Defence & Security
अमेरिका का स्टील्थ बॉम्बर कैसे बना चीन का हथियार? मुंबई के इंजीनियर की जासूसी ने खोले बड़े राज!
मालूम करें कैसे एक भारतीय एयरोस्पेस विशेषज्ञ ने अमेरिकी B-2 स्पिरिट बॉम्बर की तकनीक चीन को बेचकर रचा अंतरराष्ट्रीय जासूसी कांड।

अमेरिका की गुप्त वायु शक्ति की पहचान माने जाने वाले B-2 स्पिरिट बॉम्बर की कहानी सिर्फ अत्याधुनिक तकनीक तक सीमित नहीं है। इसके पीछे छुपा है एक भारतीय मूल के एयरोस्पेस इंजीनियर की जासूसी का ऐसा अध्याय जिसने अमेरिका की नींद उड़ा दी और चीन को विश्व मंच पर नई ताकत दी।
दरअसल, मुंबई से ताल्लुक रखने वाले नॉशिर गोवाडिया को अमेरिकी डिफेंस कंपनी नॉर्थरॉप (अब नॉर्थरॉप ग्रुम्मन) में स्टील्थ प्रोपल्शन तकनीक विकसित करने में अहम योगदान देने वाला माना जाता था। परंतु यही विशेषज्ञ बाद में अमेरिका के लिए गद्दार साबित हुआ। सूत्रों के मुताबिक, इस एयरोस्पेस वैज्ञानिक ने चीन समेत कई देशों को अमेरिकी रक्षा से जुड़े गोपनीय दस्तावेज बेच डाले।
‘पॉपुलर मैकेनिक्स’ के मुताबिक, 2003-04 के दौरान गोवाडिया ने चीन की यात्रा की और वहां की सरकार को B-2 बॉम्बर से जुड़ी इंफ्रारेड सप्रेशन तकनीक तक सौंप दी। इसके एवज में उसे तीन वर्षों में करीब 1 लाख 10 हजार डॉलर मिले। अमेरिकी FBI ने 2005 में हवाई स्थित उसके घर पर छापा मारकर 500 पाउंड से ज्यादा सबूत बरामद किए।

B-2 बॉम्बर के स्टील्थ डिजाइन को दुनिया में अब तक का सबसे क्रांतिकारी माना जाता है। इस तकनीक की नकल कर चीन ने हाल ही में मालान, शिनजियांग में एक बड़े स्टील्थ विमान की गुप्त टेस्टिंग की। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका आकार अमेरिकी B-2 के बराबर है और यह ड्रोन जैसे हाइ एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म पर आधारित है।
हालांकि, गोवाडिया ने पहले अपनी गलती से इनकार किया, लेकिन बाद में उसने लिखित में कबूल किया कि उसने पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को क्रूज़ मिसाइल तकनीक में मदद की, जो जासूसी और देशद्रोह था। नतीजतन, 2010 में उसे आर्म्स एक्सपोर्ट कंट्रोल एक्ट और एस्पियनेज एक्ट के तहत 14 आरोपों में दोषी पाया गया और 2011 में उसे 32 साल की सजा सुनाई गई। वह अब भी अमेरिका की सुपरमैक्स जेल में कैद है।
इधर, उसका बेटा ऐश्टन गोवाडिया अब भी दावा करता है कि उसके पिता निर्दोष हैं और ट्रायल में कई सबूतों को छुपाया गया। मगर हकीकत यही है कि चीन ने गोवाडिया की गद्दारी का भरपूर फायदा उठाया और आज उसके पास एक ऐसी तकनीक है जो भविष्य में अमेरिका के B-2 को चुनौती दे सकती है।
यह मामला एक बार फिर दुनिया को चेतावनी देता है कि तकनीक की दुनिया में एक छोटी सी चूक भी राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर लगा सकती है।
