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World Cup हीरो जिन्हें नहीं पता था कि भारत की महिला टीम भी है – अब गांव के लोग कर रहे हैं सलाम!
मध्य प्रदेश के छोटे से गांव घुवारा की क्रांति गौड़ ने कभी सोचा भी नहीं था कि गेंद फेंकने का शौक उन्हें विश्व कप चैंपियन बना देगा।
कहते हैं कि अगर जुनून सच्चा हो तो मंज़िल खुद रास्ता दिखा देती है। कुछ ऐसा ही हुआ मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले के घुवारा गांव की रहने वाली 22 वर्षीय तेज गेंदबाज़ क्रांति गौड़ (Kranti Goud) के साथ।
आज वह भारत की पहली महिला वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा हैं, लेकिन कभी उन्हें यह तक नहीं पता था कि भारत की कोई महिला क्रिकेट टीम भी होती है।
क्रांति बताती हैं, “घर के सामने मैदान था, वहां लड़के क्रिकेट खेलते थे। जब गेंद मेरे घर के पास आती थी तो मैं उसे वापस फेंक देती थी। एक दिन जब टीम में एक खिलाड़ी कम था, तो उन्होंने मुझे फील्डिंग करने को कहा।”
शुरुआत में वह सिर्फ़ फील्डर बनीं, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने गेंदबाज़ी शुरू की। उन्हें नहीं पता था कि स्पिन और पेस क्या होता है — बस उन्होंने लड़कों की तरह तेज़ गेंदबाज़ी करना शुरू कर दिया।

शुरुआत जिसने बदल दी ज़िंदगी
क्रांति की प्राकृतिक गति और जोश ने जल्द ही स्थानीय कोच राजीव बिल्थरे का ध्यान खींचा, जो उस समय छतरपुर ज़िला क्रिकेट संघ के सचिव थे। उन्होंने क्रांति को प्रशिक्षित किया और संगठित कोचिंग की शुरुआत कराई।
“उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना चाहती हूं। मैंने हंसते हुए कहा — मुझे तो ये तक नहीं पता कि कोई महिला इंटरनेशनल टीम होती है,” क्रांति मुस्कुराते हुए याद करती हैं।
सिर्फ़ छह महीनों में उन्होंने सीनियर डिविजन मैच खेला और एक साल के भीतर राज्य की अंडर-19 टीम में जगह बना ली।
अब वर्ल्ड कप चैंपियन
क्रांति ने मई 2025 में भारत की ओर से डेब्यू किया और अब तक 15 वनडे और एक टी20 इंटरनेशनल खेल चुकी हैं।
वर्ल्ड कप में उन्होंने 9 विकेट झटके — औसतन 18.55 की शानदार गेंदबाज़ी करते हुए पाकिस्तान के खिलाफ़ 3 विकेट लेकर मैच जिताया।
भारत ने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर ऐतिहासिक खिताब जीता, और क्रांति की ज़िंदगी पलट गई।
गांव में कभी ताने, अब सम्मान
क्रांति कहती हैं, “पहले लोग घरवालों से कहते थे – ‘लड़की को लड़कों के साथ क्यों खेलने देते हो?’ लेकिन मैंने हमेशा सोचा था कि एक दिन यही लोग मेरे लिए ताली बजाएंगे। आज वही लोग मेरे माता-पिता को बधाई दे रहे हैं।”
भारत की जीत के बाद पूरा गांव जश्न में डूब गया और हर घर में पटाखे फूटे।

🇮🇳 राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात
विश्व कप जीत के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का अनुभव क्रांति के लिए अविस्मरणीय रहा। “ये मेरा पहला वर्ल्ड कप था और अब हम वर्ल्ड चैंपियन हैं। यह मेरे परिवार और पूरे देश के लिए गर्व का पल है,” उन्होंने कहा।
आज क्रांति गौड़ उन हज़ारों बेटियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं, जिनके सपनों को अक्सर ‘गांव की सीमाएं’ रोक देती हैं।
जिस लड़की ने कभी सिर्फ़ फेंकी हुई गेंद लौटाई थी, वही अब भारत को वर्ल्ड कप जिताने वाली तेज़ गेंदबाज़ बन चुकी है।
