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क्या कर्नाटक में फिर बदलेगा सीएम डीके शिवकुमार की प्रियंका गांधी से मुलाकात ने बढ़ाई सियासी हलचल
कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात के बाद राज्य में मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें तेज़, क्या सिद्दारमैया की कुर्सी अब खतरे में?

कर्नाटक कांग्रेस में एक बार फिर से नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की प्रियंका गांधी वाड्रा से हालिया मुलाकात ने सियासी गलियारों में नए कयासों को जन्म दे दिया है।
यह मुलाकात महज शिष्टाचार थी या किसी रणनीतिक बदलाव की भूमिका – इसे लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।
क्या मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की कुर्सी डगमगा रही है?
राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के एक साल के भीतर ही मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें कोई नई बात नहीं हैं। चुनाव पूर्व ही सत्ता में “साझा नेतृत्व” का समझौता हुआ था, जिसमें यह बात कही जा रही थी कि सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार दोनों को पांच साल की सरकार में ढाई-ढाई साल का कार्यकाल दिया जाएगा।
ऐसे में अब जब शिवकुमार ने दिल्ली में प्रियंका गांधी से निजी मुलाकात की है, तो यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या वह अपनी दावेदारी को मजबूती देने की कोशिश कर रहे हैं?
कांग्रेस आलाकमान की चुप्पी और संदेश
हालांकि कांग्रेस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन आलाकमान की चुप्पी भी कई संकेत छोड़ रही है। राज्य में पार्टी को बनाए रखने के लिए आलाकमान को संतुलन साधना होगा क्योंकि दोनों नेता – सिद्दारमैया और शिवकुमार – अपनी-अपनी जातीय और क्षेत्रीय पकड़ रखते हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो यदि पार्टी 2026 तक सत्ता बचाना चाहती है, तो उसे समय रहते असंतोष को थामना होगा। नहीं तो BJP और JDS जैसे विपक्षी दल इस अंतर्विरोध को हथियार बना सकते हैं।
पिछली बार भी सामने आए थे नेतृत्व परिवर्तन के संकेत
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में भी शिवकुमार के दिल्ली दौरे को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई थीं, लेकिन तब खुद राहुल गांधी ने इस विषय पर टिप्पणी से बचते हुए कहा था कि “राज्य इकाई की एकता हमारी प्राथमिकता है”।
अब प्रियंका गांधी से यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब विधानसभा का मानसून सत्र भी नज़दीक है और सरकार को कई मोर्चों पर जनता की नाराज़गी का सामना करना पड़ रहा है – चाहे वह बिजली कटौती हो या भ्रष्टाचार के आरोप।