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Economy

“भारत जल्दबाज़ी में नहीं है”: व्यापार समझौतों पर भारत का सख्त रुख, दुनिया हैरान

अमेरिका ने 9 जुलाई की डेडलाइन तय की, लेकिन भारत के वाणिज्य मंत्री ने स्पष्ट कहा — “हम वही करते हैं जो हमारे राष्ट्रीय हित में हो।” क्या यह वैश्विक व्यापार नीति का नया अध्याय है?

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भारत ने अमेरिका की डेडलाइन ठुकराई: “हम वही करते हैं जो हमारे हित में हो”
पियूष गोयल, जुलाई 2025 में नई दिल्ली में आयोजित व्यापार सम्मेलन में मीडिया को संबोधित करते हुए। भारत ने ‘जल्दबाज़ी में नहीं’ का संदेश देते हुए व्यापार में राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी।

भारत ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। इस बार कारण है — व्यापार समझौते (Free Trade Agreements – FTAs)। भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी तरह के बाहरी दबाव में जल्दबाज़ी में समझौते नहीं करेगा, चाहे अमेरिका ही क्यों न उसे 9 जुलाई तक की डेडलाइन दे रहा हो।

भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने इस सप्ताह एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम में कहा:

“हम व्यापार समझौते डेडलाइन देखकर नहीं करते। हम तब करते हैं जब वह भारत के राष्ट्रीय हित में हो।”

यह बयान भले ही शांत लहजे में दिया गया हो, लेकिन इसके राजनीतिक और आर्थिक नतीजे दूरगामी हैं। भारत अभी संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, और यूरोपीय संघ के साथ कई व्यापार वार्ताओं में जुटा हुआ है। ऐसे में भारत का यह रुख दर्शाता है कि वह अब सख्ती से अपनी शर्तों पर बातचीत करना चाहता है।

मामला क्यों अहम है

व्यापार समझौते कई बार गहरे आर्थिक प्रभाव छोड़ते हैं। भारत द्वारा जल्दबाज़ी से इनकार यह दर्शाता है कि वह अब वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में खुद को एक मजबूत और आत्मनिर्भर शक्ति के रूप में प्रस्तुत कर रहा है।
कई विशेषज्ञ इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं।

यह भी गौरतलब है कि ये घटनाक्रम ऐसे समय पर हो रहा है जब वैश्विक सप्लाई चेन बाधित है और चीन जैसे देश निर्यात पर नियंत्रण बढ़ा रहे हैं। भारत का यह “धीरे चलो, सही चलो” दृष्टिकोण उसे मजबूत सौदेबाज़ी की स्थिति में ला सकता है।

दुनिया का मिला-जुला रुख

जहां एक ओर वॉशिंगटन में कुछ अधिकारी इस देरी से खफा बताए जा रहे हैं, वहीं कई आर्थिक विशेषज्ञों ने भारत की सोच की तारीफ की है।

“जल्दी में किए गए व्यापार समझौते अक्सर नुकसानदेह होते हैं। भारत की सतर्कता कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी है,” कहते हैं रोहिंटन मेधोरा, जो Centre for International Governance Innovation के अध्यक्ष हैं।

अब आगे क्या?

दुनिया अब इंतज़ार कर रही है कि क्या भारत का यह स्टैंड भारत-अमेरिका FTA को और टाल देगा, या फिर इससे यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ बेहतर और बराबरी के समझौते बन सकेंगे।
एक बात तो साफ है — यह सिर्फ नीति की बात नहीं, यह शक्ति प्रदर्शन है।er.

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दुनिया थमेगी भारत दौड़ेगा 2025-26 में सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा भारत मॉर्गन स्टेनली

वैश्विक मंदी की आहट के बीच भारत की रफ्तार बरकरार, 2025 में 5.9% और 2026 में 6.4% की GDP ग्रोथ का अनुमान

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2025-26 में भारत बनेगा दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था – मॉर्गन स्टेनली रिपोर्ट

जहां पूरी दुनिया आर्थिक सुस्ती की तरफ बढ़ रही है, वहीं भारत ग्लोबल अर्थव्यवस्था में एक चमकते सितारे की तरह उभर रहा है। मॉर्गन स्टेनली की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2025 और 2026 में दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा।

मॉर्गन स्टेनली की ग्लोबल इन्वेस्टमेंट कमेटी (GIC) द्वारा जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की रियल GDP ग्रोथ 2025 में 5.9% और 2026 में 6.4% (Q4-over-Q4 आधार पर) रहने की संभावना है। यह अनुमान ऐसे समय में आया है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की आशंका और ट्रेड शॉक की मार से जूझ रही है।

भारत हमारे कवरेज में सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है।” – मॉर्गन स्टेनली रिपोर्ट

वैश्विक स्तर पर गिरावट, लेकिन भारत में उम्मीद

रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया की कुल आर्थिक विकास दर 2024 के 3.5% से गिरकर 2025 में 2.5% पर आ सकती है। अमेरिका, यूरोप, और चीन जैसे बड़े देशों में व्यापारिक तनाव, ब्याज दरों का दबाव और भू-राजनीतिक अस्थिरता से ग्रोथ स्लो हो रही है।

भारत क्यों है सबसे आगे?

  • मजबूत घरेलू मांग
  • इंफ्रास्ट्रक्चर में तेज़ निवेश
  • डिजिटल और टेक्नोलॉजी सेक्टर का विस्तार
  • नीतिगत स्थिरता और विदेशी निवेशकों का भरोसा

इन सभी कारणों से भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक निवेश के लिए पसंदीदा गंतव्य बना रहेगा।

विशेषज्ञों की राय

वित्तीय विश्लेषकों का मानना है कि भारत का यह प्रदर्शन सिर्फ एक “आंकड़ा” नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि भारत अब सिर्फ एक उभरती अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि वैश्विक लीडर बनने की राह पर है।

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