का प्रावधान। वर्तमान व्यवस्था में अक्सर ऐसे मामलों में रिपोर्ट से छेड़छाड़ या देरी के आरोप लगते हैं। प्रस्तावित कानून के तहत रिपोर्ट सबसे पहले पीड़िता की निजी संपत्ति मानी जाएगी, न कि पुलिस या प्रशासन की फाइल का हिस्सा। यह बदलाव अदालतों में निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
अतिपिछड़े वर्गों के अधिकार
महागठबंधन पहले ही अतिपिछड़ा न्याय संकल्प (Atipichchda Nyay Sankalp) पेश कर चुका है। इसमें पञ्चायती राज संस्थाओं में अतिपिछड़ों के लिए आरक्षण 20% से बढ़ाकर 30% करने, EBC अत्याचार निवारण अधिनियम लाने, और सरकारी नौकरियों में “not suitable for” क्लॉज हटाने जैसी घोषणाएँ शामिल थीं।
विश्लेषकों का मानना है कि बिहार की 36% आबादी अतिपिछड़ा वर्गों की है और यही वर्ग चुनाव परिणाम तय करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। इसलिए महागठबंधन का पूरा फोकस सामाजिक न्याय के इस एजेंडे पर है।
राजनीतिक संदेश
महागठबंधन का यह घोषणापत्र न केवल विकास और सामाजिक न्याय की बात करता है, बल्कि यह नीतीश कुमार के शुरुआती कार्यकाल की नीतियों की ओर वापसी का संकेत भी देता है। भूमि सुधार, शिक्षा और महिलाओं की सुरक्षा को केंद्र में रखकर विपक्ष जनता को यह संदेश देना चाहता है कि वह एक “नए और न्यायपूर्ण बिहार” की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए तैयार है।
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